पद्मविभूषण गिरिजा देवी का आवास बनेगा सांस्कृतिक केंद्र
          वाराणसी, 03 नवंबर (एजेंसियां)। पद्मविभूषण गिरिजा देवी का आवास संस्कृति का नया केंद्र बनेगा। इसके लिए देश-दुनिया में विख्यात संस्था रूपवाणी ने पद्मविभूषण से सम्मानित गायिका गिरिजा देवी का वाराणसी स्थित आवास खरीदा है। पद्मविभूषण गिरिजा देवी का संजय नगर कॉलोनी स्थित आवास अब संस्कृति का नया केंद्र बनेगा। संगीत की पुण्यभूमि पर अब रंगकर्म की नई पौध तैयार होगी। गिरिजा देवी की पुत्री सुधा दत्ता ने रंगमंच की संस्था रूपवाणी को यह आवास बेचा है। आवास को संस्कृति केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में काम भी शुरू हो चुका है।
राम की शक्तिपूजा और कामायनी समेत अपने अनेक नाटकों के लिए देश-दुनिया में विख्यात संस्था रूपवाणी ने पद्मविभूषण से सम्मानित पूरब अंग की शीर्ष स्थानीय गायिका गिरिजा देवी का वाराणसी स्थित आवास खरीदा है। यह वही घर है जिसमें सुनंदा शर्मा, मालिनी अवस्थी, रीता देव और राहुल-रोहित मिश्र समेत अप्पाजी के शिष्य-शिष्याओं की कई पीढि़यां रियाज, प्रशिक्षण व आशीर्वाद से तैयार हुई हैं और अब दुनिया भर में बनारस अंग की उपशास्त्रीय गायकी का परचम लहरा रही हैं।
रंग निर्देशक और रूपवाणी के प्रमुख व्योमेश शुक्ल ने बताया कि रूपवाणी के इस नए ठिकाने को विदुषी अप्पाजी (गिरिजा देवी) के सांस्कृतिक अवदान के अनुरूप गतिविधियों का एक प्रधान केंद्र बनाया जाएगा। यहां नियमित रूप से रूपवाणी के नाटकों का पूर्वाभ्यास और अभिनय की कार्यशाला तो होगी ही, समय-समय पर मूर्धन्य संगीतकारों के सानिध्य में पूरब अंग और बनारस घराने की विविध विधाओं की बैठकी भी आयोजित की जाएगी। संगीत के सूक्ष्म और गूढ़ माने जानेवाले विषयों पर संगोष्ठियों व व्याख्यानों का आयोजन भी होगा और भिन्न-भिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के साथ संवाद का अभिलेखन होगा। इस केंद्र में तकनीक की सुविधा से संपन्न एक पॉडकास्ट स्टूडियो भी होगा।
पिछले दिनों गिरिजा देवी की एकमात्र संतान, उनकी बेटी और जानी-मानी ओडिसी नृत्यांगना सुधा दत्ता कोलकाता से काशी आई हुई थीं। तभी दोनों पक्षों ने विक्रय अभिलेख पर हस्ताक्षर किए। सुधा दत्ता ने बताया कि मां की विरासत को सही हाथों में सौंपकर मन को बेहद सुकून है। पद्मविभूषण गिरिजा देवी को ठुमरी सम्रज्ञी भी कहा जाता है। उन्हीं के नाम पर सांस्कृति संकुल भी है।

         
         
         
         