देवी-देवताओं को गाली देने वाले को गिरफ्तार न करें

अब देखिए सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक ईमानदारी का बेजोड़ उदाहरण

 देवी-देवताओं को गाली देने वाले को गिरफ्तार न करें

20 साल की छात्रा शर्मिष्ठा को भले ही घसीट ले जाए पुलिस

नई दिल्ली, 24 जून (एजेंसियां)। हिंदू देवी देवताओं पर अश्लील टिप्पणी करने वाले और हिंदू महिलाओं का सिर तन से जुदा करने से लेकर बलात्कार करने तक की धमकियां देने वाले वजाहत खान की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा कर देश के सामने न्यायिक ईमानदारी की मिसाल पेश की है। यह वही वजाहत खान है जिसने शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ कोलकाता में केस दर्ज कराया और कोलकाता पुलिस उस 20 साल की छात्रा को गुरुग्राम से घसीटकर कोलकाता ले गई। शर्मिष्ठा का कसूर यह था कि पहलगाम हमले में हिंदुओं को चुन-चुन कर मारे जाने की घटना की सोशल मीडिया पर प्रशंसा कर रहे धर्मांधों को उसने कड़ाई से जवाब दिया था। लेकिन देवी कामाख्या और भगवान कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणियां करने के आदी वजाहत खान को सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षण देकर पूरे देश को दिखाया कि देश की अदालतें किन लोगों के साथ खड़ी हैं।

वजाहत खान के खिलाफ पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य राज्यों में कई एफआईआर दर्ज हैं। लेकिन उस वजाहत खान की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक आदेश सोमवार 23 जून 2025 को जारी हुआ। वजाहत को संरक्षण देने वाला आदेश सुप्रीम कोर्ट के न्यायप्रिय न्यायाधीश केवी विश्वनाथन और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 14 जुलाई 2025 तक वजाहत के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

बता दें कि वजाहत खान की शिकायत पर ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट करने पर सोशल मीडिया इफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। शर्मिष्ठा को दो हफ्ते तक जेल में रखने के बाद भी उसकी जमानत नामंजूर कर दी गई थी। वजाहत खान ने शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर कोर्ट परिसर में ही अधर्मी मुसलमानों के साथ जश्न मनाया था। अदालतें अंधी होती हैं, इसलिए उसे वजाहत जैसे राक्षसों की गंदी हरकतें नहीं दिखतीं।

वजाहत के सोशल मीडिया पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के खिलाफ अनगिनत अपमानजनक पोस्ट लिखे थे। सोशल मीडिया पर उसने हिंदुओं के खिलाफ ऐसी गालियां लिखी थीं, जो नुक्कड़छाप लोग भी बोलने से हिचकते हैं। लेकिन पाकिस्तान परस्त रशीदी फाउंडेशन चलाने वाले वजाहत खान की गंदगी अदालतों को नहीं दिखती। ऐसे ओछे लोगों की गंदी बोली भी अदालतों को सुनाई नहीं देती। स्पष्ट है कि भारत की अदालतें अंधी और बहरी दोनों हो चुकी हैं।

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हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ उसकी गंदी टिप्पणियों को देखने के बावजूद किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई न करके और पश्चिम बंगाल के बाहर के राज्यों में दर्ज एफआईआर के तहत उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से साफ समझा जा सकता है कि अदालतों की मंशा क्या है।

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