सपा नेता आजम खां को जमानत मिली, पर मुश्किलें कायम
आजम खां पर दर्ज कई मामलों में आने वाले हैं फैसले
रामपुर, 24 सितंबर (एजेंसियां)। सपा नेता आजम खां भले ही जमानत मिलने पर जेल से बाहर आए गए हों, लेकिन उनकी मुश्किलें बरकरार हैं। तीन मामले फैसले के करीब पहुंच चुके हैं। शत्रु संपत्ति के मामले में तीन धाराएं बढ़ चुकी हैं। सपा नेता की 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से मुश्किलें शुरू हुईं थीं। उनके लिए जहां एक अक्टूबर का दिन अहम माना जा रहा है। वहीं तीन मामले भी फैसले के करीब पहुंच चुके हैं। जल्द ही इन मामलों में फैसला आ सकता है।
सपा नेता आजम खां मंगलवार को सीतापुर जेल से रिहा होकर रामपुर पहुंच गए। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद शुरू हुईं सपा नेता की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। पहले 27 माह और फिर 23 माह तक जेल में रहने के बाद रिहा हुए सपा नेता के चेहरे पर भी खुशी दिख रही थी, लेकिन मुश्किलें बरकरार हैं। सपा नेता के खिलाफ कुल 104 मामले दर्ज हुए थे, इनमें से कुछ मामले दूसरे जिलों में भी विचाराधीन है। सूत्रों के अनुसार, मौजूदा समय में 59 मामले सेशन कोर्ट, जबकि 19 मामले मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहे हैं। 12 मामलों में फैसला आ चुका है, जिसमें पांच मामले में सजा हो चुकी है। इसके साथ ही सात में उन्हें बरी किया जा चुका है। फिलहाल तीन मामले फैसले के करीब पहुंच चुके हैं।
भड़काऊ भाषण मामले में जल्द फैसला आने की उम्मीद है। यह मामला वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का है। आजम खां पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े थे और जीते भी थे। इस दौरान सिविल लाइंस कोतवाली में तत्कालीन एसडीएम सदर प्रेम प्रकाश तिवारी ने आजम खां के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि 23 अप्रैल 2019 को आजम खां का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ था। इसमें वह जनसभा में मतदाताओं को पुलिस के प्रति भड़का रहे थे और निर्धारित अवधि के बाद भी मतदान करने के लिए उकसा रहे थे। इसे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना गया था। यह मामला अब फैसले के करीब पहुंच गया है।
पूर्व सांसद अमर सिंह के परिवार को लेकर आजम खां का आपत्तिजनक बयान देने का मामला भी फैसले के करीब है। अमर सिंह की ओर से लखनऊ के गोमतीनगर थाने वर्ष 2018 में आजम खां के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसमें आरोप है कि आजम खां ने 23 अगस्त 2018 को एक न्यूज चैनल को साक्षात्कार दिया था। इस दौरान अमर सिंह से संबंधित सवाल पर आजम खां ने उनके परिवार को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। बाद में यह मामला लखनऊ से रामपुर स्थानांतरित हो गया था। सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में चल रही है।
सपा नेता आजम खां शत्रु संपत्ति के मामले में एक अक्टूबर को एमपी-एमएलए कोर्ट में हाजिर होंगे। कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने को कहा है। इस मामले में पुलिस की ओर से तीन धाराओं को बढ़ाया जा चुका है। बचाव पक्ष का कहना है कि धाराएं बढ़ाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। इस वजह से इस मामले में सपा नेता को कस्टडी में नहीं लिया गया है।
सपा नेता आजम खां से जुड़े यतीमखाना बस्ती मामले में गवाह से जिरह हुई। उनसे जिरह नहीं हो सकी। इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को होगी। यतीमखाना बस्ती मामले में एमपीएमएलए कोर्ट में सुनवाई हुई। मंगलवार को इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से गवाह जाहिद को कोर्ट में पेश किया। जाहिद से अभियोजन की ओर से जिरह की गई। जाहिद से जिरह पूरी नहीं हो सकी। अब इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को होगी। इसके अलावा भड़काऊ भाषण मामले में सुनवाई होनी थी लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। वहीं किसानों की जमीन कब्जाने के मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 30 जून 17 को सिविल लाइंस कोतवाली में सपा नेता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि आजम खां ने सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सरकार के खिलाफ बोलते-बोलते सेना पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। एडीजीसी संदीप कुमार का कहना है कि तीनों मामलों में बहस पूरी हो चुकी है। जल्द ही फैसला आ सकता है।
पूर्व मंत्री एवं सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां की जमानत के बाद भी उनकी मुश्किलें कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। दरअसल, आजम के खिलाफ आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच जारी है, जिसमें उनके खिलाफ कार्रवाई होनी बाकी है। खासकर आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट मौलान अली जौहर विश्वविद्यालय को इंडी द्वारा जब्त किया जाना है। हालांकि अभी तक जौहर विवि पर ईडी का चाबुक नहीं चल सका है।
बता दें कि आयकर विभाग ने दो वर्ष पूर्व आजम खां के यूपी समेत देश भर में 30 से ज्यादा ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें जौहर विवि का निर्माण कराने वाली जौहर ट्रस्ट के तमाम पदाधिकारियों के ठिकाने भी शामिल थे। जांच के बाद आयकर विभाग ने जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में करीब 350 करोड़ रुपए की गड़बड़ी का पता लगाया था। जांच में सामने आया था कि विवि के निर्माण में अवैध रूप से यह रकम खर्च की गई, जिसका स्रोत ट्रस्ट नहीं बता सका था। आयकर विभाग ने इसके बाद जौहर ट्रस्ट से जुर्माने और ब्याज सहित 550 करोड़ रुपए वसूलने की कवायद भी शुरू की थी।
वहीं ईडी ने भी जौहर विश्वविद्यालय के साथ आजम खां, उनकी पत्नी तंजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम की चल-अचल संपत्तियों की भी जांच की है। नेता, ठेकेदार और आर्किटेक्ट भी फंसे आयकर जांच में जौहर विवि को अपनी निधि देने वाले तमाम सांसद, विधायक, कार्यदायी संस्थाओं, जल निगम, पीडब्ल्यूडी और ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी, ठेकेदार और आर्किटेक्ट भी फंसे थे। साथ ही गोमतीनगर के विवेक खंड निवासी आर्किटेक्ट अहमद हारुन, निसार अहमद, समरीन अहमद, इंदिरानगर निवासी सीमा नदीम, डालीबाग निवासी आफाक अहमद भी जांच के दायरे में आए थे।
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