नए कानूनों का लक्ष्य न्याय देना है : अमित शाह

ब्रिटिश कानून खत्म कर बने नए कानून का एक साल पूरा

नए कानूनों का लक्ष्य न्याय देना है : अमित शाह

न्याय प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाएंगे नए कानून

नई दिल्ली, 02 जुलाई (एजेंसियां)। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नए आपराधिक कानूनों के सफलतापूर्वक एक वर्ष पूर्ण होने पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाए गए तीनों नए आपराधिक कानून न्यायिक प्रक्रिया को सरलसुसंगत और पारदर्शी बनाएंगे। अमित शाह नई दिल्ली में आयोजित न्याय प्रणाली में विश्वास का स्वर्णिम वर्ष  पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सामाजिकआर्थिक और राजनीतिक न्याय से युक्त शासन का एक स्वर्णिम कालखंड शुरू होने वाला है। जनता के अधिकारों की रक्षा करने वाली न्याय प्रणाली को पारदर्शीलोकोपयोगी और समयबद्ध बनाने से बड़ा रिफॉर्म कोई नहीं हो सकता

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, नए कानून के तहत होने वाली एफआईआर पर तुरंत न्याय मिलेगा। समय पर न्याय मिले इसलिए हमने पुलिस, अभियोजन (प्रॉसीक्यूशन) और न्यायपालिका को समय-सीमा से बांधा है। 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ई-साक्ष्य और ई-समन6 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में न्याय श्रुति और 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में सामुदायिक सेवा की अधिसूचना जारी कर दी गई है। पिछले एक साल में लगभग 14 लाख 80 हजार पुलिसकर्मियों42 हजार जेलकर्मियों19 हजार से अधिक न्यायिक अधिकारियों और 11 हजार से अधिक पब्लिक प्रॉसिक्यूटर का प्रशिक्षण हुआ है

अमित शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में हमारा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम एक नए युग में प्रवेश करेगा और इससे से लोगों के मन में निश्चित रूप तुरंत न्याय मिलने का विश्वास पैदा होगा। उन्होंने कहा कि नए कानूनों से एफआईआर करेंगे तो क्या होगा की जगह एफआईआर से तुरंत न्याय मिलेगा का विश्वास बढ़ेगा। नए आपराधिक कानून आने वाले दिनों में भारतीय क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आमूलचूल रूप से बदल देंगे। उन्होंने कहा कि पहले हमारी न्याय प्रणाली के सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी कि किसी को नहीं पता था कि न्याय कब मिलेगा। गृह मंत्री ने कहा कि लगभग 3 साल में इन कानूनों के पूर्ण क्रियान्वयन के बाद देशभर में किसी भी एफआईआर में सुप्रीम कोर्ट तक न्याय मिलेगा। शाह ने कहा कि नए कानूनों में 90 दिनों में जांच पूरी करनेचार्जशीट दाखिल करने, चार्ज फ्रेम करने और जजमेंट देने का समय भी तय किया गया है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों में तकनीक के आधार पर कई ऐसे प्रावधान भी किए गए हैं जिनके अमल में आने के बाद शंकाओं के आधार पर अपराध कर बच निकलने वाले लोगों के लिए कोई संभावना नहीं छोड़ी गई है। उन्होंने कहा कि नई आपराधिक प्रणाली लागू होने के बाद हमारे देश की दोष सिद्धि दर बहुत आगे पहुंच जाएगी और गुनाहगार को निश्चित रूप से सजा मिलेगी। शाह ने कहा कि तीनों नए कानूनों पर पूर्ण अमल के बाद तकनीक के उपयोग के साथ हमारी न्याय प्रणाली विश्व की सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली होगी।

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अमित शाह ने कहा कि लगभग 89 देशों की न्याय प्रणाली का अध्ययन कर और उनमें से तकनीक के उपयोग को कानूनी आधार देकर इन कानूनों में समावेश किया गया है। मोदी सरकार ने इन कानूनों को भारतीय दृष्टिकोण से बनाया है। उन्होंने कहा कि पहले के कानूनों को अंग्रेज़ों ने अपने शासन को लंबा चलाने के लिए इंग्लैंड की संसद में बनाया था जबकि नए आपराधिक कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए बनाए हैं। गृह मंत्री ने कहा कि पुराने कानूनों का मकसद अंग्रेज सरकार के लंबा शासन कराना और उनकी संपत्ति की रक्षा करना था। जबकि नए कानून बनाने का मकसद भारतीय नागरिकों के शरीरसंपत्ति और संविधान प्रदत्त सभी अधिकारों की रक्षा करना है।

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केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहितासीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और आईईए की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के नाम से ही पता चलता है कि इन कानूनों का लक्ष्य दंड नहीं बल्कि न्याय देना है। उन्होंने कहा कि यह भारत की न्याय यात्रा का स्वर्णिम अवसर बनने वाला है। अब बदलाव कागजी नहीं रहा है क्योंकि इन कानूनों में तकनीक के समावेश पर भारत सरकार और राज्य सरकारों ने करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। शाह ने कहा कि हमने 7 साल और उससे अधिक सजा वाले हर अपराध में फोरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया है और अब एनएएफआईएस का उपयोग भी बहुत अच्छे तरीके से होने लगा है। इसी प्रकार पॉक्सो के मामले में डीएनए का मिलान गुनाह करने वाले को किसी भी तरह से बचने की जगह नहीं देता है।

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केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नए कानूनों के अमल में गहन परामर्श कर छोटे-छोटे छिद्रों को भरने का काम किया गया है और मल्टी स्टेकहोल्डर अप्रोच के साथ बहुत काम हुआ है। श्री शाह ने  कहा कि उन्होंने स्वयं इन कानूनों पर 160 बैठकें की। उन्होंने कहा कि 2019 में हमने सभी राज्यपालोंउप राज्यपालोंमुख्यमंत्रियोंप्रशासकोंमुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिल और विधि विश्वविद्यालयों और आईपीएस अधिकारियों से सुझाव मांगे थे। उन्होंने कहा कि इसके बाद एक समिति गठित कर एक-एक धारा को पढ़ कर और सभी सुझावों पर विचार कर इन कानूनों को अमली जामा पहनाया गया है। इन कानूनों में बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर अलग अध्याय जोड़ा गया है। पहली बार आतंकवाद की व्याख्या की गई है और संगठित अपराध को भी व्याख्यायित कर कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन का भी प्रावधान किया गया है जिससे सजा कराने की दर में बहुत वृद्धि होगी।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अकेले पुलिस और भारत सरकार का गृह मंत्रालय यह सब नहीं कर सकता। नए कानूनों के सफलतापूर्वक और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जागरूकता और जनता को अपने अधिकारों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। श्री शाह ने कहा कि जब भी इन कानूनों का विश्लेषण होगातब इन्हें आजादी के बाद का सबसे बड़ा रिफॉर्म माना जाएगा क्योंकि जनता के अधिकारों की रक्षा करने वाली न्याय प्रणाली को पारदर्शीलोकोपयोगी और समयबद्ध बनाने से बड़ा रिफॉर्म कोई नहीं हो सकता।

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