जम्मू कश्मीर में 14 लाख नशेड़ी, बहुतायत में नाबालिग
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 28 जून। जम्मू कश्मीर में 13.5 लाख से अधिक लोग नशे की लत से पीड़ित हैं, इनमें 10 से 17 वर्ष की आयु के 1.68 लाख नाबालिग शामिल हैं। इनमें से लगभग 95,000 व्यक्ति ओपियोइड के लती हैं। प्रदेश के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि नशे की लत का पैटर्न बदल रहा है। कुछ क्षेत्रों में हेरोइन के इस्तेमाल में गिरावट देखी गई है तो दवाइयों का दुरुपयोग बढ़ रहा है। टेपेंटाडोल, प्रीगैबलिन, ट्रामा
श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कालेज में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. यासिर हसन राथर बताते हैं, नशा मुक्ति केंद्र में मादक पदार्थों के उपयोग के मामले लगातार आ रहे हैं। हम हर दिन 5 से 10 नए मामले देखते हैं, साथ ही नियमित फॉलोअप भी करते हैं। हेरोइन का उपयोग थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन कई नशेड़ी सस्ती या अधिक सुलभ दवाओं की ओर रुख कर रहे हैं, या पॉलीड्रग का दुरुपयोग कर रहे हैं। डॉ. राथर कहते हैं कि जागरूकता अभियानों और नशा मुक्त भारत अभियान जैसी पहल के कारण हेरोइन के इस्तेमाल में गिरावट आई है, लेकिन दवाइयों का इस्तेमाल बढ़ा है, जिसका पता लगाना कठिन है। डॉ. राथर इसके लिए रोकथाम-आधारित रणनीतियों को सख्ती से लागू किए जाने पर जोर देते हैं।
कश्मीर के टेली-मानस के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मोहम्मद अबरार गुरु कहते हैं कि नशे की लत युवाओं के बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही है। इनमें उन युवा रोगियों की अधिक तादाद है जो सिंथेटिक ओपिओइड, भांग और अन्य कई पदार्थों के इस्तेमाल के आदी हैं। यह अब केवल स्वास्थ्य संबंधी चिंता नहीं है, बल्कि परिवारों और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली एक सामाजिक आपात स्थिति है। शोपियां में एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी के चिकित्सा अधिकारी डॉ. आदिल कहते हैं कि रोगी बड़ी संख्या में उपचार की तलाश कर रहे हैं और नियमित आधार पर नए-नए पंजीकरण हो रहे हैं। अधिकांश नशेड़ी हेरोइन के लती हैं, जिन्हें अक्सर साइकोट्रोपिक दवाओं के साथ मिलाया जाता है। हम एविलिन जैसी पशु दवाओं का दुरुपयोग भी पा रहे हैं।
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