तौकीर रजा के आठ गुर्गों का खोला गया निगरानी कार्ड
बरेली बवाल
बरेली, 05 अक्टूबर (एजेंसियां)। बरेली बवाल के मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा के आठ खास गुर्गों का एलआईयू निगरानी कार्ड खोल दिया है। पुलिस के मुताबिक बवाल के लिए भीड़ जुटाने जिम्मेदारी इन्हीं खास गुर्गों पर थी।
पुलिस ने बताया कि बरेली में 26 सितंबर को हुए बवाल के बाद पुलिस ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा के आठ गुर्गों का एलआईयू निगरानी कार्ड खोल दिया है। बवाल में अहम भूमिका निभाने वाले इन आरोपियों और इनके करीबियों की खुफिया जांच के बाद फाइल खोली जाएगी। इसके बाद ये सभी ताउम्र स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) की निगरानी में रहेंगे।
मौलाना तौकीर रजा के आह्वान पर 26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद शहर में जुटी भीड़ ने बवाल किया था। इस दौरान पुलिस टीम पर पथराव व फायरिंग भी की गई थी। पुलिस की एंटी राइट गन व एक वायरलेस सेट लूट लिया गया था। इस दौरान 22 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। शहर में 10 स्थानों पर उपद्रवियों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इस मामले में पुलिस अब तक मौलाना तौकीर रजा समेत 84 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इनमें तीन को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया है।
पुलिस जांच के दौरान सामने आया है कि 26 सितंबर को भीड़ जुटाने और बवाल कराने में मौलाना के खास गुर्गे नफीस, नदीम खान, अफजाल बेग, पार्षद अनीस सकलैनी, मीडिया प्रभारी मुनीर अहमद उर्फ मुनीर इदरीसी, अल्तमश रजा, मौलाना एहसान उल हक चतुर्वेदी और साबिक जमाल खां की अहम भूमिका रही। यह आरोपी पहले भी ऐसे प्रदर्शन करते रहे हैं, जिनसे शहर की शहर की कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक माहौल खराब हो सकता था। ऐसे में अब इनको ताउम्र पुलिस के साथ-साथ खुफिया निगरानी में रहना होगा।
कार्ड खोले जाने के बाद खुफिया इकाई आरोपियों, उसके परिवार और करीबियों की कुंडली खंगालने में जुट गई है। इसके बाद आरोपियों की फाइल खोली जाएगी। खुफिया इकाई उन लोगों का कार्ड और फाइल खोलती है, जो कम से कम पांच वर्षों से सक्रिय हों और सरकार के फैसलों को लेकर लगातार ऐसे विरोध-प्रदर्शनों का आयोजन करते रहे हों, जिनसे सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने या दंगा होने की आशंका रहती हो। ऐसे मामलों में खुफिया इकाई कार्ड खोलते हुए एसएसपी को रिपोर्ट भेजती है। एसएसपी के स्तर से रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जाती है। इसके बाद फाइल खोली जाती है। फाइल खुलने के बाद संबंधित व्यक्ति जब तक जीवित रहता है, तब तक पुलिस के साथ-साथ खुफिया इकाई भी उसकी और उसके करीबियों की निगरानी करती है।
बवाल के मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा का एलआईयू कार्ड और उसके बाद फाइल कई साल पहले ही खोली जा चुकी है। उसके सबसे करीबी खुद को डॉक्टर बताने वाले नफीस की भी काफी समय से खुफिया निगरानी चल रही है। मौलाना को इस बारे में पता था। ऐसे में वह हिंसा, बवाल से दूसरी बनाए रखता था। उसके निर्देश पर सिपहसालार भीड़ जुटाने, माहौल खराब करने और हिंसा भड़काने की कोशिश करते थे। इस बार ये सिपहसालार भी रडार पर आ गए हैं।
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