पाकिस्तान में हिंदू बच्चों को जबरन बना रहे मुसलमान

 पाकिस्तान-अफगानिस्तान-बांग्लादेश में अल्पसंख्यक संकट में

 पाकिस्तान में हिंदू बच्चों को जबरन बना रहे मुसलमान

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के 3582 मामले

इस्लामाबाद/ढाका, 11 अगस्त (एजेंसियां)। पाकिस्तान में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा है। मुसलमान बनाने के लिए अल्पसंख्यक सुमदाय के मासूमों का संस्थागत तरीके से शोषण किया जा रहा है और प्रताड़ित किया जा रहा है। पाकिस्तान के ही राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (एनसीआरसी) की हालिया रिपोर्ट से यह उजागर हुआ हुआ है। दूसरी तरफ, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं लगातार हो रही हैं। बांग्लादेश में पिछले चार साल में हिंदुओं पर हमले के 3582 मामले दर्ज हुए हैं। यह वे मामले हैं जिन्हें बड़ी जद्दोजहद के बाद दर्ज कराया जा सका है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की अधिकांश घटनाएं दर्ज ही नहीं की जाती।

पाकिस्तान के ही राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (एनसीआरसी) की नई रिपोर्ट ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बच्चोंखासकर ईसाइयों व हिंदुओं के साथ व्याप्त गहरे तथा व्यापक भेदभाव को उजागर किया है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक धर्मों के बच्चों की स्थिति का विश्लेषण शीर्षक यह रिपोर्ट व्यवस्थागत पूर्वाग्रहसंस्थागत उपेक्षा और लक्षित दुर्व्यवहार की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। क्रिश्चियन डेली इंटरनेशनल के अनुसारएनसीआरसी की यह रिपोर्ट हजारों हिंदू और ईसाई बच्चों के जबरन धर्मांतरणबाल विवाह, बाल श्रम और बंधुआ मजदूरी के रोजमर्रा की घटनाओं पर आधारित है। एनसीआरसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों का अपहरण करके उनका जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया जाता है और उनकी बड़ी उम्र के मुस्लिम पुरुषों के साथ जबरन शादी करा दी जाती है। ऐसी घटनाएं एक-दो नहींबल्कि यह एक निरंतर प्रथा बन गई है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संस्थागत पूर्वाग्रहकानून प्रवर्तन की कमी और भारी जन दबाव के कारण पीड़ितों के पास कुछ ही कानूनी विकल्प मौजूद हैं।

अप्रैल 2023 से दिसंबर 2024 तकएनसीआरसी को हत्याअपहरणजबरन धर्म परिवर्तन और नाबालिगों की शादी से जुड़ी 27 आधिकारिक शिकायतें मिलीं। पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब में स्थिति सबसे विकट है। यहां जनवरी 2022 और सितंबर 2024 के बीच अल्पसंख्यक बच्चों के खिलाफ हिंसा की 40 प्रतिशत घटनाएं हुईं। रिपोर्ट में पुलिस रिकॉर्ड से प्राप्त ब्यौरे से पता चलता है कि पीड़ितों में 547 ईसाई, 32 हिंदूदो अहमदिया और दो सिख शामिल थे।

एनसीआरसी की रिपोर्ट एकल राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए कहती है कि इसमें धार्मिक समावेश का अभाव है। ईसाई और हिंदू छात्रों को अपनी आस्था के विपरीत इस्लामी विषय पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है। अल्पसंख्यक छात्रों को स्कूलों में सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे कक्षाओं में आगे बैठनेप्रश्न पूछने या यहां तक कि साझा गिलास से पानी पीने में भी हिचकिचाते हैं। उनकी मान्यताओं का मजाक उड़ाया जाता है और ईश्वरीय पुरस्कार पाने के लिए उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा जाता है।

