जन्म प्रमाण-पत्र लेने के लिए मच गई होड़

 चुनाव आयोग द्वारा प. बंगाल में भी वोटर-लिस्ट संशोधन शुरू

 जन्म प्रमाण-पत्र लेने के लिए मच गई होड़

बांग्लादेश से सटे पश्चिम बंगाल के जिलों में हड़कंप

जन्म प्रमाण-पत्र के लिए आवेदनों की संख्या 50 गुना बढ़ी

कोलकाता, 31 अगस्त (एजेंसियां)। चुनाव आयोग द्वारा बिहार की तरह पश्चिम बंगाल में भी मतदाता सूची के संशोधन (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू करने के बाद से पश्चिम बंगाल में हड़कंप मचा हुआ है। जन्म प्रमाण-पत्र लेने के लिए होड़ मची हुई है। मुस्लिम बहुल इलाकों में हजारों लोग जन्म प्रमाण-पत्र सुधारनेउसका डिजिटलीकरण कराने और नए जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए नगर पालिकाओंपंचायतों और अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। जन्म प्रमाण-पत्र के लिए आवेदनों की संख्या 50 गुना बढ़ गई है।

पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं। इसी बीच चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जैसे ही यह काम शुरू हुआबांग्लादेश सीमा से सटे मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में अफरा तफरी मच गई। यहां मुस्लिम बहुल इलाकों में हजारों लोग जन्म प्रमाण पत्र सुधारनेडिजिटलीकरण करवाने और नए सिरे से बनवाने के लिए नगर पालिकाओंपंचायतों और अदालतों के चक्कर काट रहे हैं। लोग खुलेआम दोगुनी कीमत पर स्टाम्प पेपर खरीद रहे हैं और वकीलों को भारी-भरकम फीस चुका रहे हैं। लोगों में इस बात का डर साफ है कि कहीं एनआरसी या विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) लागू हुआ तो भारतीय होने का सबूत सिर्फ यही कागज देगा।

बरहामपुर नगर पालिका का हाल ऐसा है कि यहां रोजाना 10-12 आवेदन आते थेअब अचानक यह संख्या 500-600 तक पहुंच गई है। लोग सुबह 7 बजे से लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहते हैं। नगर पालिका अध्यक्ष नारुगोपाल मुखर्जी मानते हैं कि हालात काबू से बाहर हैं। फॉर्म संग्रहसुधारविलंबित नए जन्म प्रमाण पत्र और डिजिटलीकरण के लिए अलग-अलग कियोस्क बनाए गए हैं। लेकिन भीड़ इतनी है कि अधिकारी भी परेशान हैं। 65 साल के अबुल कासिम शेख अपने गांव से 45 किलोमीटर दूर सिर्फ इसलिए आए हैं कि उनकी बेटी का 20 साल पुराना जन्म रजिस्ट्रेशन लाल कागज से बदलकर डिजिटल सफेद प्रिंटआउट हो जाए। शेख कहते हैंगांव में हर कोई यही कह रहा है कि लाल वाले की कोई कीमत नहींसफेद चाहिए। नौदा से आई समीरुन बीबी अपने दोनों बेटों के जन्म प्रमाण पत्र अपडेट करवाने पहुंची हैं। वे साफ कहती हैंहमें डर है कि कल एनआरसी आ जाएगा और पहले हमारा वोटिंग राइट छिन जाएगाफिर हमें बाहर निकाल देंगे। इसीलिए यह काम अभी निपटाना जरूरी है।

जन्म प्रमाण पत्र सुधारने की भीड़ का सीधा फायदा वकीलों और बिचौलियों को हो रहा है। मुर्शिदाबाद कोर्ट के बाहर वकीलों के टेंट लगे हैं, जहां रोजाना सैकड़ों हलफनामे तैयार हो रहे हैं। वकील सैयद रामी बताते हैंआमतौर पर मुझे हफ्ते में 10-12 स्टाम्प पेपर की जरूरत होती थी। पिछले हफ्ते 500 लिए और इस हफ्ते 600 से ज्यादा। लोग मेरे घर तक आधी रात को पहुंच जाते हैं। स्टाम्प पेपर की कीमत 10 रुपए से बढ़कर 20 रुपए हो चुकी है। वकीलों की फीस भी 150 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक पहुंच गई है। जिनके नामजन्मतिथि या माता-पिता के नाम आधारवोटर कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र में मेल नहीं खातेउन्हें कोर्ट का हलफनामा बनवाना पड़ रहा है।

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गांव-गांव की पंचायतों में भीड़ संभालना मुश्किल हो रहा है। कंडी के महालंडी पंचायत की अधिकारी सुवर्णा मरजीत बताती हैं कि रोज 70-80 लोग डिजिटलीकरण के लिए आते हैं और 20-30 लोग नए प्रमाण पत्र के लिए। लेकिन यह काम एसडीओ या बीएमओ ही कर सकते हैं। प्रधान साहेबा खातून का कहना हैलोगों को डर है कि जन्म प्रमाण पत्र सही नहीं हुआ तो उन्हें सीधे बांग्लादेश भेज देंगे। इसी बीचबिचौलिए भी सक्रिय हो गए हैं। जन्म प्रमाण पत्र में छोटे-मोटे सुधार के लिए 1000-2000 रुपएबड़े बदलाव और गजट नोटिफिकेशन के लिए 4000-5000 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। साइबर कैफ़े वाले भी पीछे नहीं 20 रुपए लेकर फॉर्म भरने तक का काम कर रहे हैं।

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ममता बनर्जी सरकार आरोप लगा रही है कि भाजपा मुस्लिमों को टारगेट करने के लिए एसआईआर और एनआरसी का डर फैला रही है। इसलिए सरकारी तंत्र को जन्म प्रमाण पत्र सुधारने और डिजिटलीकरण में झोंक दिया गया है। बरहामपुर और मुर्शिदाबाद में दर्जनों अधिकारी फील्ड पर तैनात हैं। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहायह जो विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआरकिया जा रहा हैवह पूरी तरह बकवास है। चुनाव आयोग भाजपा की मदद करने के लिए मतदाताओं के नाम हटा रहा है। हम सब मिलकर इसका मुकाबला करेंगे। वोटों की चोरी पूरे देश में हो रही है और इसे रोकना जरूरी है। महाराष्ट्र और हरियाणा में उन्होंने यही कियाअब बिहार और बंगाल में भी वही चाल चल रहे हैं। लेकिन हम इसे हर हाल में रोकेंगे।

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वहींभाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य का दावा हैबंगाल में बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेज हैं। हम समय-समय पर चुनाव आयोग को सचेत करते रहे हैं। तृणमूल जानबूझकर दहशत फैला रही है। लेकिन जमीनी हकीकत साफ है। हजारों लोग जन्म प्रमाण पत्र के लिए लाइन में खड़े हैंस्टाम्प पेपर और वकील की जेबें भर रही हैं और बिचौलिए पैकेज बेच रहे हैं। असली सवाल यह है कि क्या यह प्रक्रिया सच में नागरिकता साबित करने का आधार बनेगी या फिर आम जनता के खून-पसीने की कमाई लूटने का एक और जरिया?

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