एक साथ चुनाव कराना संविधान के अनुरूप है
एक राष्ट्र एक चुनाव के समर्थन में आए कई पूर्व मुख्य न्यायाधीश
अलग-अलग चुनाव कराने का संविधान में कोई नियम नहीं
नई दिल्ली, 08 जुलाई (एजेंसियां)। देश के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने एक राष्ट्र, एक चुनाव की व्यवस्था लागू करने की वकालत की है। हाल ही में रिटायर हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संसदीय समिति को बताया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना संविधान के ढांचे के अनुरूप है। उन्होंने विपक्ष के इस दावे को खारिज किया कि यह अवधारणा संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है। चंद्रचूड़ का कहना है कि संविधान में ऐसा कोई नियम नहीं है, जो केंद्र और राज्यों के चुनावों को अलग-अलग करने के लिए बाध्य करता हो।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के साथ-साथ रंजन गोगोई और यूयू ललित जैसे पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने भी देश में एक चुनाव व्यवस्था लागू करने को देश की जरूरत बताया। साथ ही ये पूर्व मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रीय चुनाव आयोग को व्यापक शक्तियां दिए जाने के खिलाफ हैं। प्रस्तावित विधेयक में चुनाव आयोग को ऐसी शक्तियां दी गई हैं, जो विधानसभाओं के पांच साल के कार्यकाल को कम या ज्यादा करने की अनुमति दे सकती हैं। चंद्रचूड़ ने सुझाव दिया कि ऐसी शक्तियों के उपयोग के लिए संविधान में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए। पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि ऐसी शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए ठोस नियम जरूरी हैं।
चंद्रचूड़ ने यह भी आशंका जताई कि एक साथ चुनाव होने से क्षेत्रीय और छोटे दलों का प्रभाव कम हो सकता है। राष्ट्रीय दल, जो वित्तीय और संगठनात्मक रूप से मजबूत हैं, चुनावों में प्रभुत्व जमा सकते हैं। इस असंतुलन को रोकने के लिए उन्होंने चुनावी अभियान और वित्त पोषण के नियमों को और सख्त करने की सलाह दी है, ताकि सभी दलों को समान अवसर मिल सके। प्रस्तावित विधेयक के तहत, मध्यावधि चुनावों में चुनी गई सरकार का कार्यकाल केवल मूल पांच साल की अवधि के बचे हुए समय तक होगा। चंद्रचूड़ ने चेतावनी दी कि अगर यह अवधि एक साल या उससे कम है, तो आचार संहिता (मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट) के कारण सरकार के नीति-निर्माण और विकास कार्यों की क्षमता प्रभावित हो सकती है। कई सांसदों ने भी संसदीय समिति के सामने इस मुद्दे को उठाया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने सुझाव दिया कि एक साथ चुनावों को लागू करने के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि विधानसभाओं के बचे हुए कार्यकाल को ध्यान में रखते हुए योजना बनानी चाहिए, ताकि कानूनी चुनौतियों से बचा जा सके। यह दृष्टिकोण व्यावहारिक और कम विवादास्पद हो सकता है।
विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने इस विधेयक को लोकतंत्र विरोधी और असंवैधानिक करार दिया है। जबकि देश में पहले कांग्रेस के ही शासनकाल में एक साथ चुनाव होते रहे हैं। भारत सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव से प्रशासनिक और वित्तीय संसाधनों की बचत होगी, और बार-बार आचार संहिता लागू होने से शासन में आने वाली रुकावटें कम होंगी।
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