दुनिया देखेगी राज्य संग्रहालय में रखी दो लाख दुर्लभ पांडुलिपि और मूर्तियां

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर थ्रीडी स्वरूप में लाने की तैयारी

 दुनिया देखेगी राज्य संग्रहालय में रखी दो लाख दुर्लभ पांडुलिपि और मूर्तियां

लखनऊ, 18 मई (एजेंसियां)। लखनऊ स्थित राज्य संग्रहालय में मौजूद दो लाख दुर्लभ पांडुलिपियां और मूर्तियां अब पूरी दुनिया देखेगी। संग्रहालय की निदेशक डॉ. सृष्टि धवन और सहायक निदेशक डॉ. मीनाक्षी खेमका ने बताया कि संग्रहालय केवल कलाकृतियों के संग्रह तक ही सीमित नहीं हैबल्कि यह ज्ञान का केंद्र भी है। ऐसे में जरूरी है कि यहां मौजूद भारतीय इतिहाससंस्कृतिधर्मसंस्काजीवनशैली और परिधानों के बारे में बच्चों और युवाओं को जानकारी दी जाए।

download (39)राजधानी लखनऊ के प्राणि उद्यान में स्थित राज्य संग्रहालय में करीब दो लाख कलाकृतियां मौजूद हैं। इनमें से अधिकतर दुर्लभ हैं। इनमें 200 पांडुलिपियां हस्तलिखित व ताम्रपत्र पर लिखी हुई हैं। करीब 4500 मूर्तियां और इतनी ही टेराकोटा शैली की मूर्तियां हैं। इसके अलावा 1600 प्राचीन पेंटिंग्स भी हैं। इन सभी को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर थ्रीडी स्वरूप में लाने की तैयारी संस्कृति विभाग कर रहा है। जल्द ही इन्हें पूरी दुनिया में कहीं से भी देखा जा सकेगा। 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम रखी गई है हमेशा बदलते समुदायों में संग्रहालय का भविष्य। इस थीम के तहत राज्य संग्रहालय ने स्कूली बच्चों के बीच संग्रहालयों की जानकारी प्रसारित करने की भी तैयारी की है। इसकी शुरुआत मोहनलालगंज स्थित अटल आवासीय विद्यालय से शुक्रवार को की गई। बच्चों में निबंध प्रतियोगिता कराई गई।

राज्य संग्रहालय की निदेशक डॉ. सृष्टि धवन ने बताया कि प्रदेश में सात नए संग्रहालय तैयार हो रहे हैं। इनमें लखनऊ के बख्शी का तालाब में संस्कृति संग्रहालयबाराबंकी में केडी सिंह बाबू संग्रहालयबिजनौर में दुष्यंत कुमार संग्रहालयगोरखपुर में गोरखा रेजीमेंट संग्रहालयअयोध्या में स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय और कौशांबी व सुल्तानपुर में जिला संग्रहालय तैयार हो रहे हैं। अलीगढ़ में ताला संग्रहालय और कासगंज में जिला संग्रहालय का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि एआर-वीआर का प्रयोग कर संग्रहालयों को मनोरंजक बनाने के प्रयास भी हो रहे हैं। राज्य संग्रहालय की कलाकृतियों का डिजिटलीकरण कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इनकी जानकारी आमजन को मुहैया कराई जा रही है।

राज्य संग्रहालय की नींव 1863 में लखनऊ डिवीजन के तत्कालीन कमिश्नर कर्नल एबॉट ने सींखचे वाली कोठी में डाली थी। 1883 में इसे प्रांतीय संग्रहालय घोषित किया गया। 1984 में इसे लाल बारादरी में स्थानांतरित किया गया। 1950 में इसका नाम राज्य संग्रहालय रखा गया। 1963 में यह बनारसी बाग स्थित भवन में शिफ्ट हो गया। वर्तमान में यहां पर पुरातत्व वीथिका-1 (प्रागैतिहासिक काल से कुषाण काल तक)पुरातत्व वीथिका-2 (गुप्त काल से मध्यकाल तक)जैन कला वीथिकाममी वीथिकाअस्त्र-शस्त्र एवं सज्जा कला वीथिकाप्राकृतिक इतिहास वीथिका 1 व 2, चित्रकला वीथिकाविदेशी मूर्ति कलाबुद्धमुद्राअवध और मृणमूर्ति वीथिका के अलावा प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय व राज हंस विमान मौजूद हैं।

