डिजिटल इंडिया योजना नहीं, जनआंदोलन है...
डिजिटल इंडिया की 10 साल की उपलब्धियों पर पीएम मोदी ने कहा
डिजिटल क्रांति के लिए भारत की ओर देख रही है दुनिया
नई दिल्ली, 02 जुलाई (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया की 10 साल की उपलब्धियों पर कहा कि पूरी दुनिया आज डिजिटल क्रांति के लिए भारत की ओर ही नजर गड़ाए देख रही है। पीएम मोदी ने कहा, डिजिटल इंडिया एक जन-आंदोलन है। पिछले दस साल में यह अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि एक दशक में यह जन आंदोलन बन चुका है। यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का केंद्र है और भारत को दुनिया का विश्वसनीय नवाचार साझेदार बना रहा है। हम डिजिटल गवर्नेंस से आगे बढ़कर वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की ओर बढ़ रहे हैं। डिजिटल इंडिया की 10 साल की नायाब उपलब्धियों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही ब्लॉग लिखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा, दस साल पहले, हमने एक ऐसे क्षेत्र में पूर्ण विश्वास के साथ ऐसी यात्रा शुरू की थी, जहां पहले कोई नहीं गया था। जहां दशकों तक यह संदेह किया गया कि भारतीय तकनीक का उपयोग कर पाएंगे या नहीं, हमने उस सोच को बदला और भारतीयों की तकनीक उपयोग करने की क्षमता पर विश्वास किया। जहां दशकों तक सिर्फ यह सोचा गया कि तकनीक का उपयोग अमीर और गरीब के बीच की खाई को और गहरा करेगा, हमने उस मानसिकता को बदला और तकनीक के माध्यम से उस खाई को खत्म किया। जब नीयत सही होती है, तो नवाचार वंचितों को सशक्त करता है। जब दृष्टिकोण समावेशी होता है, तो तकनीक हाशिये पर खड़े लोगों के जीवन में परिवर्तन लाती है। यही विश्वास डिजिटल इंडिया की नींव बना-एक ऐसा मिशन, जो सभी के लिए पहुंच को लोकतांत्रिक (आसान) बनाने, समावेशी डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने और अवसरों को उपलब्ध कराने के लिए शुरू हुआ। वर्ष 2014 में, इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी, और सरकारी सेवाओं की ऑनलाइन पहुंच बेहद सीमित थी। कई लोगों को संदेह था कि भारत जैसा विशाल और विविध देश वास्तव में डिजिटल बन सकता है या नहीं। आज, इस प्रश्न का उत्तर डाटा और डैशबोर्ड में नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन के माध्यम से दिया जा चुका है। शासन से लेकर शिक्षा, लेन-देन व निर्माण तक, डिजिटल इंडिया हर जगह है।
वर्ष 2014 में भारत में लगभग 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से अधिक हो चुकी है। 42 लाख किलोमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 11 गुना है, अब दूरस्थ गांवों को भी जोड़ रही है। भारत का 5-जी रोलआउट विश्व में सबसे तेज रोलआउट्स में से एक है, और मात्र दो वर्षों में 4.81 लाख बेस स्टेशंस स्थापित किए गए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों से लेकर अग्रिम सैन्य चौकियों तक, जैसे गलवान, सियाचिन और लद्दाख पहुंच चुका है।
इंडिया स्टैक, जो हमारा डिजिटल बैकबोन है, ने यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म को सक्षम बनाया है, जो अब सालाना 100 अरब से अधिक लेन-देन करता है। विश्व में होने वाले कुल रियल-टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन में से लगभग आधे भारत में होते हैं। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 44 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि सीधे नागरिकों को हस्तांतरित की गई है, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हुई और 3.48 लाख करोड़ रुपए की लीकेज रोकी गई है। स्वामित्व जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड्स जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों को मैप किया है, जिससे वर्षों से चली आ रही भूमि संबंधी अनिश्चितता का अंत हुआ है।