पांच राज्यों में पहले शुरू होगा एसआईआर
पूरे देश में शुरू होगी एसआईआर की चरणबद्ध प्रक्रिया
बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु कतार में पहले
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (एजेंसियां)। राष्ट्रीय चुनाव आयोग पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम शुरू करेगा। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि एसआईआर प्रक्रिया की शुरुआत उन राज्यों से हो सकती है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। आयोग उन राज्यों में मतदाता सूची संशोधन अभियान नहीं चलाएगा जहां स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं या हो रहे हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव मशीनरी, निकाय चुनाव में व्यस्त है और इसके चलते वे एसआईआर पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में साल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन पांच राज्यों के अलावा पहले चरण में कुछ अन्य राज्यों में भी एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। बिहार में एसआईआर का काम पूरा हो गया है, जहां 30 सितंबर को लगभग 7.42 करोड़ नामों वाली अंतिम सूची प्रकाशित की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों में मतदाता सूचियों का गहन पुनरीक्षण शुरू करने का काम चल रहा है और इसे शुरू करने पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग द्वारा लिया जाएगा।
चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने इस महीने की शुरुआत में एक सम्मेलन में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों (सीईओ) से अगले 10 से 15 दिनों में एसआईआर शुरू करने के लिए तैयार रहने को कहा था। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने राज्यों की मतदाता सूचियों को अंतिम एसआईआर के बाद प्रकाशित रखें। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम बार गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में, अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था, और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर है। अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची की अंतिम एसआईआर 2002 और 2004 के बीच थी। एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध मतदाताओं के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें मतदाता सूची से बाहर निकालना है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि बिहार के बाद पूरे देश में एसआईआर जल्द शुरू होगा। देशभर में एसआईआर कराने के लिए चुनाव आयोग के पास संवैधानिक अधिकार है। मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है।
सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि बिहार हो या बाकी पूरा देश, आधार कार्ड सिर्फ पहचान का प्रमाण है। यह नागरिकता का नहीं प्रमाण पत्र नहीं हो सकता। सिर्फ देश के नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग से कहा कि वह बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के बाद तैयार अंतिम मतदाता सूची से बाहर किये गए 3.66 लाख मतदाताओं का विवरण उसे उपलब्ध कराए। निर्वाचन आयोग ने न्यायालय को सूचित किया कि 30 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची के प्रकाशित होने के बाद जोड़े गए ज्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं और अब तक सूची से बाहर किए गए किसी भी मतदाता ने कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह निर्देश तब पारित किया, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) जैसे विपक्षी दलों के नेताओं सहित कुछ याचिकाकर्ताओं ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अंतिम सूची से मतदाताओं को हटाए जाने को लेकर कोई नोटिस या कारण नहीं बताया है। पीठ चुनावी राज्य बिहार में एसआईआर कराने के निर्वाचन आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उसने कहा कि निर्वाचन आयोग बाहर रखे गए मतदाताओं के बारे में उपलब्ध सभी जानकारी बृहस्पतिवार (9 अक्टूबर) तक अदालत के रिकॉर्ड पर लाये, जब वह एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगे की सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी के पास मतदाता सूची का मसौदा है और अंतिम सूची भी 30 सितंबर को प्रकाशित हो चुकी है, इसलिए तुलनात्मक विश्लेषण के माध्यम से आवश्यक आंकड़े प्रस्तुत किए जा सकते हैं।
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