यूपी BJP की कमान तय! पंकज चौधरी का नामांकन

योगी–केशव–ब्रजेश की मौजूदगी में शक्ति प्रदर्शन, रविवार को औपचारिक ऐलान

यूपी BJP की कमान तय! पंकज चौधरी का नामांकन

लखनऊ, 13 दिसम्बर,(एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की औपचारिक प्रक्रिया निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री और महाराजगंज से सात बार सांसद पंकज चौधरी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया। खास बात यह रही कि वे इस पद के लिए एकमात्र उम्मीदवार हैं, जिससे यह लगभग तय हो गया है कि रविवार को उनके नाम पर औपचारिक मुहर लग जाएगी। राज्य अध्यक्ष की आधिकारिक घोषणा केंद्रीय मंत्री और पार्टी के केंद्रीय चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल द्वारा रविवार को की जाएगी।

नामांकन दाखिल करने का दृश्य अपने आप में राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन जैसा रहा। लखनऊ स्थित कार्यालय में हुए इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राज्य चुनाव अधिकारी महेंद्र नाथ पांडे, तथा केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े मौजूद रहे। इतने बड़े स्तर पर शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी ने यह संदेश साफ कर दिया कि पार्टी नेतृत्व पंकज चौधरी के नाम पर पूरी तरह एकजुट है।

पंकज चौधरी के नाम का प्रस्ताव रखने वालों की सूची भी कम प्रभावशाली नहीं रही। प्रस्तावकों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, स्मृति ईरानी, स्वतंत्र देव सिंह, सूर्य प्रताप शाही, सुरेश खन्ना और बेबी रानी मौर्य जैसे वरिष्ठ नेता शामिल रहे। यह समर्थन दर्शाता है कि संगठन और सरकार—दोनों स्तरों पर पंकज चौधरी को व्यापक स्वीकार्यता हासिल है।

नामांकन के बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में पंकज चौधरी ने कहा,
“नामांकन दाखिल कर दिया गया है, जांच की प्रक्रिया चल रही है। कल जब औपचारिक घोषणा होगी, तब और विस्तार से बात की जाएगी। पार्टी में कोई पद छोटा या बड़ा नहीं होता। कार्यकर्ता के रूप में जो भी जिम्मेदारी मिलती है, उसे पूरी निष्ठा से निभाना ही हमारा धर्म है।”
उनका यह बयान पार्टी के अंदर अनुशासन और संगठनात्मक प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी स्पष्ट किया कि नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और शेष औपचारिकताएं रविवार दोपहर तक पूरी कर ली जाएंगी। वहीं, जल शक्ति मंत्री और निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया वस्तुतः पूरी हो चुकी है क्योंकि केवल एक उम्मीदवार ने नामांकन किया है। उन्होंने खुलकर कहा कि पार्टी संगठन, जिला इकाइयों, विधायकों, एमएलसी, सांसदों और शीर्ष नेतृत्व—सभी ने पंकज चौधरी के नाम का समर्थन किया है।

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राजनीतिक दृष्टि से यह बदलाव बेहद अहम माना जा रहा है। पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय से आते हैं, जिसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में वर्गीकृत किया गया है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में कुर्मी समुदाय का प्रभाव काफी मजबूत माना जाता है। 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों में इस समुदाय का एक हिस्सा समाजवादी पार्टी की ओर झुकता दिखाई दिया था, जिसे भाजपा के लिए एक रणनीतिक चुनौती माना गया। ऐसे में कुर्मी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाना भाजपा की सोची-समझी सामाजिक इंजीनियरिंग का हिस्सा माना जा रहा है।

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भाजपा पहले भी उत्तर प्रदेश में कुर्मी नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपती रही है। इससे पहले विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह और स्वतंत्र देव सिंह जैसे नेता इस पद पर रह चुके हैं। पंकज चौधरी का चयन उसी परंपरा की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इस बार परिस्थितियां कहीं अधिक निर्णायक हैं। 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत करना, बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना और ओबीसी वोट बैंक को फिर से साधना—ये सभी चुनौतियां नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने होंगी।

पंकज चौधरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का विश्वसनीय सहयोगी माना जाता है। संगठन और सरकार दोनों में उनकी स्वीकार्यता भाजपा के लिए एक बड़ा प्लस पॉइंट है। लंबे समय से संसद में सक्रिय रहने और केंद्र सरकार में मंत्री रहने के कारण उन्हें प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव का लाभ मिलता है, जिसका सीधा असर प्रदेश संगठन पर पड़ सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंकज चौधरी की ताजपोशी से भाजपा यूपी में संगठनात्मक स्थिरता और सामाजिक संतुलन दोनों साधने की कोशिश कर रही है। एक ओर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार का चेहरा मजबूत है, वहीं दूसरी ओर संगठन की कमान ऐसे नेता को सौंपी जा रही है जो केंद्र और प्रदेश—दोनों से तालमेल बिठा सके।

यह भी गौर करने वाली बात है कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर निर्विरोध नामांकन यह संकेत देता है कि पार्टी के भीतर फिलहाल कोई बड़ा आंतरिक मतभेद नहीं है। चुनाव से पहले एकजुटता का यह संदेश विपक्ष के लिए भी एक स्पष्ट संकेत है कि भाजपा 2027 की तैयारी में पूरी गंभीरता से जुट चुकी है।

कुल मिलाकर, पंकज चौधरी का नामांकन केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह यूपी भाजपा की आगामी रणनीति, सामाजिक समीकरण और संगठनात्मक दिशा को दर्शाने वाला बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है। रविवार को होने वाली औपचारिक घोषणा के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा को नया कप्तान मिल जाएगा, और उसके साथ ही 2027 की सियासी लड़ाई की बुनियाद भी और मजबूत हो जाएगी।