ब्रिटिश नागरिक बन चुके मौलाना पर यूपी में एफआईआर

कट्टरपंथ को बढ़ावा देने का मामला, पाकिस्तान से लिंक

ब्रिटिश नागरिक बन चुके मौलाना पर यूपी में एफआईआर

लखनऊ, 03 नवंबर (एजेंसियां)। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक मौलाना शम्सुल हुदा खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एटीएस की विस्तृत जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के खलीलाबाद थाने में मामला दर्ज किया गया है। मौलाना पर कथित तौर पर इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा देने और धार्मिक शिक्षा की आड़ में अवैध रूप से विदेशी धन इकट्ठा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

उत्तर प्रदेश एटीएस के अनुसार मौलाना विदेशी व्यक्तियों और संगठनों से धन इकट्ठा कर रहा था और उसे अनधिकृत माध्यमों से भारतीय मदरसों में भेज रहा था। उसने कथित तौर पर विदेशी चंदे के लिए बिचौलिए की भूमिका निभाई और अपने एनजीओरज़ा फाउंडेशन का इस्तेमाल करके कानूनों का उल्लंघन करते हुए वित्तीय हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मौलाना ने दो मदरसे स्थापित किए थे। एक मदरसा आजमगढ़ और दूसरा संतकबीर नगर में बनाया गया था। एटीएस की जांच के बाद योगी सरकार ने दोनों की मान्यता रद्द कर दी है। उसके एनजीओ का रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिया गया है। एटीएस ने पाया कि मौलाना अक्सर पाकिस्तान जाता था और उस देश के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी कट्टरपंथी मौलवियों और संदिग्ध व्यक्तियों के संपर्क में था। एटीएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि वह चरमपंथी विचारधारा फैलाने और अपने प्रभाव नेटवर्क का विस्तार करने के लिए कश्मीर में लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए अपने कंप्यूटर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था।

मौलाना के बारे में यह भी पता चला कि ब्रिटिश नागरिकता हासिल करने के बावजूद मौलाना लगातार भारत और पाकिस्तान का दौरा करता रहा। वह अलग-अलग इस्लामी समूहों के साथ संबंध स्थापित करता रहा और कथित तौर पर संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश करता रहा। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के रजिस्ट्रार को कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दियाजिसके कारण धोखाधड़ी और विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (एफईआरएके उल्लंघन के आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई। अधिकारी अब मौलाना के नेटवर्क के वित्तीय और डिजिटल लिंक का पता लगा रहे हैंजिसके बारे में एटीएस का मानना है कि यह शिक्षा की आड़ में विदेशी धन को कट्टरपंथी धार्मिक गतिविधियों में लगाने की एक बड़ी कोशिश का हिस्सा था।

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