43 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री ने कुवैत में रखा कदम
भारत कुवैत की दोस्ती और मजबूत होगी : मोदी
कुवैत की आजादी को सबसे पहले मान्यता देने वालों में शामिल था भारत
रामायण-महाभारत का अरबी अनुवाद करने वाले साहित्यकारों से मिले मोदी
कुवैत, 21 दिसंबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार 21 दिसम्बर को दो दिवसीय दौरे पर अरब देश कुवैत पहुंचे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 43 वर्षों में पहली कुवैत यात्रा है। पीएम मोदी कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा के बुलावे पर कुवैत गए हैं। पीएम मोदी ने यहां उन दो साहित्यकारों से भी मुलाकात भी की, जिन्होंने रामायण और महाभारत का अनुवाद संस्कृत से अरबी में किया और उन्हें प्रकाशित किया। पीएम मोदी की मुलाकात कुवैत में रह रहे 100 वर्ष की उम्र पार कर चुके पूर्व भारतीय राजनयिक से भी हुई। पीएम मोदी के कुवैत पहुंचने पर यहां रहने वाले भारतीयों ने उनका जोरदार स्वागत किया। कुवैत सरकार के भी उच्चाधिकारी इस मौके पर मौजूद थे।
कुवैत दौरे की शुरुआत में पीएम मोदी की मुलाकात मंगल सेन हांडा से हुई। हांडा 101 वर्ष के हैं और वह भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी हैं। मंगल सेन हांडा ने अपने दशकों के राजनयिक करियर के दौरान अरब समेत तमाम देशों में अपनी सेवाएं दीं। वर्तमान में वह कुवैत में ही रहते हैं। हांडा की नातिन श्रेया जुनेजा ने पीएम मोदी से आग्रह किया था कि कुवैत दौरे में वह उनसे जरूर मिलें। इस पर पीएम मोदी ने ट्विटर पर जवाब दिया था कि वह जरूर मिलेंगे। हांडा से पीएम मोदी ने हाथ मिलाया और कुछ देर बातचीत की। बाकी परिजनों से भी पीएम मोदी मिले।
पीएम मोदी की यात्रा की शुरुआत कुवैत स्थित भारतीय श्रमिकों के कैम्प के दौरे से हुई। विदेश मंत्रालय ने कह़ा कि पीएम मोदी का यह दौरा यह भारत सरकार की विदेशों में काम करने वाले श्रमिकों के प्रति गंभीरता को प्रदर्शित करता है। पीएम मोदी दो दिवसीय दौरे पर कुवैत के अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल-सबा और उनके बेटे सबा अल-खालिद अल-सबा से मुलाकात करेंगे और आधिकारिक बातचीत में शामिल होंगे। पीएम मोदी कुवैत के प्रधानमंत्री से भी बातचीत करेंगे।
पीएम मोदी कुवैत में हाला-मोदी कायर्क्रम में भी हिस्सा लेंगे, जिसमें 5000 भारतीय शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा वह गल्फ फुटबाल लीग के उद्घाटन समारोह में भी शामिल होंगे। कुवैत दौरे में पीएम मोदी दोनों देशों के बीच आर्थिक और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लेकर जोर देंगे। भारत और कुवैत काफी पुराने सहयोगी हैं और दोनों देशों के बीच लगभग 10 बिलियन डॉलर (85000 करोड़ रुपए) का द्विपक्षीय व्यापार होता है। लगभग 10 लाख भारतीय कुवैत में रहते हैं। ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है।
रामायण और महाभारत अरबी भाषा में प्रकाशित पुस्तक के प्रकाशक अब्दुल्ला लतीफ अलनेसेफ और रामायण-महाभारत को अरबी में अनुवाद करने वाले अब्दुल्ला बैरन ने कुवैत सिटी में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। तलीफ अलनेसेफ ने कहा, मैं बहुत खुश हूं। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। पीएम मोदी इससे बहुत खुश हुए। ये पुस्तकें बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने (पीएम मोदी) दोनों पुस्तकों पर हस्ताक्षर किए।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, कुवैत पहुंचने पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है और यह यात्रा निसंदेह विभिन्न क्षेत्रों में भारत-कुवैत दोस्ती को मजबूत करेगी। मैं आज और कल के लिए तय कार्यक्रमों का इंतजार कर रहा है। एक भारतीय प्रवासी महिला ने कहा, हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करते हुए खुश हैं। वह एक दूरदर्शी नेता हैं। वहीं, प्रवासी भारतीय समुदाय के एक और सदस्य ने कहा, सभी भारतीय नागरिक कुवैत में पीएम मोदी का स्वागत करते हुए खुश हैं। प्रधानमंत्री ने कुवैत सिटी में भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात की। हाथों में तिरंगा थामे भारतीय मूल के लोगों का उत्साह भी इस दौरान देखने लायक रहा। प्रधानमंत्री से मिलकर भारतीय समुदाय के लोग बेहद खुश दिखाई दिए।
भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंध 1961 में स्थापित हुए थे। कुवैत की आजादी को सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में भारत भी एक था। दोनों देशों के बीच ऊर्जा, व्यापार और सांस्कृतिक क्षेत्रों में लंबे समय से सहयोग रहा है। कुवैत भारत के लिए तेल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में चलन में था। पीएम मोदी की सरकार में पश्चिम एशिया पर खासा फोकस किया गया है। प्रधानमंत्री के कुवैत दौरे को भी उसी नीति से जोड़कर देखा जा रहा है। पीएम मोदी अब तक 13 बार विभिन्न अरब देशों की यात्राएं कर चुके हैं, जिनमें यूएई, कतर, सऊदी अरब, ओमान और बहरीन शामिल हैं।
दिलों ने भी भारत-कुवैत को आपस में जोड़ा है: मोदी
कुवैत, 21 दिसंबर (एजेंसियां)। कुवैत में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है। सागर का है। स्नेह का है। व्यापार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ने ही नहीं, बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं, बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा। भारत के चावल, चाय, मसाले, कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की नावों में सवार होकर कुवैत की नाविक लंबी यात्रा करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है।
पीएम मोदी ने कहा, गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर 19वीं शताब्दी में ही कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत कुवैत के मोतियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार हुआ करता था। सूरत हो या पोरबंदर हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साधी हैं। कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी प्रकाशित की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाजारों में भी अलग पहचान बनाई थी।