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था अब पहले से कहीं अधिक एमएसएमई और छोटे उद्यमियों को सशक्त बना रही है। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) एक क्रांतिकारी प्लेटफॉर्म है, जो विक्रेताओं और खरीदारों के विशाल बाजार से सीधा संपर्क स्थापित कर नए अवसरों की खिड़की खोलता है। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) आम आदमी को सरकार के सभी विभागों को सामान और सेवाएं बेचने की सुविधा देता है। इससे न केवल आम नागरिक को एक विशाल बाजार मिलता है, बल्कि सरकार की बचत भी होती है।
कल्पना कीजिए, आप मुद्रा लोन के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं। आपकी क्रेडिट योग्यता को अकाउंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क के माध्यम से आंका जाता है। आपको लोन मिलता है, आप अपना व्यवसाय शुरू करते हैं। आप जीईएम पर पंजीकृत होते हैं, स्कूलों और अस्पतालों को सप्लाई करते हैं और फिर ओएनडीसी के जरिये इसे और बड़ा बनाते हैं। ओएनडीसी ने हाल ही में 20 करोड़ लेन-देन का आंकड़ा पार किया है-जिसमें पिछले 10 करोड़ सिर्फ छह महीनों में हुए हैं। बनारसी बुनकरों से लेकर नगालैंड के बांस शिल्पियों तक, अब विक्रेता बिना बिचौलियों के पूरे देश में ग्राहक तक पहुंच रहे हैं। जीईएम ने 50 दिनों में एक लाख करोड़ रुपए का जीएमवी पार किया है, जिसमें 22 लाख विक्रेता शामिल हैं, जिनमें 1.8 लाख से अधिक महिला संचालित एमएसएमई हैं, जिन्होंने 46,000 करोड़ रुपए की आपूर्ति की है।
भारत का डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) जैसे आधार, कोविन, डिजिलॉकर, फास्टैग
भारत अब विश्व के शीर्ष तीन स्टार्टअप इकोसिस्टम में शामिल है, जिसमें 1.8 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं। लेकिन यह सिर्फ एक स्टार्टअप आंदोलन नहीं है, यह एक टेक्नोलॉजी पुनर्जागरण है। भारत में युवाओं के बीच एआई स्किल्स और एआई टैलेंट के मामले में बड़ी प्रगति हो रही है। 1.2 अरब डॉलर इंडिया एआई मिशन के तहत भारत ने 34,000 जीपीयूज की पहुंच ऐसे मूल्य पर सुनिश्चित की है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे कम है-एक डॉलर से भी कम प्रति जीपीयू आवर। इससे भारत न केवल सबसे सस्ता इंटरनेट इकनॉमी, बल्कि सबसे किफायती कंप्यूटिंग हब बन गया है। भारत ने मानवता-पहले एआई की वकालत की है। नई दिल्ली डिक्लरेशन ऑन एआई जिम्मेदारी के साथ नवाचार को बढ़ावा देता है। देश भर में एआई सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जा रहे हैं।
अगला दशक और भी अधिक परिवर्तनकारी होगा। हम डिजिटल गवर्नेंस से आगे बढ़कर वैश्विक डिजिटल नेतृत्व की ओर बढ़ रहे हैं-इंडिया फर्स्ट से इंडिया फॉर द वर्ल्ड तक। डिजिटल इंडिया अब केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, यह जन आंदोलन बन चुका है। यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का केंद्र है, और भारत को दुनिया का विश्वसनीय नवाचार साझेदार बना रहा है। सभी इनोवेटर्स, एंटरप्रेन्योर्स, और ड्रीमर्स से कहना चाहता हूं कि दुनिया अगली डिजिटल क्रांति के लिए भारत की ओर देख रही है। आइए, हम वह बनाएं, जो सशक्त बनाता है। आइए, हम ऐसे हल निकालें, जो वास्तव में मायने रखते हों। आइए, हम उस तकनीक के साथ नेतृत्व करें, जो एकजुट करती है, समावेशी बनाती है और उत्थान करती है।
62 करोड़ नए इन्टरनेट यूजर, 42 लाख किलोमीटर का ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क और 10000 करोड़ ट्रांजैक्शन। यह है डिजिटल इंडिया की 10 साल की उपलब्धि। यह कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं बल्कि जनआंदोलन है। 2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से ज्यादा हो गई है। 42 लाख किलोमीटर से ज्यादा ऑप्टिकल फाइबर केबल अब सबसे दूरदराज के गांवों को भी जोड़ती है।
