वंशवाद लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा
राजनीति पर हावी वंशवाद के खिलाफ बोले शशि थरूर
दशकों से एक ही परिवार का हावी होना दुर्भाग्यपूर्ण
नई दिल्ली, 04 नवंबर (एजेंसियां)। कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने भारतीय राजनीति पर हावी वंशवाद के खिलाफ बेबाक विचार व्यक्त किया है। शशि थरूर ने कहा कि वंशवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। थरूर ने कांग्रेस को आईना दिखाते हुए कहा कि एक ही परिवार दशकों से राजनीति पर हावी है। नेहरू-गांधी परिवार ने राजनीति को जन्मसिद्ध अधिकार बना लिया है। डायनेस्टी पॉलिटिक्स लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने प्रोजेक्ट सिंडिकेट में प्रकाशित अपने लेख इंडियन पॉलिटिक्स और ए फैमिली बिजनेस में वंशवादी राजनीति (डायनेस्टी पॉलिटिक्स) को भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया है। शशि थरूर ने लिखा कि नेहरू-गांधी परिवार ने जवाहरलाल नेहरू से शुरू होकर इंदिरा, राजीव, राहुल और प्रियंका तक राजनीतिक नेतृत्व को जन्मसिद्ध अधिकार का रूप दे दिया, जो अब हर पार्टी और क्षेत्र में फैल गया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि वंशवादी राजनीति भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने लिखा कि जब नेतृत्व योग्यता या समर्पण के बजाय वंश से तय होता है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। थरूर ने नेहरू-गांधी परिवार का उल्लेख करते हुए कहा कि अब भारत को वंशवाद छोड़कर योग्यतावाद अपनाना चाहिए।
शशि थरूर ने कहा, जब नेतृत्व वंश पर आधारित हो न कि योग्यता, समर्पण या जनसंपर्क पर। इससे शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। शशि थरूर ने शिवसेना (उद्धव-आदित्य), समाजवादी पार्टी (मुलायम-अखिलेश), डीएमके (स्टालिन), अकाली दल (बादल-सुखबीर) जैसी पार्टियों के उदाहरण दिए, जहां सरनेम ही मुख्य योग्यता बन गई है। थरूर ने सुधार के तौर पर पार्टियों में आंतरिक चुनाव, टर्म लिमिट्स और मेरिटोक्रेसी की वकालत की, ताकि लोकतंत्र का असली स्वरूप बने। शशि थरूर के इस वैचारिक लेख से कांग्रेस पार्टी में असहजता व्याप्त है। पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश और मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने इस पर कोई बयान देने से इन्कार कर दिया। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, थरूर ऐसी ही बातें कहते हैं, जिसमें पार्टी को प्रतिक्रिया देने की जगह नहीं मिलती।
भाजपा ने शशि थरूर के लेख को हाथों हाथ लिया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने थरूर को खतरे के खिलाड़ी बता कर सराहा और कहा, थरूर ने सही कहा कि गांधी परिवार ने राजनीति को फैमिली बिजनेस बना दिया है। राहुल और तेजस्वी जैसे नेपो किड्स पर शशि थरूर का लेख सीधा हमला है। भाजपा के सीआर केसवान ने इसे ट्रुथ बम बताया, जो नेहरू-गांधी के मिसरूल को उजागर करता है। इससे पहले, शशि थरूर द्वारा केरल की लेफ्ट सरकार की तारीफ और 2016 सर्जिकल स्ट्राइक पर बयान से भी पार्टी असहज हुई थी। जयराम रमेश ने तब कहा था, थरूर का बयान पार्टी की राय नहीं है।
तिरुवनंतपुरम के सांसद कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने लेख में लिखा, सच कहें तो ऐसी वंशवादी राजनीति पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में प्रचलित है। उन्होंने पाकिस्तान में भुट्टो और शरीफ, बांग्लादेश में शेख और जिया परिवार, और श्रीलंका में भंडारनायके और राजपक्षे परिवार का उदाहरण दिया। थरूर ने कहा, यह कुप्रथा की तरह भारतीय राजनीति में हर पार्टी, हर क्षेत्र और हर स्तर पर व्याप्त है। थरूर ने राजनीतिक परिदृश्य में वंशवाद के प्रचलन की ओर इशारा करते हुए कहा, बीजू पटनायक के निधन के बाद, उनके बेटे नवीन ने अपने पिता की खाली लोकसभा सीट जीती। महाराष्ट्र में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने यह पद अपने बेटे उद्धव को सौंप दिया, जिनके अपने बेटे आदित्य स्पष्ट रूप से कतार में इंतजार कर रहे हैं। यही बात समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भी लागू हुई, मुलायम यूपी के पूर्व सीएम रहे, उनके बेटे अखिलेश यादव भी मुख्यमंत्री बने। अखिलेश अब सांसद और पार्टी के अध्यक्ष हैं। बिहार में, लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान के बाद उनके बेटे चिराग पासवान ने पदभार संभाला। थरूर ने कहा, जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार की तीन पीढ़ियों ने सत्ता संभाली। पंजाब में भी शिरोमणि अकाली दल में प्रकाश सिंह बादल के बाद सुखबीर बादल ने मोर्चा संभाला।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने थरूर के लेख के बाद कांग्रेस और राजद पर तंज कसते हुए कहा, थरूर ने यह लेख अपने अनुभव के आधार पर लिखा है। मैं शशि थरूर के बयान का स्वागत करता हूं। उनकी टिप्पणी से कांग्रेस और राजद को निश्चित रूप से ठेस पहुंचेगी क्योंकि उनकी राजनीति एक परिवार तक सीमित है। वे अपने परिवार से बाहर सोच ही नहीं सकते।
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