बिहार चुनाव में इंडी गठबंधन ने उतारी दागियों की फौज

 जंगलराज की राजनीति से उबर नहीं पाए राजनीतिक दल

 बिहार चुनाव में इंडी गठबंधन ने उतारी दागियों की फौज

 लेफ्ट के सौ प्रतिशत प्रत्याशी दागी, दूसरे नंबर पर राजद

पटना, 01 नवंबर (एजेंसियां)। बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण जैसे-जैसे नजदीक आ रहा हैवैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियों के दावे और हकीकत के बीच का फर्क साफ दिखने लगा है। हर पार्टी साफ-सुथरी सरकारलॉ एंड ऑर्डर और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार का वादा कर रही हैलेकिन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआरऔर बिहार इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट इन दावों पर पानी फेर रही है।

रिपोर्ट बताती है कि चुनाव लड़ रहे कुल 1303 उम्मीदवारों में से 32 फीसदी पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाली पार्टियां हैं राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कम्युनिस्ट पार्टियां (सीपीआईसीपीआई-एमसीपीआई-एमएऔर कांग्रेस। वहींजनता दल यूनाइटेड (जदयूइस लिस्ट में सबसे नीचे हैजो दिखाता है कि एनडीए और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू अपराधी छवि वाले उम्मीदवारों से दूर रहने की कोशिश कर रही है। भाजपा भी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है।

इस रिपोर्ट ने विपक्ष को कटघरे में खड़ा कर दिया हैखासकर राजद को जहां लालू परिवार के करीबियों पर भारी-भरकम केस हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में हर तीसरा उम्मीदवार दागी है। एडीआर और बिहार इलेक्शन वॉच ने बिहार चुनाव के पहले फेज के 121 विधानसभा सीटों पर लड़ रहे 1,314 उम्मीदवारों के एफिडेविट्स का विश्लेषण किया। ये एफिडेविट चुनाव आयोग में जमा किए गए हैंजहां उम्मीदवारों को अपनी सम्पत्तिशिक्षा और क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी देनी पड़ती है। लेकिन 11 उम्मीदवारों के एफिडेविट स्पष्ट नहीं थेइसलिए विश्लेषण 1,303 उम्मीदवारों पर आधारित है। रिपोर्ट की सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि 423 उम्मीदवारों (32 प्रतिशतने खुद कबूला है कि उनके ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें से 354 (27 प्रतिशतपर तो गंभीर अपराधों के केस हैंजैसे हत्याहत्या का प्रयासमहिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार के।

तथ्यों और आंकड़ों के मुताबिक 33 उम्मीदवारों पर हत्या से जुड़े केस यानि आईपीसी की धारा 302-303 और बीएनएस की धारा 103(1) के तहत केस दर्ज हैं। 86 उम्मीदवारों पर हत्या प्रयास के केस अर्थात आईपीसी  की धारा 307 और बीएनएस की धारा 109 के तहत केस दर्ज हैं। 42 उम्मीदवारों पर महिलाओं पर अत्याचार के केसजिसमें दो प्रत्याशियों पर बलाकार (आईपीसी  की धारा 376) के भी केस दर्ज हैं। इसके अलावा कई पर भ्रष्टाचारचुनावी अपराधसरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने और हत्या-बलात्कार जैसे संगीन अपराधों के केस हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि बिहार की राजनीति में अपराधीकरण कितना गहरा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूदजहां पार्टियों को दागी उम्मीदवारों को टिकट देने पर सफाई देनी पड़ती हैपार्टियां बेझिझक ऐसे लोगों को मैदान में उतार रही हैं। रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि चुनाव आयोग ने पार्टियों को वेबसाइट पर दागी उम्मीदवारों की जानकारी डालने का आदेश दिया हैलेकिन कई पार्टियां इसका पालन नहीं कर रही हैं।

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पार्टियों के हिसाब से बात करें तो राजदकांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों वाला विपक्षी गठबंधन दागी उम्मीदवारों को टिकट देने में सबसे आगे है। वहींएनडीए की पार्टियों (भाजपा और जदयूने अपेक्षाकृत कम दागी उम्मीदवार उतारे हैं। सीपीआई (एमएल) (एल) के 14 उम्मीदवारों में से 13 (93 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस हैं। इनमें से 9 (64 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। ये वामपंथी पार्टी हमेशा गरीबों और मजदूरों की बात करती हैलेकिन उसके उम्मीदवारों पर हत्यादंगा और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने के केस भरे पड़े हैं।

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सीपीआई (एम) के 3 में से 3 (100 प्रतिशतउम्मीदवार पर गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। पहले चरण में सीपीआई-(एम) ने सिर्फ 3 उम्मीदवार उतारे हैंलेकिन 100 प्रतिशत रेट के साथ सभी दागी हैं। सीपीआई के 5 में से 5 (100 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें से  प्रत्याशियों (80 प्रतिशतपर गंभीर अपराध के केस हैं।

