चुनाव आयोग 7 फरवरी को जारी करेगा संशोधित सूची

12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण शुरू

चुनाव आयोग 7 फरवरी को जारी करेगा संशोधित सूची

एसआईआर के नाम से ही ममता ने आपा खोया

नई दिल्ली, 04 नवंबर (एजेंसियां)। देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मंगलवार से शुरू हो गया। यह 4 दिसंबर तक चलेगा। चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा सूची और 7 फरवरी 2026 को अंतिम सूची जारी करेगा। इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेशपश्चिम बंगालतमिलनाडु समेत कुल 51 करोड़ मतदाता शामिल होंगे। असम में एसआईआर की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अलग से होगी। एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होते ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपना आपा खो दिया है और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस एसआईआर के विरोध में सड़कों पर उतर आई है।

देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू हुआ। इनमें नौ राज्य हैं और तीन केंद्रशासित प्रदेश हैं। एसआईआर 4 तारीख को गणना चरण के साथ शुरू होगा और 4 दिसंबर तक चलेगा। चुनाव आयोग 9 दिसंबर को मसौदा सूची जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी। बिहार के बाद यह एसआईआर का दूसरा दौर है। उत्तर प्रदेशमध्य प्रदेशपश्चिम बंगालतमिलनाडुकेरलछत्तीसगढ़गोवाराजस्थानगुजरातअंडमान और निकोबार द्वीप समूहलक्षद्वीप और पुडुचेरी में से चार तमिलनाडुपुडुचेरीकेरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल मार्च से मई के बीच विधानसभा चुनाव होने हैं। बाकी में भी दो से तीन वर्षों में चुनाव होंगे। इन सभी में कुल 51 करोड़ मतदाता हैं।

एक अन्य राज्य असम में भी मार्च-अप्रैल में चुनाव होने हैंलेकिन वहां मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की जाएगी क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापन के लिए सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में प्रक्रिया चल रही है। साथ हीनागरिकता अधिनियम का एक प्रावधान असम पर लागू था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने एसआईआर के इस चरण की घोषणा करते हुए कहा था कि नागरिकता अधिनियम के तहत असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं।

तमिलनाडु में एसआईआर के खिलाफ सत्तारूढ़ द्रमुक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। द्रमुक ने फैसले को चुनौती देते हुए इस प्रक्रिया को असांविधानिकमनमाना और लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खतरा बताया। द्रमुक के संगठन सचिव आरएस भारती की ओर से दायर याचिका में राज्य में एसआईआर के लिए चुनाव आयोग की 27 अक्टूबर की अधिसूचना रद्द करने की मांग की गई है। इसे संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 यानी समानता का अधिकारअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार समेत अन्य प्रावधानोंजनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 1960 के मतदाता पंजीकरण नियमों का उल्लंघन बताया गया है। याचिका पर इसी सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है।

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एसआईआर की प्रक्रिया शुरू होते ही पश्चिम बंगाल में राजनीतिक पारा चरम पर चढ़ गया है। सत्ताधारी पार्टी टीएमसी इसके विरोध में सड़कों पर उतर आई है। बंगाल के विपक्षी दल भाजपा का दावा है कि अवैध घुसपैठियों को मतदाता सूची में शामिल करके बंगाल की डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी) को सुनियोजित तरीके से बदला जा रहा है। सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि भाजपा बंगाली प्रवासियों को बांग्लादेशी बताकर बंगाल के खिलाफ झूठी खबरें फैला रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के ज़रिए बंगाल के मतदाताओं को डराने की कोशिश कर रही है। ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा वोटों के दम पर नहींबल्कि नोटों के दम पर चुनाव जीतना चाहती है। एसआईआर के विरोध में निकाली गई रैली में बोलते हुए सीएम ममता बनर्जी ने केंद्र को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि अगर बंगाल में मतदाता सूची से एक भी योग्य मतदाता का नाम हटाया गयातो हम भाजपा सरकार का पतन सुनिश्चित करेंगे।

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टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि एसआईआर की घोषणा के बादइसके कारण जितने लोगों की जान गईहम आज उनके परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। आज हमने एसआईआर के खिलाफ विरोध रैली में भाग लिया। आज की भीड़ देखकर भाजपा को सोचना चाहिए कि अगर हम दो दिनों में इतनी बड़ी भीड़ जुटा सकते हैंतो जब हम अपने विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली जाएंगे तो हमारी भीड़ कितनी होगी। उन्होंने दावा किया कि पिछले सात दिनों में एसआईआर के डर से मरने वालों के परिवार के सदस्य आज की रैली में हमारे साथ मौजूद हैं। अब अगले गंतव्यदिल्ली की तैयारी करें। हम दिल्ली में एसआईआर के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं।

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वहींपश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने एसआईआर को लेकर कहा कि अगर ममता बनर्जी को कुछ कहना है तो वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं। राज्य में अराजकता का माहौल है और कानून व्यवस्था ध्वस्त है। चाहे आरजी कर होमुर्शिदाबाद हो या डेमोग्राफी बदलने की बात, ममता बनर्जी रोहिंग्याओं को राज्य में बुला रही हैं। क्या लोग चाहते हैं कि रोहिंग्याओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए। सिर्फ बंगाल में ही जनसांख्यिकी नहीं बदली जा रही है बल्कि बिहार और झारखंड में भी ऐसा हो रहा है। समिक भट्टाचार्य ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग एसआईआर चाहते हैं और ये होकर रहेगा।

 

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