आरएएस अधिकारी को थप्पड़ मारने पर निलंबित कर राजस्थान सरकार की कार्यशैली पर उठे भारी सवाल
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर, (एजेंसियां)। राजस्थान में प्रशासनिक कार्यशैली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। राज्य सरकार ने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारी छोटू लाल शर्मा को निलंबित कर दिया है। शर्मा भीलवाड़ा जिले के जसवंतपुरा क्षेत्र में एक पेट्रोल पंप कर्मचारी को थप्पड़ मारने के मामले में विवादों में घिर गए थे। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो गई, लेकिन इस कार्रवाई की पारदर्शिता और तात्कालिकता पर सवाल उठने लगे हैं।
राजस्थान सरकार ने बृहस्पतिवार रात प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए शर्मा को निलंबित करने का आदेश जारी किया। निलंबन अवधि के दौरान उन्हें प्रतापगढ़ में उपखंड अधिकारी (SDM) के पद से हटा कर कार्मिक विभाग जयपुर से संबद्ध रहने का निर्देश दिया गया है। यह कदम राज्य सरकार की कार्यशैली और त्वरित निर्णय क्षमता पर नए सवाल खड़े करता है। कई लोगों का मानना है कि इस मामले में कार्रवाई एकतरफा प्रतीत होती है और इसमें पक्षपात की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
घटना का वीडियो सीसीटीवी में कैद हुआ है, जिसमें देखा गया कि अधिकारी शर्मा पंप कर्मचारियों से नाराज होकर बहस कर रहे थे। उनका आरोप था कि उनके पहले आने के बावजूद उनके वाहन में पेट्रोल नहीं भरा जा रहा था। विवाद बढ़ते ही अधिकारी ने कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया, जिससे वहां मौजूद लोग और वीडियो देखने वाले लोग आक्रोशित हो गए। वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर गहन चर्चा शुरू हो गई और राज्य प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे।
पुलिस ने इस घटना के सिलसिले में पेट्रोल पंप के तीन कर्मचारियों—दीपक माली, प्रभु लाल कुमावत और राजा शर्मा—को गिरफ्तार किया है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच अभी चल रही है। इस कार्रवाई को लेकर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अधिकारी के खिलाफ इतनी तेजी से कार्रवाई की गई, जबकि कर्मचारियों की भूमिका पर अभी जांच पूरी भी नहीं हुई थी। इस तरह की एकतरफा कार्रवाई पर लोगों में असंतोष और शंका दोनों बढ़ रहे हैं।
राजस्थान सरकार की यह कार्रवाई कई लोगों को विवादास्पद लग रही है। अधिकारी के निलंबन के तुरंत बाद सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में इस बात पर बहस शुरू हो गई कि क्या यह कदम निष्पक्ष था या इसमें किसी प्रकार का दबाव और त्वरित निर्णय का प्रभाव था। कुछ लोगों का कहना है कि अधिकारी के खिलाफ इतनी कठोर कार्रवाई करके सरकार ने प्रशासनिक कार्यशैली की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा किया है। वहीं, अन्य लोग इसे अनुशासन कायम रखने और जवाबदेही दिखाने का प्रयास मान रहे हैं, लेकिन इसमें संतुलन की कमी स्पष्ट है।
इस पूरे मामले ने राज्य में प्रशासनिक जिम्मेदारी और कार्रवाई की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अधिकारी शर्मा को निलंबित करना राज्य सरकार की त्वरित कार्रवाई दिखाता है, लेकिन साथ ही यह भी संकेत देता है कि प्रशासनिक निर्णयों में कभी-कभी पक्षपात और अधूरी जांच के आधार पर कदम उठाए जा सकते हैं। जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि कार्रवाई कितनी न्यायसंगत थी और क्या राज्य सरकार ने सभी पहलुओं का सही तरीके से मूल्यांकन किया।
यह मामला राजस्थान सरकार की कार्यशैली, अधिकारियों के अनुशासन, सोशल मीडिया की भूमिका और प्रशासनिक निर्णयों में संतुलन की गंभीरता पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। राज्य में प्रशासनिक कार्यशैली पर लोगों की निगाह अब और तीखी हो गई है, और यह देखना बाकी है कि जांच के परिणाम के बाद सरकार किस तरह से अपनी कार्यशैली की आलोचना और सवालों का सामना करती है।
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