अमेरिका से एफ-35 फाइटर जेट नहीं खरीदेगा भारत
भारत पर लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का सटीक जवाब
रूस से खरीदा जाएगा पांचवीं पीढ़ी का एसयू-57 लड़ाकू विमान
नई दिल्ली, 01 अगस्त (एजेंसियां)। भारत ने अमेरिका से एफ-35 फाइटर जेट खरीदने से मना कर दिया है। भारत रूस का एसयू-57 फिफ्थ जनरेशन जेट खरीदेगा। रूसी विमान भारत में ही बनेगा और इसकी तकनीक भी भारत को हस्तांतरित होगी। विमान के करीब 60 फीसदी पुर्जे भारत में ही निर्मित होंगे। इससे भारत भविष्य में इसका निर्माण कर पाएगा। अमेरिका द्वारा लगाए गए 25 फीसदी टैरिफ के बीच भारत का यह करारा जवाब है। भारत ने साफ कर दिया कि वह अमेरिका से एफ-35 फाइटर जेट नहीं खरीदेगा। इसके बजाए भारत रूस का एसयू-57 फिफ्थ जनरेशन जेट खरीदेगा। रूसी विमान भारत में ही बनेगा और इसकी तकनीक भी भारत से साझा की जाएगी।
भारत अमेरिका से कुछ उत्पादों की खरीद कर सकता है, लेकिन रक्षा से जुड़े किसी भी उपकरण को अमेरिका से खरीदने की फिलहाल भारत सरकार की कोई योजना नहीं है। भारत अमेरिका से प्राकृतिक गैस, संचार उपकरण और सोने की खरीद बढ़ाने पर विचार कर रहा है। लेकिन अमेरिकी रक्षा उपकरण, खासकर एफ-35 फाइटर जेट खरीदने के लिए भारत सरकार तैयार नहीं है। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की व्हाइट हाउस यात्रा के दौरान भारत को एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट देने की पेशकश की थी। भारत सरकार चाहती है कि रक्षा उपकरणों का संयुक्त रूप से विकास और निर्माण भारत में ही हो।
ट्रंप भारत पर रूस से हथियार और तेल खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की धमकी दे चुके हैं, लेकिन भारत पर इस धमकी का कोई असर नहीं है। भारत अमेरिका से नया रक्षा सौदे नहीं करना चाहता। पहले से ऑर्डर किए गए अमेरिकी उपकरणों की डिलीवरी में ही वर्षों की देरी हो रही है। अमेरिका से एफ-35 विमान नहीं खरीद कर भारत रूस से 50-60 एसयू-57 फिफ्थ जनरेशन जेट खरीदेगा। भारतीय वायुसेना को अगले कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान की हवाई ताकत का मुकाबला करने के लिए करीब तीन स्क्वाड्रन फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स की जरूरत है। भारत अपने खुद के एएमसीए फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट पर भी काम कर रहा है, लेकिन इसके 2035 से पहले तैयार होने की संभावना नहीं है। इसलिए, जब तक स्वदेशी जेट तैयार नहीं होता, तब तक भारत को विदेशी विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ेगा। इस समय केवल एफ-35 (अमेरिका) और एसयू-57 (रूस) ही ऐसे उपलब्ध विकल्प हैं। जिसमें भारत ने एसयू-57 को चुना है।
इस तरह भारत सरकार ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि वह एएफ-35 समेत निकट भविष्य में कोई भी बड़ी रक्षा खरीद नहीं करने जा रही है। भारत रक्षा खरीद में हथियारों के संयुक्त विकास, तकनीक के हस्तांतरण, भारत में निर्माण और आत्मनिर्भरता जैसी शर्तों को प्राथमिकता देता रहेगा। भारत सरकार ने यह निर्णय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने की घोषणा के बाद लिया। भारत सरकार ने अमेरिकी स्टिल्थ फाइटर जेट एफ-35 खरीदने की किसी भी योजना से साफ-साफ इन्कार कर दिया। भारत सरकार ने अमेरिका को बता दिया है कि वह एएफ-35 समेत निकट भविष्य में उससे कोई भी बड़ी रक्षा खरीद नहीं करने जा रही है।
लंबे समय से अमेरिकी रक्षा अधिकारी यह संकेत देते रहे हैं कि इस वर्ष फरवरी में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच वार्ता में इन विमानों को खरीदे जाने की बात हुई थी। ट्रंप ने मीडिया के सामने भी भारत को एफ-35 बेचने के प्रस्ताव की बात कही थी। लेकिन भारत ने कभी इसके लिए हामी नहीं भरी। उस समय दोनों देशों के बीच अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने और इसके लिए अमेरिका से बड़ी मात्रा में रक्षा खरीद की बात कही गई थी। इसी के तहत ट्रंप ने एफ-35 विमान भारत को बेचने का प्रस्ताव दिया था। भारत ने हाल के समय में अमेरिका से रक्षा खरीद बढ़ाई है और इनमें एमएच 60आर सीहॉक हेलिकॉप्टर और पी-8आई समुद्री निगरानी विमान शामिल हैं। इसके बावजूद भारत ने अमेरिका से उच्च तकनीक वाली खरीद करने में तब तक अनिच्छा जताई जबतक भारत में निर्माण की शर्त न पूरी हो।
उल्लेखनीय है कि जुलाई महीने में ही रूस ने भारत को अपना पांचवीं पीढ़ी का स्टिल्थ फाइटर जेट एसयू-57 ई बेचने का प्रस्ताव दे दिया था। खास बात यह है कि रूस ने इसके लिए तकनीक के हस्तांतरण समेत भारत में निर्माण का प्रस्ताव भी दिया है। इसे नासिक के हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के प्लांट में बनाने का प्रस्ताव है। रूस के प्रस्ताव के अनुसार भारत में बनने वाले एसयू-57ई में 60 फीसदी पुर्जे भारतीय होंगे और इससे भारत इस विमान में स्वदेश निर्मित मिसाइलों को खुद तैनात कर पाएगा। इससे भारत इनकी मारक क्षमता को अपनी जरूरतों के अनुसार ढाल पाएगा।
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