भारत तैयार करेगा 800 किमी रेंज वाली सुपरसोनिक मिसाइल
ब्रह्मोस 2.0 से कांपेगा पाकिस्तान
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारत अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और ब्रह्मोस एयरोस्पेस मिलकर अब 800 किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली नई सुपरसोनिक मिसाइल विकसित करने जा रहे हैं। यह मिसाइल वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल का उन्नत संस्करण होगी, जिसे ‘ब्रह्मोस 2.0’ नाम दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिसाइल के आने के बाद भारत की सामरिक शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी और पड़ोसी देशों विशेषकर पाकिस्तान के लिए यह गहरी चिंता का विषय बनेगी।
ब्रह्मोस 2.0 मिसाइल में कई नई और उन्नत तकनीकी खूबियां जोड़ी जा रही हैं। बताया जा रहा है कि यह मिसाइल तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पहले से कहीं अधिक बेहतर होगी — इंजन की क्षमता, ईंधन दक्षता और नेविगेशन प्रणाली। इस नई मिसाइल में बेहतर रैमजेट इंजन का उपयोग किया जाएगा, जो उसे अत्यधिक ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ान भरने में सक्षम बनाएगा। ग्लोबल सैटेलाइट इंटीग्रेशन सिस्टम से लैस यह मिसाइल लक्ष्य पर और भी सटीक प्रहार करने में सक्षम होगी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, डीआरडीओ ने इस परियोजना पर काम शुरू कर दिया है और अगले दो वर्षों में इसे ऑपरेशनल बनाए जाने की योजना है। फिलहाल इस मिसाइल के इंजन और वारहेड सिस्टम का परीक्षण चरण चल रहा है। माना जा रहा है कि परीक्षण सफल रहने पर अगले पांच सालों के भीतर इसका सीमित उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। इस मिसाइल की रेंज मौजूदा ब्रह्मोस की तुलना में लगभग दोगुनी होगी। वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल की अधिकतम सीमा 450 किमी तक है, जबकि नया संस्करण 800 किमी तक की दूरी तय करने में सक्षम होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल की क्षमता इतनी प्रभावशाली होगी कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों के पास भी इसका मुकाबला करने की तकनीक फिलहाल मौजूद नहीं है। उच्च ऊंचाई पर क्रूज़ करने की क्षमता के चलते यह मिसाइल दुश्मन के रडार से बच निकलने में भी सक्षम होगी। सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले 15 वर्षों तक पाकिस्तान या किसी अन्य शत्रु देश के पास ब्रह्मोस 2.0 को रोक पाने की क्षमता नहीं होगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017 में भारत ने अपनी मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किमी से बढ़ाकर 450 किमी की थी, जब मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) की सीमाएं हटाई गई थीं। इसके बाद अब डीआरडीओ ने 800 किमी रेंज वाले नए वैरिएंट पर काम शुरू कर दिया है। यह मिसाइल न केवल जमीन से, बल्कि वायु और नौसेना प्लेटफॉर्म से भी छोड़ी जा सकेगी। इससे भारतीय सशस्त्र बलों को किसी भी दिशा से सटीक और तीव्र हमला करने की क्षमता मिलेगी।
पूर्व एयर वाइस मार्शल विजेंद्र ठाकुर के अनुसार, ब्रह्मोस 2.0 भारत की रक्षा प्रणाली में गेम-चेंजर साबित होगी। उनका कहना है कि यह मिसाइल पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के वारहेड ले जाने में सक्षम होगी। इसकी गति और सटीकता इसे विश्व की सबसे उन्नत सुपरसोनिक मिसाइलों की श्रेणी में ले आएगी। इसके निर्माण से भारत न केवल अपनी सीमाओं की सुरक्षा को और पुख्ता करेगा बल्कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक संतुलन को भी अपने पक्ष में मजबूत करेगा।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, जब यह मिसाइल ऑपरेशनल होगी, तब भारत के पास एक ऐसी आक्रामक क्षमता होगी जो किसी भी दुश्मन देश के लिए भय का कारण बनेगी। इसकी तैनाती से भारतीय नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में क्रांतिकारी बढ़ोतरी होगी। आने वाले वर्षों में भारत इस मिसाइल का उपयोग अपनी रक्षा नीति में रणनीतिक रूप से करेगा ताकि किसी भी आक्रमण की स्थिति में तुरंत जवाबी कार्रवाई संभव हो सके।