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रिपोर्ट बंधुआ मजदूरी की ओर भी ध्यान आकर्षित करती हैजहां हिंदू व ईसाई बच्चे अक्सर ईंट भट्टों या कृषि कार्यों में जबरन मजदूरी के दुष्चक्र में फंस जाते हैं। उनके परिवार पहले से ही पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी और भेदभाव के बोझ तले दबे हैं। राज्य से उन्हें सुरक्षा नहीं मिलती। एनसीआरसी की अध्यक्ष आयशा रजा फारूक ने स्वीकार किया कि विखंडित प्रयासोंसमन्वय की कमी व सीमित राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण बच्चों की स्थिति में प्रगति निराशाजनक रही है। पाकिस्तान में हिंदुओं पर हिंसा के 334 बड़े मामले दर्ज हैं। पाकिस्तान में भी अल्पसंख्यकों पर होने वाली हिंसा की अधिकांश घटनाएं दर्ज नहीं की जाती।

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उधर, बांग्लादेश में हिंदुओं पर 2021 से अब तक आधिकारिक तौर पर 3582 बड़े हमले हुए। यह हमले खासकर शेख हसीना के हटने के बाद बढ़े। बांग्लादेश और पाकिस्तान में मंदिरों में तोड़फोड़ और जबरन धर्मांतरण आम बात हो गई है। भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलेपाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसाअफगानिस्तान में सिखों पर अत्याचार से जुड़ी जानकारी संसद में दी है। साथ हीसरकार ने अमेरिका और कनाडा में हिंदू मंदिरों मे हुई तोड़फोड़ से जुड़े आंकड़े भी दिए हैं। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लगातार कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर रहा है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से हटने और मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार बनने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले हमलों में तेजी आई है। 2022 की जनगणना के मुताबिकबांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं। वे कुल आबादी का 7.95 प्रतिशत हैं। उनके बाद बौद्ध (0.61 प्रतिशतऔर ईसाई (0.30 प्रतिशतआते हैं।

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विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्यसभा में बताया कि बांग्लादेश में 2021 के बाद से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के कम-से-कम 3,582 मामले सामने आए हैं। सरकार ने इन मामलों पर अपनी चिंता बांग्लादेश के साथ शीर्ष स्तर पर साझा की है। सरकार ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय करेगी, लेकिन बांग्लादेश सरकार पर इसका कोई असर नहीं है। वहां हिंदुओं पर हमले और हिंसा की घटनाएं जारी हैं। बांग्लादेश में रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक घर में तोड़फोड़ पर सरकार ने लोकसभा में कहासरकार ने टैगोर के पैतृक घर पर हुए घृणित हमले और तोड़फोड़ की कड़ी निंदा की और इस बात पर जोर दिया कि यह हिंसक कृत्य गुरुदेव टैगोर की स्मृति और समावेशी मूल्यों का अपमान है। भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से सख्त कार्रवाई करने और ऐसी घटनाओं को रोकने का आग्रह किया।

पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा पर भी केंद्र ने संसद में जानकारी दी है। केंद्र सरकार ने बताया कि भारत ने 2021 से पाकिस्तान सरकार के सामने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के 334 बड़े मामलों को उठाया गया है। सरकार ने पाकिस्तान से अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करने और सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक असहिष्णुता को खत्म करने की बात कही है। हिंदुओं के साथ अत्याचार की घटनाएं पाकिस्तान में आम हो गई हैं। मंदिरों में तोड़फोड़हिंदू लड़कियों और महिलाओं का अपहरणजबरन धर्मांतरण जैसे मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। उत्पीड़नभेदभाव और जबरन धर्मांतरण जैसी घटनाओं के चलते पाकिस्तान में हिंदुओं की जो आबादी आजादी के समय 1947 में लगभग 15-20 प्रतिशत थी वो अब केवल 2-3 प्रतिशत रह गई है।

सरकार ने बताया कि ब्रिटेनकनाडा और अमेरिका में हिंदुओं पर हमले और हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ किए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। सरकार ने कहा कि 2024 से अमेरिका में 5 और कनाडा में 4 हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई है। सरकार ने कहाऐसे मामले संज्ञान में आने पर संबंधित संगठन व व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने और दोषियों को सजा दिलाने के लिए मामले को तुरंत उन देशों की सरकारों के सामने उठाया जाता है। सरकार ने 2021 के बाद बिगड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बाद अफगानिस्तान से सिखों समेत 74 अल्पसंख्यकों को ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत निकालने की जानकारी दी। सरकार ने कहा कि 18 जून 2022 को काबुल में गुरुद्वारे पर हुए हमले की भी भारत ने कड़ी निंदा की थी।