सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंधन के लिए बनाई कमेटी
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन का मामला
नई दिल्ली/लखनऊ, 10 अगस्त (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर अपनी ओर से एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे। इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट का लिखित आदेश आया है कि जब तक हाईकोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश पर आदेश नहीं दे देता, तब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त यह कमेटी मंदिर के दैनिक कामकाज देखेगी। इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार अपने अध्यादेश के मुताबिक, मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट का गठन नहीं कर पाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कमेटी उस समय बनाई, जब उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 के तहत बनी समिति की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया था। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को लेकर दाखिल चुनौती को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेज दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि जब तक हाईकोर्ट इस मामले पर अपना फैसला नहीं सुनाता, तब तक सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी मंदिर की पूरी जिम्मेदारी संभालेगी। जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे।
कमेटी के अन्य सदस्यों में यूपी के रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा, मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सिविल जज, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, एक प्रसिद्ध वास्तुकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक प्रतिनिधि और दोनों गोस्वामी समूहों से दो-दो सदस्य शामिल हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं के एक समूह पर यह आदेश पारित किया है।
कमेटी के अध्यक्ष को दो लाख रुपए प्रतिमाह का मानदेय मंदिर कोष से दिया जाएगा और उन्हें परिवहन सहित सभी जरूरी सचिवीय सहायता मुहैया कराई जाएंगी। रिटायर्ड जज मुकेश मिश्रा को एक लाख प्रतिमाह का मानदेय मिलेगा, जो मंदिर के फंड से वहन किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने यह अंतरिम व्यवस्था इसलिए की है, क्योंकि हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में फैसला आने में वक्त लग सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति को मंदिर के समुचित संचालन के लिए महत्वपूर्ण विभिन्न मुद्दों पर ध्यान देने का अधिकार दिया गया है, जिसमें स्वच्छ पेयजल, कार्यात्मक शौचालय, पर्याप्त आश्रय और बैठने की व्यवस्था, भीड़ की आवाजाही के लिए समर्पित गलियारे और बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष व्यवस्था जैसी आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं।
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