75 छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने में सहयोग दे रहे आईआईटी संस्थान

75 छोटी नदियों को पुनर्जीवित करने में सहयोग दे रहे आईआईटी संस्थान

लखनऊ14 जुलाई (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश की 75 छोटी और सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने में आईआईटी संस्थान योगी सरकार का सहयोग कर रहे हैं। सीएम योगी के नेतृत्व में इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए प्रमुख तकनीकी संस्थानों और 10 अहम विभागों की सहभागिता से एक समन्वित रणनीति बनाई गई है। नदी पुनर्जीवन कार्य को प्रभावी और सतत बनाने के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति का गठन किया गया है। साथ हीजिलों की छोटी एवं सहायक नदियों के पुनरुद्धार के लिए आईआईटी संस्थानों से तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।

योगी सरकार प्रदेश की नदियों के पुनरुद्धार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी का भरपूर उपयोग कर रही है। इस कार्य में आईआईटी कानपुरआईआईटी बीएचयूबीबीएयू लखनऊ और आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थान कार्य में तकनीकी मार्गदर्शन दे रहे हैं। ये संस्थान हर नदी की भौगोलिकपारिस्थितिक और सामाजिक परिस्थितियों का अध्ययन कर उपयुक्त पुनर्जीवन योजना बना रहे हैं। योगी सरकार द्वारा नदियों के कायाकल्प का कार्य वर्ष 2018 से ही मनरेगा योजना के अंतर्गत शुरू किया गया था। अब इस कार्य को और अधिक संगठिततकनीकी और व्यापक स्वरूप में आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके तहत जलधाराओं की सफाईचैनलिंगवर्षा जल संचयन और पौधरोपण जैसे कार्य किए जा रहे हैं।

योगी सरकार द्वारा तैयार किए गए मास्टरप्लान के अनुसारनदी पुनर्जीवन अभियान को सुचारू रूप से धरातल पर उतारने के लिए 10 विभागों की सहभागिता सुनिश्चित की है। इनमें सिंचाई विभागलघु सिंचाईपंचायती राजवनबागवानीउद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करणमत्स्यशहरी विकासउत्तर प्रदेश राज्य जल संसाधन एजेंसीग्रामीण विकास और राजस्व विभाग शामिल हैं। इन विभागों के समन्वय से प्रत्येक जिले में योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

प्रक्रिया के अंतर्गतहर मंडल में एक अनुश्रवण समिति का गठन किया गया। जिसकी अध्यक्षता संबंधित मंडलायुक्त कर रहे हैं। यह समिति पुनरुद्धार की योजनाओं का नियमित परीक्षण कर उनकी प्रगति की समीक्षा करती है। इसका उद्देश्य यह है कि योजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध और गुणवत्ता युक्त हो। योगी सरकार ने जल संरक्षण और प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। इसके लिए जिला गंगा समितियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित की गई है। ये समितियां स्थानीय स्तर पर नदी तंत्र की निगरानी और जन सहभागिता को बढ़ावा दे रही हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करती हैं कि नदी का पुनर्जीवन एक सतत और समावेशी प्रक्रिया बन सके

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