बाबरी के बदले मस्जिद बनाने के मंसूबों पर एनओसी भारी
खैरात में मिली जमीन पर चंदा खूब वसूला, पर लेआउट प्लान पास नहीं हुआ
अयोध्या, 24 सितंबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जमीन दे दी लेकिन 5 साल बाद भी उस पर काम ठप्प पड़ा है। मस्जिद के लिए बने ट्रस्ट ने चंदा तो जुटाया लेकिन सरकारी विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं ले सका। अब एनओसी नहीं होने के चलते इसके लेआउट प्लान को भी अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने खारिज कर दिया है।
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक अयोध्या फैसले में राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ किया था। साथ ही, मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया था। इसके बाद 3 अगस्त 2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने अयोध्या के पास धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित कर दी। इसके बाद मस्जिद निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट ने 23 जून 2021 को एडीए में लेआउट प्लान की मंजूरी हेतु आवेदन दायर किया था। एडीए ने कहा कि मस्जिद ट्रस्ट ने 4 लाख रुपए आवेदन और जांच शुल्क के रूप में जमा किए थे। मस्जिद निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नागरिक उड्डयन, सिंचाई एवं राजस्व विभाग, नगर निगम, जिलाधिकारी कार्यालय और अग्निशमन विभाग की एनओसी मांगी गई थी।
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि उन्हें अग्निशमन विभाग की ओर से आपत्तियां आई थीं। अग्निशमन विभाग की साइट जांच में पाया गया कि प्रस्तावित मस्जिद और अस्पताल भवन की ऊंचाई को देखते हुए अप्रोच रोड की चौड़ाई कम से कम 12 मीटर होनी चाहिए। जबकि मौके पर दोनों मार्ग छह मीटर से ज्यादा चौड़े नहीं पाए गए और मुख्य सड़क महज चार मीटर चौड़ी निकली थी। हुसैन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए जमीन देने का आदेश दिया और उत्तर प्रदेश सरकार ने हमें जमीन दी। इसके बाद भी आवश्यक एनओसी क्यों नहीं मिलीं और एडीए ने प्लान को क्यों खारिज किया, यह समझ से बाहर है। उन्होंने कहा कि अग्निशमन विभाग की आपत्ति के बारे में उन्हें जानकारी है लेकिन बाकी किसी भी विभाग की आपत्ति को लेकर उन्हें कुछ जानकारी नहीं है।
इस बीच अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है और यह पूरे होने के चरण में है। तो दूसरी और मस्जिद परियोजना लापरवाहियों के चलते अभी तक अधर में ही अटकी हुई है। जो लोग शताब्दियों तक कथित ढांचे को मस्जिद बताते हुए लड़ रहे थे, उनके लिए मस्जिद की प्राथमिकता कितनी है, यह 5 जमीन आवंटन के 5 वर्ष बाद स्पष्ट हो जाता है।
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