यूरिया और डिटर्जेंट मिलाकर बन रहा है नकली पनीर

पनीर में चमक लाने के लिए टिनोपाल का इस्तेमाल

 यूरिया और डिटर्जेंट मिलाकर बन रहा है नकली पनीर

लखनऊ, 15 अक्टूबर (एजेंसियां)। त्यौहार के मौसम में पूरे प्रदेश में यूरिया से बना हुआ नकली पनीर बिक रहा है। प्रदेश में धड़ल्ले से यूरियाडिटर्जेंट मिलाकर नकली पनीर बनाई जा रही है। इसे चमकदार बनाने के लिए टिनोपाल और आला का प्रयोग किया जा रहा हैजो पनीर की विषाक्तता बढा रहा है। इस पनीर को बनाने का तरीका राजस्थान से आए कारीगर सीखा रहे हैं। एफएसडीए ने इन कारीगरों की धर पकड़ के लिए पुलिस से मदद मांगी है। डॉक्टरों का कहना है कि यह पनीर लोगों को कई तरह की बीमारियां दे रहा है।

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की ओर से पनीरखोवा एवं उससे बनी मिठाइयों की जांच कराई जा रही है। जांच अभियान आठ अक्टूबर से शुरू हुआ हैजो 17 अक्टूबर तक चलेगा। इस बीच करीब डेढ़ करोड़ की पनीरखोवा व अन्य सामग्री नष्ट कराई गई है। नोएडाहापुड़मेरठआगराकानपुरउन्नावलखनऊबरेलीगोरखपुर सहित विभिन्न जिलों में पकड़ी गई नकली पनीर के मामले में चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। एफएसडीए के अधिकारियों ने बताया कि नकली पनीर में दूध के बजाय पाम ऑयलडिटर्जेंटयूरियाऔर सिंथेटिक केमिकल मिलाए जाते हैं।

इससे पनीर का रंग हल्का धुंधला हो जाता है। इसे चमकदार बनाने के लिए इस बार उसमें टिनोपाल और आला की भी मिलावट मिली है। टिनोपाल कपड़ों और डिटर्जेंट के लिए औद्योगिक ग्रेड आप्टिकल ब्राइटनिंग एजेंट है। यह रासायनिक यौगिक हैजो कपड़ों की सफेदी निखारता और कपड़े चमकदार दिखाई देने लगते हैं। इसी तरह आला भी रासायनिक हैजो सिंथेटिक कपड़ों की सफाईधुलाई और ब्लीचिंग के लिए किया जाता है। यह सेहत के लिए बेहद हानिकारक है। संयुक्त आयुक्त (खाद्य) हरिशंकर सिंह ने बताया कि नकली पनीर बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। बाहर से आने वाले कारीगरों को पकड़ना मुश्किल हो रहा है। नकली पनीरखोवा व अन्य सामग्री को तत्काल नष्ट कराया जा रहा है। पुलिस की भी मदद ली जा रही है।

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक नकली पनीर के केस पहले भी मिलते थेलेकिन इस बार चमक बढ़ाने के लिए टिनोपाल और आला मिलाने का मामला सामने आया है। वजन बढ़ाने के लिए खड़िया मिट्टी भी मिला रहे हैं। यह ट्रेंड राजस्थान के अलवर और आसपास के जिले से आए कारीगर ले आए हैं। विभिन्न स्थानों पर पनीर की जांच और पकड़े गए लोगों से इसके पुख्ता सबूत मिले हैं। राजस्थान से आए कारीगर किसी एक जिले में रात के वक्त पनीर तैयार करते हैं और सुबह उसे मंडी में भेजने के बाद संबंधित स्थान से फरार हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें पकड़ना भी मुश्किल है। राजस्थान की सीमा से लगे जिलों में विशेष निगरानी की जा रही है। साथ ही पुलिस से भी मदद मांगी गई है।

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केजीएमयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा ने कहा, इन दिनों बाजार का पनीर खाना खतरनाक है। यह शरीर के लिए धीमे जहर का काम करता है। यूरियाडिटर्जेंटआला और टिनोपाल आहार नली से आंतों में पहुंचते हैं। यह रासायनिक तत्व खून में मिलते हैं। टॉक्सिन्स बढ़ेगा। लिवर और किडनी को फिल्टर करने में दिक्कत होगी और फिर उनके फेल होने का खतरा रहता है। लिवरकिडनी और पाचन तंत्र को क्षति पहुंचाती है। इसकी वजह से कैंसर जैसा घातक रोगों भी हो सकता है। शुरुआती दौर में पेट में दर्दअपचएलर्जीउल्टी- दस्त जैसे लक्षण आते हैं। ट्रांस फैट से दिल को खतरा रहता है। क्योंकि हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल आयल नसों को ब्लॉक कर देता है।

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असली पनीर मुलायमदूधिया महक वाला होता है और पानी में तैरता हैजबकि नकली पनीर सख्तरबड़ जैसाकेमिकल गंध वाला और पानी में डूबने वाला होता है। नकली पनीर को हाथ से रकड़ने पर रबर जैसा और बहुत चिपचिपा दिखेगा। दबाने पर यह प्लास्टिक की तरह उछलता है। गर्म पानी में डालने पर यह घुलने लगता है और टूट जाता है। कई बार सतह पर तेल या चिपचिपी परत छोड़ सकता है। असली पनीर पर आयोडीन टिंचर डाला जाए तो यह रंग नहीं बदलता हैजबकि नकली पनीर में स्टार्च होने की वजह से नीला या काला हो जाता है।

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एफएसडीए की आयुक्त डॉ. रौशन जैकब ने कहा, मिलावट का कारोबार खत्म करने के लिए विभाग ने जांच अभियान शुरू किया है। सप्ताहभर में बड़ी मात्रा में पनीर व अन्य सामग्री नष्ट कराई गई है। जुर्माना लगाया गया है। फिर भी खाद्य पदार्थों में मिलावटनकली उत्पादों के निर्माण अथवा विक्रयसंगठित रूप में मिलावट की सूचना वाट्सएप नंबर 9793429747 पर दें। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।

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