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राज्य संग्रहालय में चौथी शताब्दी का गांधार शैली में बना बुद्ध मस्तक मौजूद है जो कुषाण व गुप्तकालीन है। इसमें स्टको कला का बेहतरीन प्रयोग किया गया है। मालूम हो कि 1930 से 1970 के बीच हद्दा में हुई खुदाई के दौरान करीब 23000 बौद्ध मूर्तियां मिली थीं। इसके अलावा यहां ग्रेनाइट पत्थर से बना 12वीं शताब्दी का दुर्लभ महाकाल मस्तक मौजूद है। इसमें ठोड़ी के पास वाला भाग टूटा हुआ है। माथे पर तीसरी आंख स्पष्ट है। सातवीं व आठवीं शताब्दी के बीच की भगवान विष्णु की खंडित प्रतिमा हैजिसमें छवि का दाहिना भागदेवता का सिरअतिरिक्त बायां हाथ और बाएं भाग का ऊपरी भाग अप्राप्त है। विष्णु को पद्म पुरुष व एक अन्य पुरुष के साथ दिखाया गया है। जैन धर्म के 19वें तीर्थंकर की 12वीं शताब्दी की सिरविहीन मूर्ति हैजिसका प्राप्ति स्थान उन्नाव है। शरीर का वर्ण नीला है। इन्हें जैन धर्म की एकमात्र महिला तीर्थंकर माना जाता है। इसके अलावा आठवीं शताब्दी की मनसा देवी की मूर्ति भी मौजूद हैजिसे मिर्जापुर से प्राप्त किया गया। इनकी मान्यता व लोकप्रियता बंगाल में अधिक रही। 10वीं शताब्दी की मां गंगा की मूर्ति, 12वीं शताब्दी की मां सरस्वती प्रतिमा समेत हजारों कलाकृतियां मौजूद हैं।

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सम्पूर्ण राजस्व अभिलेखों का होगा डिजिटलाइजेशन

लखनऊ, 18 मई (एजेंसियां)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में डिजिटल क्रांति की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने की तैयारी है। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने पुराने राजस्व अभिलेखों और लेखपत्रों को शाश्वत काल तक सुरक्षित रखने के लिए डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इसके तहत अब 1990 से पहले के सम्पूर्ण राजस्व अभिलेखों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने की तैयारी चल रही है और जल्द ही इस कार्य के लिए संस्था का चयन किया जाएगा।

विभाग चरणबद्ध तरीके से पुराने अभिलेखों की स्कैनिंग और डिजिटाइजेशन का कार्य पूरा कर रहा है। विभाग की ओर से मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत की गई प्रगति रिपोर्ट के अनुसारअप्रैल 2025 तक 2002 से 2017 तक के विलेखों का डिजिटलाइजेशन 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है। वहीं, 1990 से 2001 तक के विलेखों के डिजिटलाइजेशन के लिए यूपीडीईएससीओ की ओर से टेंडर प्रक्रिया चल रही है। अब तीसरे चरण में 1990 से पहले के अभिलेखों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने की योजना पर काम शुरू होने जा रहा है।

इस डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया से राजस्व से जुड़े दस्तावेजों तक पहुंच आसान हो जाएगी। स्कैनिंग के बाद अभिलेखों की हार्ड कॉपी को सेंट्रल रिकॉर्ड रूम में शिफ्ट किया जाएगाजिससे उपनिबंधक कार्यालयों में पुरानी फाइलों के अंबार से राहत मिलेगी। इससे न केवल कार्यालयों में स्थान की उपलब्धता बढ़ेगीबल्कि अभिलेखों की दीर्घकालिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डिजिटल गवर्नेंस की यह पहल न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बना रही हैबल्कि जनता को भी इसका सीधा लाभ मिलेगा। डिजिटल अभिलेखों के माध्यम से जानकारी प्राप्त करना सुगम होगा और पुराने दस्तावेजों को खोजने में लगने वाला समय और संसाधन बचेगा। यह कदम उत्तर प्रदेश को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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