आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए १ अगस्त से पूरे राज्य में लड़ाई लड़ी जाएगी: गोविंद करजोल
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| पूर्व उपमुख्यमंत्री और सांसद गोविंद करजोल ने आरोप लगाया है कि सिद्धरामैया सरकार आंतरिक आरक्षण लागू न करके लापरवाही बरत रही है| भाजपा के प्रदेश कार्यालय जगन्नाथ भवन में मीडिया कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा की बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार ने मधुस्वामी के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी और आबादी के हिसाब से आंतरिक आरक्षण वितरित किया था| उन्होंने मांग की कि इसे तुरंत लागू किया जाए| अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम १ अगस्त से पूरे राज्य में लड़ाई लड़ेंगे|
उन्होंने चेतावनी दी कि हम राज्य सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं| उन्होंने घोषणा की कि अछूत अपने जीवन और अस्तित्व के लिए एक बड़ा आंदोलन शुरू करने के लिए तैयार हैं| उन्होंने कहा कि अगर ३१ तारीख तक इसे लागू नहीं किया गया तो वे सभी ३० जिलों में असहयोग आंदोलन शुरू करने की चेतावनी देंगे| उन्होंने मांग की कि सिद्धरामैया और मल्लिकार्जुन खड़गे, यदि वे प्रतिबद्ध हैं, तो सामाजिक न्याय के हित में आंतरिक आरक्षण लागू करें|
हमारे पड़ोसी राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा, आदि, जहां ३० वर्षों से संघर्ष चल रहा है, पहले से ही आंतरिक आरक्षण लागू कर चुके हैं और न्याय प्रदान कर चुके हैं| हालांकि, उन्होंने आपत्ति जताई कि कर्नाटक सरकार एक साल तक आंतरिक आरक्षण आदेश को लागू न करके केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है| कोई डेटा नहीं है, हम एक और सर्वेक्षण करेंगे| इसे ४० दिनों के भीतर करने के लिए ४ महीने पहले न्यायमूर्ति नागमोहन दास के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई थी| उन्होंने आरोप लगाया कि यह समिति भ्रम पैदा करने के लिए बनाई गई थी|
अब हम मीडिया में रिपोर्ट देख रहे हैं कि सर्वेक्षण सही नहीं है| डर है कि यह सरकार भ्रम पैदा कर रही है और आंतरिक आरक्षण लागू न करने का बतंगड़ बना रही है| सिद्धरामैया को कोई सामाजिक सरोकार या सरोकार नहीं है| अगर उनके पास होता, तो वे आंतरिक आरक्षण लागू करते| बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली हमारी सरकार ने मधुस्वामी के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी और जनसंख्या के अनुसार आंतरिक आरक्षण वितरित किया था| हमने इसे सुप्रीम कोर्ट में भी जमा कर दिया है| उन्होंने मांग की कि इसे तुरंत लागू किया जाए|
अगर कोई गलती या बाधा है, तो उन्हें ठीक किया जा सकता है| पिछले ३० वर्षों से अछूत कर्नाटक सहित कई राज्यों में सामाजिक न्याय और आंतरिक आरक्षण के लिए लड़ रहे हैं| उस संघर्ष का समर्थन करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में मामले में सरकार की राय से अवगत कराया है| मेरी सरकार सामाजिक न्याय और आंतरिक आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है|
पूर्व केंद्रीय मंत्री ए. नारायणस्वामी ने कहा कि मंत्री महादेवप्पा और मुनियप्पा ने कैबिनेट बैठक में बीबीएमपी क्षेत्र में सर्वेक्षण में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया| उन्होंने कहा कि उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है और आपत्ति जताई कि सिद्धरामैया सरकार आंतरिक आरक्षण लागू करने को लेकर साजिश रच रही है| उन्होंने शिकायत की कि वे मडिगा समुदाय के ३० साल के संघर्ष को भटकाने का काम कर रहे हैं|
-१ करोड़ ९ लाख अनुसूचित जातियां थीं
कांताराजू रिपोर्ट में कहा गया था कि २०१० में राज्य में १ करोड़ ९ लाख अनुसूचित जातियां थीं| अगर २०१५ को ध्यान में रखा जाए तो सरकारी अनुमान और आंकड़ों के मुताबिक यह १ करोड़ २० लाख हो सकती है| हालांकि, अब २०११ की जनगणना के अनुसार बीबीएमपी क्षेत्र में जनसंख्या ९.४६ लाख थी| २०२५ में यह १३.६० लाख थी| जस्टिस नागमोहनदास ने संदिग्ध शब्दों का इस्तेमाल किया| उन्होंने कहा कि आंतरिक आरक्षण लागू करने के मुद्दे पर इस सरकार, सिद्धरामैया, कांग्रेस और महादेवप्पा की मानसिकता संदिग्ध है| उन्होंने मांग की कि राज्य में मडिगा लोगों को अलग से आरक्षण दिया जाए| उन्होंने कहा कि अगर १५ दिनों के भीतर आरक्षण नहीं दिया गया तो असहयोग आंदोलन शुरू किया जाएगा|