राज्य में खतरनाक कफ सिरप जब्त करने की कार्रवाई शुरू
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| राज्य खाद्य सुरक्षा एवं औषधि मंत्रालय ने खतरनाक डायथिलीन ग्लाइकॉल युक्त कफ सिरप की जाँच और जब्ती की कार्रवाई की है| तमिलनाडु, पुद्दुचेरी और मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में रासायनिक दवाइयाँ खाने से बच्चों की मौत के बाद देश भर में जागरूकता बढ़ी है| बच्चों की रासायनिक दवाओं में मिलावट का पता लगाने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं|
तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित बैच संख्या एसआर १३ कफ सिरप में पैरासिटामोल, फिनाइलेफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड, क्लोरफेनिरामाइन मैलिएट के साथ-साथ ४६.२८ प्रतिशत मात्रा में विषाक्त डायथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया, जिससे यह दवा जहरीली हो गई| इसी कारण, केंद्र सरकार ने एक संयुक्त अध्ययन के बाद पाया है कि श्रीसन फार्मा और जयपुर की कैसन फार्मा द्वारा निर्मित दवाइयाँ घटिया गुणवत्ता की हैं और उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं| केंद्र सरकार ने पहले ही इन दवाओं का भंडारण, बिक्री, उपयोग या प्रिस्क्रिप्शन न करने का एक परिपत्र जारी कर दिया है| इसके अलावा, राज्य सरकार ने एक परिपत्र भी भेजा है| डायथिलीन ग्लाइकॉल का उपयोग करके अन्य कंपनियों द्वारा निर्मित दवाओं के नमूने एकत्र करके प्रयोगशाला में भेजे जाएँ| रिपोर्ट आने के बाद, दवा की गुणवत्ता के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाए| स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इन दोनों कंपनियों की दवाएँ हमारे राज्य में आपूर्ति नहीं की जाती हैं|
हालाँकि, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में इनसे बच्चों की मौत हुई है| यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये दवाएँ हम तक न पहुँचें| उन्होंने यह भी कहा कि खतरनाक डायथिलीन ग्लाइकॉल के साथ मिश्रित दवाओं के नमूने, चाहे वे किसी भी कंपनी द्वारा निर्मित हों, एकत्र किए जाएँगे और उनकी जाँच की जाएगी| कर्नाटक देश में खाद्य एवं औषधि सुरक्षा का सबसे अधिक ध्यान रखने वाला राज्य है| उन्होंने कहा कि हमने किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक निरीक्षण किए हैं| केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार, ५ वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रासायनिक दवाएँ नहीं दी जा सकतीं| उन्होंने सलाह दी कि विशेष रूप से खतरनाक मिलावट वाली दवाओं का उपयोग करना उचित नहीं है|