जीतने की जद्दोजहद में केंद्रीय मंत्री की भतीजी
नगरोटा विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
जम्मू, 23 अक्टूबर (ब्यूरो)। जम्मू संभाग की जिस नगरोटा विधानसभा सीट पर 11 नवंबर को उप चुनाव होना है वहां पर पूर्व दिवंगत विधायक देवेंद्र राणा की बेटी और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की भतीजी देवयानी राणा की इज्जत दांव पर है। देवयानी राणा इस विधानसभा क्षेत्र में अपने दिवंगत विधायक पिता की थाती संभालने के प्रयास में हैं।
नगरोटा विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव 11 नवंबर को होना है। इस सीट पर 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। सभी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान तेज कर दिया है। राजनीतिक दल मतदाताओं को अपने पक्ष में करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। नगरोटा विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग अधिकारी को कुल 13 नामांकन प्राप्त हुए, जिनमें से जांच के दौरान दो निर्दलीय उम्मीदवारों नजाकत अली खटाना और हरबंस लाल भगत के नामांकन पत्र खारिज हो गए। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार देवयानी सिंह राणा का एक डुप्लिकेट नामांकन पत्र भी खारिज कर दिया गया, जबकि उनका मूल नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया गया।
अब, अगर शुक्रवार शाम तक कोई भी उम्मीदवार अपना नामांकन वापस नहीं लेता है, तो कुल 10 उम्मीदवार इस हाई प्रोफाइल सीट पर चुनाव लड़ेंगे। नगरोटा से भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र सिंह राणा ने 2024 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन 31 अक्टूबर 2024 को उनके निधन के बाद यह सीट खाली हो गई। भाजपा ने दिवंगत विधायक राणा की 30 वर्षीय बेटी देवयानी सिंह राणा को उम्मीदवार बनाया है, जो पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। देवयानी ने कई बार कहा है कि नगरोटा के लोगों के साथ खड़े होना उनके पिता की अंतिम इच्छा थी, जिसके कारण वह सक्रिय राजनीति में उतरीं हैं।
अपने पिता की विरासत, पार्टी के समर्थन और भावनात्मक दृष्टिकोण के कारण इस सीट पर देवयानी राणा की स्थिति मजबूत दिख रही है, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस की शमीमा बेगम से कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। शमीमा बेगम नगरोटा विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्र डंसाल से जिला विकास पार्षद (डीडीसी) हैं। इसके अलावा नेशनल पैंथर्स पार्टी (इंडिया) के उम्मीदवार हर्ष देव सिंह से चुनौती पेश कर रहे हैं, जो पूर्व मंत्री हैं और भाजपा और उसकी नीतियों के आलोचक हैं।
आम आदमी पार्टी (आपा) ने भी इस सीट से अपने उम्मीदवार जोगिंदर सिंह को मैदान में उतारा है, लेकिन पार्टी की इस क्षेत्र में ज्यादा उपस्थिति नहीं दिख रही है। साथ ही आप के प्रदेश संयोजक मेहराज मलिक पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वह अभी भी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत जेल में हैं, इसलिए आप की तरफ से इस सीट पर कोई प्रभाव डालने की संभावना कम हो गई है। नगरोटा सीट पर सबसे ज्यादा चर्चा निर्दलीय उम्मीदवार अनिल शर्मा की है, जो भाजपा नेता थे और देवयानी राणा को टिकट देने के पार्टी के फैसले को स्वीकार नहीं किया और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। भले ही वह यह सीट न जीत पाएं, लेकिन जो भी वोट उन्हें मिलेंगे, वे भाजपा से कटेंगे। इसलिए वह भाजपा की वोट में सेंध लगा सकते हैं।

