मोदी ने नोबेल पुरस्कार की सिफारिश करने से मना क्यों कर दिया!

रूसी तेल खरीदने से नाराज नहीं हैं ट्रंप, उनका गुस्सा इसलिए है कि...

मोदी ने नोबेल पुरस्कार की सिफारिश करने से मना क्यों कर दिया!

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप की खोल दी पोल

न्यूयॉर्क, 31 अगस्त (एजेंसियां)। रूस-यूक्रेन युद्ध के दरम्यान रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत से नाराजगी तो केवल एक बहाना है। ट्रंप का असली गुस्सा तो इसलिए है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप की सिफारिश करने और नॉमिनेशन भेजने से साफ मना कर दिया। इसी आपाधापी में ट्रंप ने अपनी सारी मर्यादा ताक पर रख कर पाकिस्तान जैसे देश से अपना नाम नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कराया। अमेरिका से ही प्रकाशित महत्वपूर्ण अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने डोनाल्ड ट्रंप के इस असलियत की पोल दुनिया के खोल कर रख दी है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट से दुनिया के सामने ट्रंप के भारत पर भड़के होने का असलरी राज खुल गया है।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में तथ्यपूर्ण संदर्भों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रिश्तों में आई खटास की बड़ी वजह रूसी तेल नहीं बल्कि भारत का ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित नहीं करना है। गौरतलब है कि ट्रंप ने जब भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की बात कही थी तो उसके बाद पाकिस्तान ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर दिया था। पाकिस्तान की फौज के मुखिया आसिम मुनीर की व्हाइट हाउस में ट्रंप से मुलाकात हुई थी और इसके कुछ दिनों बाद ही पाकिस्तान ने औपचारिक रूप से ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया था। यह सब आपाधापी में तब किया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप का नाम नॉमिनेट करने से साफ इन्कार कर दिया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिकडोनाल्ड ट्रंप पीएम मोदी पर नॉमिनेशन का दबाव डाल रहे थे। न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, 17 जून को हुई एक फोन कॉल में ट्रंप ने फिर वही भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम की बात छेड़ दी। ट्रंप ने श्रेय लेते हुए कहा कि उन्होंने सैन्य तनाव को खत्म कर दिया है। ट्रंप ने फोन पर मोदी से यहां तक कह दिया कि वे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उन्हें नॉमिनेट करें, नहीं तो वे पाकिस्तान से नॉमिनेशन ले लेंगे। इस टेलीफोनिक कॉल से वाकिफ लोगों के अनुसारइस बातचीत का मतलब मोदी पर सीधा दबाव था, जिसे मोदी ने साफ-साफ मना कर दिया। मोदी ने ट्रंप से साफ-साफ कह दिया कि हालिया युद्धविराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। यह फैसला सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। ट्रंप ने मोदी की इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन यह असहमति और नोबेल के मुद्दे पर मोदी का इन्कार दोनों नेताओं के रिश्ते में आई खटास का बड़ा कारण बना।

न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा है कि उसकी रिपोर्ट वाशिंगटन और दिल्ली के दर्जनभर से ज्यादा लोगों से हुई बातचीत पर आधारित है। इनमें से ज्यादातर ने गोपनीयता की शर्त पर बात की क्योंकि दोनों देशों के रिश्तों का असर बहुत दूरगामी है। जून की उस फोन कॉल के कुछ हफ्तों बाद ही ट्रंप ने अचानक भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया था। इसके कुछ दिनों उसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था। दरअसल, ट्रंप दावा करते हैं कि उन्होंने व्यापार की धमकी देकर युद्ध रुकवाया। जाहिर है कि अगर ट्रंप की बात में दम होता और भारत ने उनकी बात सुनी होती तो आज भारत पर इतना टैरिफ नहीं लगा होता। भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे देश की मध्यस्थता उसे स्वीकार नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और सैन्य अधिकारी भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि संघर्ष विराम के लिए पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से युद्ध रोकने का अनुरोध किया था।

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अमेरिकी निवेश बैंक जेफरीज की रिपोर्ट के मुताबिक भी ट्रंप-टैरिफ का कारण है राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को सुलझाने में मध्यस्थता करने का मौका नहीं मिलना। रिपोर्ट कहती है कि ये टैरिफ ट्रंप के निजी नाराजगी का नतीजा है। ट्रंप को लगता था कि वे मई में भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु ताकत वाले देशों के बीच हुए तनाव को खत्म करने में मदद कर सकते थे। लेकिन भारत ने साफ कह दिया कि वह इस मामले में किसी तीसरे देश की दखलअंदाजी नहीं चाहता। भारत का यह रुख हमेशा से रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ अपने मसलों को खुद सुलझाएगा।

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ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि उन्होंने दुनियाभर के कई झगड़ों को खत्म कियाजिसमें भारत-पाकिस्तान का मुद्दा भी शामिल है। ट्रंप के इस बड़बोलेपन के दबाव में व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने जुलाई में कहा था कि ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर लिखा थामैं दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर जैसे हजार साल पुराने मसले का हल निकाल सकता हूं। लेकिन भारत ने उनकी इस पेशकश को ठुकरा दियाक्योंकि भारत किसी बाहरी देश को अपने मामलों में दखल देने की इजाजत नहीं देता। जेफरीज की रिपोर्ट ने तभी यह चेतावनी दे दी थी कि अगर अमेरिका भारत पर दबाव डालता रहातो भारत और चीन के बीच नजदीकियां बढ़ सकती हैं।

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