ठेकेदारों ने 33 हजार करोड़ रुपये के बकाया भुगतान पर चिंता जताई
बेंगलुरु, 17 अक्टूबर 2025: कर्नाटक में ठेकेदार संघ के अध्यक्ष मंजूनाथ ने शुक्रवार को लंबित सरकारी भुगतानों को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि कुल 33,000 करोड़ रुपये के बिल अभी तक भुगतान नहीं किए गए हैं। मंजूनाथ ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्रियों से कई बार मिले हैं। हर बार आश्वासन दिया गया कि भुगतान जल्द ही किया जाएगा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।"
मंजूनाथ ने बताया कि लोक निर्माण विभाग (PWD) में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक के बिल लंबित हैं, जबकि प्रमुख और लघु सिंचाई विभागों में 12,000 करोड़ रुपये के बिल भुगतान के इंतजार में हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की देखरेख में ये भुगतान नहीं किए गए।
संघ ने पहले उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी शिकायतें बताई थीं। इसके बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया। बैठक के दौरान श्री शिवकुमार ने लंबित बिलों के जल्द भुगतान का आश्वासन दिया।
कर्नाटक राज्य ठेकेदार संघ (KSCA) ने पिछले महीने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि वर्तमान कांग्रेस सरकार में ठेके हासिल करने के लिए रिश्वत की दर बढ़कर 50 फीसदी हो गई है, जबकि भाजपा शासन के दौरान यह 40 फीसदी थी। संघ ने भ्रष्टाचार में कथित वृद्धि के संबंध में उपमुख्यमंत्री शिवकुमार सहित तीन मंत्रियों का नाम लिया।
संघ के आरोप में कहा गया कि शिवकुमार के पास दो प्रमुख विभाग जल संसाधन और बेंगलुरु विकास हैं। इसके अलावा लोक निर्माण मंत्री सतीश जरकीहोली और लघु सिंचाई मंत्री एनएस बोसराजू का भी हवाला दिया गया। केएससीए ने यह मामला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के संज्ञान में लाने के लिए कई पत्र लिखे हैं।
मंजूनाथ ने कहा कि लंबित भुगतानों के कारण कई ठेकेदार परियोजनाओं में देरी का सामना कर रहे हैं। इससे न केवल उनके व्यवसाय पर असर पड़ रहा है, बल्कि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द बकाया राशि का भुगतान किया जाए ताकि निर्माण कार्य समय पर पूरे हो सकें और ठेकेदार संघ की आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहे।
ठेकेदार संघ की यह चिंता कर्नाटक में सरकार और उद्योग के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है। संघ का मानना है कि लंबित भुगतान और कथित रिश्वत की बढ़ती दर ने ठेकेदारों के मनोबल को प्रभावित किया है और यह स्थिति राज्य के विकास कार्यों में बाधा डाल रही है।
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