‘झूठी जीत के नारे नहीं, तैयारी–अनुशासन और निर्णायक कार्रवाई से जीते जाते हैं युद्ध’

पाकिस्तान को CDS अनिल चौहान का दो-टूक संदेश

‘झूठी जीत के नारे नहीं, तैयारी–अनुशासन और निर्णायक कार्रवाई से जीते जाते हैं युद्ध’

नई दिल्ली/हैदराबाद, 13 दिसम्बर,(एजेंसियां)।भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान को बिना नाम लिए ऐसा सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है, जिसे केवल एक सैन्य भाषण कहना कम होगा। हैदराबाद में युवा सैन्य अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि युद्ध बयानबाज़ी, खोखले दावों, सोशल मीडिया पर गढ़ी गई झूठी जीतों या दिखावटी शक्ति प्रदर्शन से नहीं जीते जाते। वास्तविक जीत का आधार होती है दीर्घकालिक तैयारी, स्पष्ट उद्देश्य, अनुशासन और ज़मीनी स्तर पर सटीक एवं प्रभावी कार्रवाई।

सीडीएस का यह वक्तव्य ऐसे समय आया है, जब पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ दुष्प्रचार, बयानबाज़ी और सोशल मीडिया नैरेटिव के सहारे अपनी सैन्य और राजनीतिक विफलताओं को ढकने की कोशिश करता रहा है। जनरल चौहान के शब्दों में यह संदेश छिपा नहीं था कि खोखली बयानबाज़ी और प्रचार युद्ध किसी भी देश को वास्तविक युद्ध में सफलता नहीं दिला सकते

अपने संबोधन में जनरल चौहान ने कहा कि आज दुनिया के कई हिस्सों में अस्थिरता इसलिए बढ़ रही है क्योंकि वहां संस्थाएं कमजोर हैं और फैसले जल्दबाज़ी में लिए जाते हैं। ऐसे निर्णय अल्पकालिक राजनीतिक लाभ तो दे सकते हैं, लेकिन दीर्घकाल में वे संघर्ष, असुरक्षा और अराजकता को जन्म देते हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं, पेशेवर सशस्त्र बल और संतुलित रणनीतिक सोच है।

सीडीएस ने भारतीय सशस्त्र बलों की खुले तौर पर सराहना करते हुए कहा कि अनुशासन, मूल्य, कर्तव्य और पेशेवर आचरण ही भारत की सुरक्षा की असली रीढ़ हैं। उन्होंने नए सैन्य अधिकारियों को यह याद दिलाया कि वे केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि एक परंपरा और जिम्मेदारी को संभालने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे इस गौरवशाली विरासत को और मजबूत करें।

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जनरल चौहान ने विशेष रूप से इस बात पर जोर दिया कि आज के अधिकारी ऐसे दौर में सेवा में प्रवेश कर रहे हैं, जब सुरक्षा वातावरण अत्यंत जटिल और बहुआयामी हो चुका है। उन्होंने कहा कि अब युद्ध केवल सीमाओं या रणभूमि तक सीमित नहीं रह गया है। आधुनिक संघर्ष साइबर स्पेस, अंतरिक्ष, सूचना युद्ध और संज्ञानात्मक (Cognitive) युद्ध तक फैल चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत के विरोधी देश अक्सर दुष्प्रचार, मनोवैज्ञानिक दबाव और असममित रणनीतियों के माध्यम से इन नए क्षेत्रों का दुरुपयोग करते हैं।

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सीडीएस ने साफ कहा कि ऐसे माहौल में सशस्त्र बलों का तकनीकी रूप से सक्षम, मानसिक रूप से मजबूत और परिस्थितियों के अनुसार तेजी से अनुकूलन करने में सक्षम होना अनिवार्य है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सतर्कता केवल संकट के समय नहीं, बल्कि हर समय सेना की पहचान होनी चाहिए। निरंतर तैयारी ही किसी भी देश को अप्रत्याशित चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाती है।

