छात्रों ने किया रेन वाटर हार्वेस्टिंग का नायाब प्रयोग
88 खराब पाइप जोड़कर बीएचयू हॉस्टल में बनाई नालियां
वाराणसी, 06 अक्टूबर (एजेंसियां)। बीएचयू के छात्रों ने एक हॉस्टल में ऐसे सिस्टम तैयार किया है, जिसने यहां बारिश के बाद जलभराव नहीं होने दिया। बारिश बंद होते ही पानी सीधे जमीन के नीचे पाइपों के जाल से होते हुए मुख्य निकासी में मिल गया।
बनारस में 187 मिमी बारिश के बाद बीएचयू में चारों ओर कमर तक जलभराव की समस्या देखने को मिली। वहीं, दूसरी ओर बीएचयू का एक हॉस्टल ऐसा भी था जिसके रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम ने 10 मिनट भी हॉस्टल परिसर में पानी नहीं लगने दिया। बारिश बंद होते ही पानी सीधे जमीन के नीचे पाइपों के जाल से होते हुए मुख्य निकासी में मिल गया। इस हॉस्टल में रहने वाले छात्रों ने ही ये सिस्टम तैयार किया है।
बीएचयू के सरदार वल्लभ भाई पटेल हॉस्टल में नौ जगहों पर वाटर ड्रेन बनाए गए हैं, जिनकी गहराई 10-10 फीट तक है। इससे पानी धीरे-धीरे जमीन के अंदर चला जाता है। दशकों से बेकार पड़े 88 टेलीफोन पाइप को निकाला गया और कुछ पाइप की वेल्डिंग कराई और जमीन के अंदर नाली बनाकर कुल 19 चैंबर बनाए। इन सभी छोटे-छोटे चैंबर के सहारे सभी तरह की जल निकासी को मुख्य चेंबर के साथ जोड़ दिया गया। इसमें 12 वाटर कूलर फिल्टर भी लगाए गए हैं।
इस सिस्टम को हॉस्टल के प्रशासनिक संरक्षक डॉ. धीरेंद्र राय और उनके छात्रों की टीम ने तैयार किया है, जिसमें आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक प्रो. वी कुमार की मदद ली गई है। हॉस्टल के वॉलीबॉल कोर्ट, दो बैडमिंटन कोर्ट, दर्जनों सीटिंग बेंच सहित परिसर में छोटे बड़े कुल नौ उद्यान में कहीं भी जलभराव नहीं था। इन सब काम को बिना किसी सरकारी वित्तीय मदद के छात्रों के साथ मिलकर किया गया। डॉ. राय ने बताया कि यह सब हॉस्टलर्स और यहां के लोगों की वजह से संभव हो पाया है। छात्रावास के छात्रों और कर्मचारियों के साथ मिलकर पांच वर्ष पहले ही लैंडस्केपिंग, गार्डनिंग, प्लांटेशन और जलनिकासी पर बहुत कार्य किया। सात महीने तक काम चला। इसमें कुल 840 ट्रक मिट्टी और 7000 ईंटें लगीं। आईआईटी बीएचयू के प्रो. वी कुमार ने इस स्ट्रक्चर डिजाइनिंग में मदद की थी। छुट्टी में सभी छात्र जुटते थे और इस काम को पूरा करते थे। ये काम सामूहिक और व्यक्तिग