दस साल पहले, हमने बहुत दृढ़ विश्वास के साथ अज्ञात क्षेत्र में एक साहसिक यात्रा शुरू की। जबकि दशकों तक भारतीयों की टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर संदेह किया जाता रहा, लेकिन हमने इस अप्रोच को बदल दिया और भारतीयों की टेक्नोलॉजी का उपयोग करने की क्षमता पर भरोसा किया। जबकि दशकों तक यह सोचा जाता रहा कि टेक्नोलॉजी के उपयोग से संपन्न और वंचित के बीच की खाई और गहरी हो जाएगी। हमने इस मानसिकता को बदल दिया और संपन्न एवं वंचित के बीच की खाई को खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग किया। जब इरादा सही हो, तो इनोवेशन, कम सशक्त लोगों को सशक्त बनाता है। जब अप्रोच, समावेशी होता है, तो टेक्नोलॉजी; हाशिए पर रहने वालों के जीवन में बदलाव लाती है। इस विश्वास ने डिजिटल इंडिया की नींव रखी, पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने, समावेशी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करने और सभी के लिए अवसर प्रदान करने का मिशन।
2014 में इंटरनेट की पहुंच सीमित थी, डिजिटल साक्षरता कम थी और सरकारी सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच दुर्लभ थी। कई लोगों को संदेह था कि क्या भारत जैसा विशाल और विविधतापूर्ण देश वास्तव में डिजिटल हो सकता है। आज, उस सवाल का जवाब न केवल डेटा और डैशबोर्ड में है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के जीवन में भी है। हम कैसे गवर्न करते हैं, कैसे सीखते हैं, लेन-देन करते हैं और कैसे निर्माण करते हैं, डिजिटल इंडिया हर जगह है। 2014 में भारत में करीब 25 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। आज यह संख्या बढ़कर 97 करोड़ से ज्यादा हो गई है। 42 लाख किलोमीटर से ज्यादा ऑप्टिकल फाइबर केबल, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 11 गुना ज्यादा है, अब सबसे दूरदराज के गांवों को भी जोड़ती है। भारत में 5-जी की शुरुआत दुनिया में सबसे तेज गति से हुई है, जहां सिर्फ दो साल में 4.81 लाख बेस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। हाई-स्पीड इंटरनेट अब शहरी केंद्रों और गलवान, सियाचिन और लद्दाख सहित अग्रिम सैन्य चौकियों तक पहुंच गया है।
इंडिया स्टैक, जो हमारी डिजिटल रीढ़ है, ने यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म को सक्षम किया है, जो अब सालाना 100 बिलियन लेनदेन को संभालता है। सभी वास्तविक समय के डिजिटल लेनदेन में से लगभग आधे भारत में होते हैं। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से 44 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि सीधे नागरिकों को ट्रांसफर की गई, जिससे बिचौलियों को हटाया गया है और 3.48 लाख करोड़ रुपए की लीकेज बंद हुई। स्वमितवा जैसी योजनाओं ने 2.4 करोड़ से अधिक संपत्ति कार्ड जारी किए हैं और 6.47 लाख गांवों की मैपिंग की है, जिससे भूमि से संबंधित अनिश्चितता के वर्षों का अंत हुआ है।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था एमएसएमई और छोटे उद्यमियों को पहले से कहीं ज्यादा सशक्त बना रही है। डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क एक क्रांतिकारी प्लेटफॉर्म है जो खरीदारों और विक्रेताओं के विशाल बाजार के साथ सहज कनेक्शन प्रदान करके अवसरों की एक नई खिड़की खोलता है। गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) आम आदमी को सरकार के सभी अंगों को सामान और सेवाएं बेचने में सक्षम बनाता है। यह न केवल आम आदमी को एक विशाल बाजार के साथ सशक्त बनाता है बल्कि सरकार के लिए पैसे भी बचाता है।
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