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अपने भाषण में जनरल चौहान ने यह भी संकेत दिया कि हाल के दिनों में शत्रुता की तीव्रता भले ही कुछ कम हुई हो, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है और भारतीय सशस्त्र बल पूरी तरह सक्रिय और तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारत की सैन्य प्रतिक्रिया हमेशा सोच-समझकर, संतुलित और राष्ट्रीय उद्देश्यों के अनुरूप रही है, न कि आवेश या दिखावे पर आधारित।

उन्होंने नेतृत्व के विषय पर बोलते हुए कहा कि एक अच्छा सैन्य अधिकारी वही होता है जो केवल आदेश न दे, बल्कि स्वयं उदाहरण प्रस्तुत करे। सतर्कता, तैयारी और पेशेवर दृष्टिकोण ही यह तय करते हैं कि कोई अधिकारी शांति और युद्ध—दोनों परिस्थितियों में कितना सफल सिद्ध होगा।

यह संबोधन हैदराबाद स्थित वायुसेना अकादमी, डुंडीगल में आयोजित 216वीं संयुक्त स्नातक परेड के अवसर पर दिया गया। इस मौके पर सीडीएस ने परेड की समीक्षा की और 244 फ्लाइट कैडेट्स को राष्ट्रपति कमीशन प्रदान किया। इन कैडेट्स में भारतीय वायुसेना की उड़ान और ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं की 29 महिला अधिकारी भी शामिल थीं, जो सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का प्रतीक हैं।

इस समारोह की अंतरराष्ट्रीय महत्ता भी रही, क्योंकि इसमें भारतीय नौसेना के 8 अधिकारी, भारतीय तटरक्षक बल के 6 अधिकारी और वियतनाम पीपुल्स एयर फोर्स के 2 अधिकारी भी शामिल थे, जिन्होंने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा कर अपने ‘विंग्स’ प्राप्त किए। यह भारत की सैन्य प्रशिक्षण क्षमता और वैश्विक विश्वास को भी दर्शाता है।

सम्मान समारोह में फ्लाइंग ऑफिसर तनिष्क अग्रवाल को सर्वोच्च मेरिट के लिए चीफ ऑफ एयर स्टाफ स्वॉर्ड ऑफ ऑनर, नवानगर स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और राष्ट्रपति पट्टिका प्रदान की गई। वहीं फ्लाइंग ऑफिसर नितेश कुमार को ग्राउंड ड्यूटी में प्रथम स्थान के लिए राष्ट्रपति पट्टिका से सम्मानित किया गया। परेड का समापन वायुसेना के विमानों और हेलीकॉप्टरों के भव्य फ्लाई-पास्ट के साथ हुआ, जिसने उपस्थित दर्शकों में गर्व और उत्साह भर दिया।

कुल मिलाकर देखा जाए तो CDS जनरल अनिल चौहान का यह वक्तव्य केवल एक प्रेरक भाषण नहीं, बल्कि भारत की बदलती सुरक्षा रणनीति और सैन्य सोच का स्पष्ट घोषणापत्र है। उन्होंने जिस सटीकता से बयानबाज़ी और वास्तविक शक्ति के बीच का अंतर रेखांकित किया, वह आज के सूचना-युद्ध और दुष्प्रचार के दौर में अत्यंत प्रासंगिक है।

पाकिस्तान जैसे देशों द्वारा सोशल मीडिया और झूठे नैरेटिव के ज़रिये जीत का भ्रम पैदा करने की कोशिशें नई नहीं हैं, लेकिन भारत का संस्थागत संयम, पेशेवर सैन्य ढांचा और दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टिकोण उसे अलग और अधिक विश्वसनीय बनाता है। जनरल चौहान का संदेश स्पष्ट है—भारत शोर नहीं करता, तैयारी करता है; और जब करता है, तो परिणाम ज़मीनी हकीकत में दिखते हैं।