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पार्टी वाइज़ दागी प्रत्याशियों की संख्या देखें तो राजद के 70 उम्मीदवारों में से 53 (76 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस हैं। उनमें भी 42 (60 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। राजद सबसे ज्यादा दागी प्रत्याशियों को टिकट देने वाली पार्टी है। खुद चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की पार्टी को अब भी दागी नेताओं पर ही भरोसा है। कांग्रेस पार्टी के कुल 23 उम्मीदवारों में से 15 (65 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इन 15 में से भी 12 (52 प्रतिशतपर गंभीर केस दर्ज हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के 114 उम्मीदवारों में से 50 (44 प्रतिशत) उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। उनमें भी 49 (43 प्रतिशतपर गंभीर केस दर्ज हैं। यह पार्टी भले ही नई हैलेकिन उम्मीदवार पुराने दागी हैं। इसे नई बोतल में पुरानी शराब भी कह सकते हैं।

चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) भी दागी लिस्ट में है। चिराग की पार्टी के 13 में से 7 (54 प्रतिशतउम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैंजिसमें से (38 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी बिहार में नई हैलेकिन उसके उम्मीदवारों में भी दागी शामिल हैं। आप के 44 में से 12 (27 प्रतिशतउम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस हैंजिसमें से 9 (20 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। बहुजन समाज पार्टी ने पहले चरण में 89 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैंजिसमें से 18 (20 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इन 16 (18 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। भाजपा के 48 में से 31 (65 प्रतिशतपर क्रिमिनल केस हैंजिसमें 27 (56 प्रतिशतपर गंभीर केस हैं। भाजपा एनडीए की मुख्य पार्टी हैहालांकि दागी उम्मीदवारों के मामले में वो मुख्य विपक्षी पार्टियों से पीछे नजर आती है। जदयू के 57 में से सिर्फ 22 (39 प्रतिशतउम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस हैं। इनमें से 15 (26 प्रतिशतपर गंभीर केस दर्ज हैं। आंकड़ों को देखेंगे तो दागियों के मामले में इंडी गठबंधन की पार्टियों की तुलना में नीतीश कुमार की पार्टी इस लिस्ट में सबसे पीछे है। ये आंकड़े बताते हैं कि जदयू अपराधी छवि वालों से दूर रहने की नीति पर चल रही है।

राजद पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैंक्योंकि उसके 76 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं। लालू प्रसाद यादव खुद चारा घोटाले में सजा काट चुके हैं और उनकी पार्टी अब भी ऐसे लोगों को टिकट दे रही है। राघोपुर से राजद के प्रत्याशी पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के ऊपर आईआरसीटीसी घोटाले में सीबीआई जांच चल रही है। इसके अलावा चुनावी हिंसा और सम्पत्ति से जुड़े कई केस दर्ज हैं। तेजस्वी हमेशा दावे करते हैं कि यह राजनीतिक साजिश हैलेकिन कोर्ट से लेकर तमाम चार्जशीट जो दाखिल हैंउनमें कहीं बेगुनाही की बात नहीं कही गई है। एडीआर द्वारा जारी आंकड़ों में वही जानकारियां हैंजो उन्होंने अपने शपथ पत्र में दी हैं। तेजस्वी यादव पर कुल 22 केस दर्ज हैंइसमें आईपीसी के तहत 13 और बीएनएस की तहत 4 धाराओं में केस दर्ज हैं। गंभीर मामलों की संख्या 17 है। वैशाली की महनार विधानसभा सीट से उतरे राजद के वरिष्ठ नेता रवींद्र प्रसाद यादव पर 26 धाराओं में केस हैं। उनके ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी 307) से लेकर महिला विरोधी अपराध तक के केस हैं।

रिपोर्ट कहती है कि राजद के 60 प्रतिशत उम्मीदवारों पर गंभीर केस हैंजो हत्याबलात्कार और भ्रष्टाचार से जुड़े हैं। पार्टी के मुखिया लालू हमेशा कहते हैं कि ये केंद्र की साजिश हैलेकिन वोटर अब सोच रहे हैं कि क्या राजद सच में बदलाव ला सकती हैक्योंकि जब ये सरकार यानी एनडीए की सरकार नहीं थीतब भी तो लालू यादव के खिलाफ केस चल रहे थे। ये रिपोर्ट बिहार चुनाव को नई दिशा दे सकती है। विपक्ष दागी उम्मीदवारों से भरा हैजबकि एनडीए कम दागी टिकट देकर विश्वास जीत सकता है। बहरहालये तो अब बिहार के मतदाताओं को सोचना है कि क्या दागी नेता उनके जीवन में बदलाव ला पाएंगे या फिर उन्हें चाहिए साफ-सुथरी इमेज वाली सरकार। अब नवंबर को पहले चरण का मतदान होना हैजिसमें बिहार के मतदाता अपनी पसंद-नापसंद ईवीएम के जरिए चुन ही लेंगे। और फिर नतीजे 14 नवंबर 2025 को सामने आ जाएंगे कि बिहार के लोगों ने क्या चुना।

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