आगरा की 4-पैरा स्पेशल फोर्स के जांबाज

पहलगाम हमले के आतंकियों का सफाया करने वाले

 आगरा की 4-पैरा स्पेशल फोर्स के जांबाज

आगरा, 31 जुलाई (ब्यूरो)। पहलगाम के गुनहगार तीन आतंकियों को ढेर कर आगरा की 4 पैरा स्पेशल फोर्स ने कमाल कर दिया। वह टुकड़ी थी आगरा की मिट्टी में पली-बढ़ी देश की सबसे खामोश लेकिन सबसे घातक यूनिट। यह पहला मौका है जब किसी टुकड़ी का नाम संसद में गूंजा।

पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल 2025 को लश्कर समर्थित आतंकी संगठन टीआरएफ ने 26 निर्दोष लोगों की नृशंस हत्या कर देश को झकझोर दिया था। देश की सुरक्षा के लिए यह सीधी चुनौती थी। 28 जुलाई को डाचीगाम के घने जंगलों में 4 पैरा के जांबाजों ने तीन आतंकियों हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान शाहअफगान और जिब्रान को ढेर कर दिया। छह घंटे के मिशन में कमांडो दल ने वैज्ञानिक सटीकतातकनीकी कुशलता और सामरिक दक्षता का अनुपम उदाहरण पेश किया। उनके इस शौर्य की संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने सराहना की। यह पल न सिर्फ सैन्य इतिहास में बल्कि लोकतांत्रिक चेतना में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया।

4 पैरा स्पेशल फोर्स कोई साधारण टुकड़ी नहीं। घात लगाओ और लुप्त हो जाओ इसकी पहचान है। आतंकियों के लिए खौफ और नागरिकों के लिए सुरक्षा का प्रतीक है। यह यूनिट 2001 में स्पेशल फोर्स बनने के बाद से कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ सबसे भरोसेमंद शक्ति है। आगरा से 4 पैरा का गहरा नाता है। यह वही भूमि हैजहां इस पैराशूट रेजिमेंट का गठन हुआ। 4 पैरा ने 2001 में स्पेशल फोर्स के रूप में नया जन्म लिया। अब भी जवान वार्षिक पैरा जंप और युद्ध प्रशिक्षण के लिए आगरा लौटते हैं। संसद यह सम्मान केवल 4 पैरा का नहींबल्कि भारतीय सेना और हर उस नागरिक का हैजो राष्ट्र को सर्वोपरि मानता है।

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