सुप्रीम कोर्ट में जज यशवंत वर्मा की अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट में जज यशवंत वर्मा की अपील खारिज

नई दिल्ली, 07 अगस्त (एजेंसियां)। नोटों का जखीरा बरामद होने के मामले में जज यशवंत वर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। जली हुई नकदी बरामद होने के मामले में जांच प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत की पीठ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह ने कहा कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का आचरण विश्वास पैदा नहीं करताइसलिए उनकी याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। इस अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ये भी माना कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो पत्र भेजावह असंवैधानिक नहीं था।

मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने आंतरिक जांच पैनल की उस रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया थाजिसमें उन्हें नकदी बरामदगी मामले में दोषी पाया गया था। जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि जांच समिति की रिपोर्ट और उसे राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भेजना असंवैधानिक है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को ठुकरा दिया।

यशवंत वर्मा के आवास से नकद राशि मिलने के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने एक आंतरिक जांच समिति बनाई थी। इस समिति ने जांच के बाद जस्टिस वर्मा को दोषी पाया और उनकी रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गईताकि उनके खिलाफ कार्रवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंतरिक जांच प्रक्रिया पूरी तरह नियमों के अनुसार हुई। समिति की रिपोर्ट को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजना संविधान के खिलाफ नहीं है। पीठ ने ये भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश सिर्फ नाम का पद नहीं होताउनके पास देश और न्यायपालिका के लिए जिम्मेदारियां होती हैं। वे केवल एक पोस्ट ऑफिस की तरह काम नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दो टूक कहा कि जस्टिस वर्मा का व्यवहार न्यायपालिका की गरिमा के अनुरूप नहीं है और उनके खिलाफ की गई जांच और कार्रवाई सही थी। जांच समिति ने पाया था कि नोटों का जखीरा जिस स्टोर रूम में पाया गया था वह न्यायाधीश के आवास का हिस्सा था और उसमें उनकी या उनके परिवार की पूरी तरह से पहुंच थी। पैनल ने इस घटना को गंभीर मानते हुए अध्यक्षता में ट्रांसफर से बढ़कर कार्रवाई की सिफारिश कीऔर यह रिपोर्ट राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजी गई।

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