पुतिन के भारत दौरे से पाकिस्तान में सनसनी

रावलपिंडी–इस्लामाबाद में भूचाल, भारत–रूस गठजोड़ से फट पड़ा डर

पुतिन के भारत दौरे से पाकिस्तान में सनसनी

नई दिल्ली, 5 दिसम्बर,(एजेंसियां)। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे ने पाकिस्तान की राजनीति, मीडिया और सैन्य प्रतिष्ठान में अभूतपूर्व घबराहट पैदा कर दी है। इस्लामाबाद से लेकर रावलपिंडी तक एक ही सवाल गूंज रहा है—पुतिन भारत आते हैं, लेकिन पाकिस्तान को क्यों नज़रअंदाज़ करते हैं? भारत–रूस की बढ़ती रणनीतिक साझेदारी की ताकत पाकिस्तान के सत्ता गलियारों में ऐसे झटके दे रही है, जैसे किसी अप्रत्याशित युद्ध चेतावनी ने माहौल गर्म कर दिया हो। पुतिन का भारत दौरा दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को नया आकार दे चुका है। भारत–रूस की मजबूत होती साझेदारी पाकिस्तान के लिए कड़वा सच है—और हर गुजरते दिन के साथ उसे यह सच और अधिक चुभने वाला है।

रक्षा सहयोग पर चर्चा से पाकिस्तान में हड़कंप

पाकिस्तान की बेचैनी की सबसे बड़ी वजह यह है कि पुतिन का दौरा मात्र औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत–रूस रक्षा साझेदारी को अगली पायदान पर ले जाने वाला कदम है। S-400, Su-57, और संभावित S-500 जैसे शीर्ष श्रेणी के सिस्टम पर चर्चाओं ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। रावलपिंडी का सैन्य नेतृत्व समझ चुका है कि यदि भारत इन उन्नत प्रणालियों को व्यवहारिक रूप से लागू करता है, तो पाकिस्तान की वायु सुरक्षा और मिसाइल प्रतिरोध क्षमता दशकों पीछे छूट जाएगी।

पाकिस्तानी मीडिया में घबराहट और भ्रम

जब पूरी दुनिया मोदी–पुतिन मुलाकात को वैश्विक भू-राजनीतिक घटना के रूप में कवर कर रही थी, तब पाकिस्तानी टीवी स्टूडियो में “विशेषज्ञ” खुद को सांत्वना देने में लगे थे। कोई कह रहा था कि “किर्गिस्तान का राष्ट्रपति आया था”, कोई जॉर्डन और ईरान की यात्राओं का उदाहरण दे रहा था—मानो इससे भारत–रूस के महाशक्ति-स्तर संबंधों का महत्व कम हो जाएगा।

पाकिस्तान की यह बेचैनी किसी हथियार की वजह से नहीं, बल्कि उस कटु वास्तविकता से है कि वैश्विक शक्तियाँ—रूस, अमेरिका, फ्रांस, जापान और यूरोपीय संघ—भारत को एशिया की स्थिर शक्ति के रूप में देखते हैं, जबकि पाकिस्तान को अस्थिरता का केंद्र मानते हैं।

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भारत की सैन्य ताकत से घबराया पाकिस्तान

पाकिस्तान के पत्रकार तक मान रहे हैं कि भारत जिस गति से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है, वह पाकिस्तान को 20 साल पीछे कर चुका है।
भारत आज:

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इसके विपरीत पाकिस्तान IMF के कर्ज़, राजनीतिक अस्थिरता और चरमराई अर्थव्यवस्था के बूझ तले दबा हुआ है। यही कारण है कि उसके टीवी चैनलों पर चर्चा नहीं, बल्कि बौखलाहट दिखाई दे रही है।

पुतिन का भारत के लिए सख्त संदेश—पाकिस्तान में सदमे की लहर

पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता तब बढ़ गई जब पुतिन ने भारत की धरती से कहा—
“आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में रूस पूरी तरह भारत के साथ है।”
यह बयान पाकिस्तान के लिए भू-राजनीतिक झटका था। इससे भी बड़ा झटका तब लगा जब पुतिन ने यह कहा कि “भारत के साथ अब वह व्यवहार नहीं किया जा सकता जो दशकों पहले किया जाता था। प्रधानमंत्री मोदी दबाव में आने वाले नेता नहीं हैं।”

यह संदेश उन देशों के लिए था जो भारत को कमजोर समझने की भूल करते हैं—और इसमें पाकिस्तान सबसे आगे है।

पुतिन पाकिस्तान क्यों नहीं जाते? जवाब कड़वा, लेकिन साफ

रूस की विदेश नीति में पाकिस्तान की कोई वास्तविक प्रासंगिकता नहीं है।

  • अस्थिर राजनीतिक ढांचा

  • आतंकवादी नेटवर्क

  • दिवालिया अर्थव्यवस्था

  • भरोसेमंद साझेदारी का अभाव

इन कारणों से पाकिस्तान रूस के लिए “जोखिम” है, साझेदार नहीं। वहीं भारत—स्थिर लोकतंत्र, रक्षा बाजार, आर्थिक क्षमता और रणनीतिक महत्व के कारण मास्को की शीर्ष प्राथमिकता है।

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