भारत का मूल्यवान और विश्वसनीय पार्टनर है नामीबिया : मोदी
नामीबिया पहुंचने पर पीएम मोदी को 21 तोपों की भव्य सलामी
राष्ट्रपति नंदी से मिले, कई अहम समझौतों पर हुए हस्ताक्षर
खनिज संसाधनों से भरे देश से भारत के रिश्ते और मजबूत हुए
विंडहोक (नामीबिया), 09 जुलाई (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नामीबिया की राजधानी विंडहोक पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत किया गया। पीएम मोदी को औपचारिक स्वागत में 21 तोपों की सलामी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा से मुलाकात की और बैठक के बाद दोनों देशों ने ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, यूरेनियम निर्यात, रक्षा उपकरण खरीद और तेल और गैस के क्षेत्र में सहयोग जैसे कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी की यह नामीबिया की पहली यात्रा थी। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नामीबिया की यह तीसरी यात्रा थी। राष्ट्रपति नंदी-नदैतवा के निमंत्रण पर यहां पहुंचे। पीएम मोदी ने नामीबिया को अफ्रीका में एक मूल्यवान और विश्वसनीय साझेदार बताया। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी का स्टेट हाउस में औपचारिक स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने नामीबिया की राजधानी विंडहॉक में भारतीय समुदाय से भी मुलाकात की। पीएम मोदी जिस होटल में ठहरे हैं, उसमें प्रधानमंत्री से मिलने बड़ी संख्या में भारतीय और भारतवंशी लोग पहुंचे थे। भारतीय समुदाय में शामिल एक महिला ने कहा, पीएम मोदी के नामीबिया दौरे को लेकर हम रोमांचित हैं। हम प्रधानमंत्री के स्वागत में गरबा नृत्य करेंगे। एक अन्य महिला ने कहा, यह पहली बार होगा, जब मैं पीएम मोदी से मिलूंगी। मैं इसे लेकर बेहद उत्साहित हूं।
नामीबिया में भारत के उच्चायुक्त राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में नामीबिया के चीते अच्छी तरह से रह रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या पर्यावरण संतुलन के लिए अभी भी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नामीबिया यात्रा के बाद प्रोजेक्ट चीता-2 की शुरुआत हो सकती है, जिससे भारत को और ज्यादा चीते मिल सकें। ग्लोबल साउथ (दक्षिणी देशों) में भारत की नेतृत्व भूमिका को दुनिया मानती है। इस दिशा में अफ्रीका भारत का मजबूत साझीदार है। भारत ने नामीबिया को हमेशा समर्थन दिया है और नामीबिया ने भी तीनों वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट में भाग लिया है।
भारत को नामीबिया में पाए जाने वाले क्रिटिकल मिनरल्स (अहम खनिज) में काफी रुचि है। इसके अलावा भारत नामीबिया से यूरेनियम के निर्यात की संभावना पर भी विचार कर रहा है। हाल ही में नामीबिया में तेल और गैस के भंडार भी पाए गए हैं, जो भारत के लिए एक और आकर्षण का क्षेत्र है। रक्षा क्षेत्र को लेकर भी दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई है। नामीबिया भारत से कुछ रक्षा उपकरण खरीदना चाहता है और क्षमता निर्माण (कैपेसिटी बिल्डिंग) को दोनों देशों के रिश्तों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जा रहा है। नामीबिया में भारत के उच्चायुक्त राहुल श्रीवास्तव ने कहा कि भारत और नामीबिया के बीच व्यापार, निवेश, खनिज संसाधनों और रक्षा सहयोग जैसे कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई और सहमति बनी है। भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर दोनों देशों में सहमति बनी है और समझौते हुए हैं। मुख्य रूप से व्यापार और निवेश के बारे में। हम नामीबिया में महत्वपूर्ण खनिजों में रुचि रखते हैं और हमारे कुछ सार्वजनिक उपक्रम यहां निवेश करना चाहेंगे। इस पर नामीबिया के साथ सहमति बनी है। नामीबिया भारत को यूरेनियम निर्यात करने पर सहमत हुआ है। नामीबिया भारत से रक्षा उपकरण खरीदने के लिए भी इच्छुक है।
भारत नामीबिया से यूरेनियम लेने और वहां हुई तेल-गैस की खोज में रुचि रखता है। यह भारत के लिए फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि नामीबिया में कीमती खनिजों का बड़ा भंडार है। इसी वजह से नामीबिया को अफ्रीका का सऊदी अरब तक कहा जाता है। नामीबिया अफ्रीका का एक छोटा देश है, जिसकी आबादी सिर्फ 30 लाख है। इसके बावजूद इसकी दुनिया में बहुत अहमियत है। इसकी वजह नामीबिया का तेल, गैस, यूरेनियम, तांबा, सो
नामीबिया में यूरेनियम का भंडार है तो तेल और गैस भी है। नामीबिया में ये 1970 के दशक में शुरू में ही तेल की खोज शुरू हो गई थी लेकिन 2022 के बाद इस क्षेत्र में खोज की गतिविधि में नाटकीय रूप से तेजी आई है। पिछले कुछ सालों में नामीबिया में हुई तेल और गैस की खोज ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है और पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। नामीबिया के कई क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस का उच्च स्तर खोजा गया है। इस बेसिन में खोज की सफलता काफी ज्यादा है। नामीबिया में ड्रिलिंग गतिविधि इस साल खासतौर से बढ़ी है। हाल ही में राइनो रिसोर्सेज ने सैजिटेरियस कुएं में हाइड्रोकार्बन की खोज की घोषणा की है। इससे एक्सॉनमोबिल, शेल, टोटलएनर्जीज और शेवरॉन जैसी बड़ी कंपनियों के बीच बोली लगाने की होड़ है।
नामीबिया में 2,30,000 वर्ग किलोमीटर लाइसेंसी जमीन है, जबकि नॉर्वे में 100,00 वर्ग किलोमीटर से भी कम है। हालांकि यह क्षेत्र अभी बड़े पैमाने पर कम खोज वाला माना जाता है। यहां उत्तरी सागर और मैक्सिको की खाड़ी जैसे अपतटीय क्षेत्रों में हजारों की तुलना में केवल कुछ गहरे कुएं हैं लेकिन एक्सपर्ट आने वाले समय में तेजी से नामीबिया में खोज की सफलता बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं। अपतटीय तेल की खोज से अनुमान है कि 2035 तक नामीबिया दुनिया के अग्रणी तेल उत्पादकों की श्रेणी में आ जाएगा। माना जा रहा है कि अगले 12-24 महीने नामीबिया की तेल आकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हों। 2026 में टोटल एनर्जीज बेसिन के व्यापक विकास की दिशा तय करेगा। इसी बीच ऑरेंज बेसिन में ड्रिलिंग और खोज का काम होगा। नामीबिया की अपतटीय तेल खोजें खासतौर से इस दशक में अफ्रीका के सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा अवसरों में से हैं।
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