13 लाख मृतक भी थे बिहार में वोटर
वोटर लिस्ट से 40 लाख नाम हटाएगा चुनाव आयोग
घुसपैठियों के साथ-साथ मुर्दों को भी वोटर बना दिया था
नई दिल्ली/पटना, 16 जुलाई (एजेंसियां)। बिहार में मुस्लिम तुष्टिकरणवादी राजनीतिक दलों ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ-साथ बड़ी तादाद में मृतकों को भी वोटर बना रखा था। सत्ता पाने के लिए सारे ओछे हथकंडे इस्तेमाल करने की हरकतों पर जब राष्ट्रीय चुनाव आयोग सख्त हुआ तब इनमें बौखलाहट बढ़ गई और लगे धरना प्रदर्शन करने। लेकिन धरना प्रदर्शन से असलियत पर पर्दा डाले रखने में वे कामयाब नहीं हो पाए। चुनाव आयोग अब बिहार की मतदाता सूची से करीब 40 लाख लोगों के नाम हटाने जा रहा है। इनमें बांग्लादेश, म्यांमार (रोहिंग्या) और नेपाल के घुसपैठियों के अलावा करीब 13 लाख मुर्दे भी शामिल हैं।
चुनाव आयोग की कोशिश है कि कोई वास्तविक मतदाता भी छूट न जाए। इसके लिए चुनाव आयोग पूरी कोशिश कर रहा है। बिहार के 261 शहरी स्थानीय निकायों के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर लगाए गए हैं। अब तक 88 फीसदी मतदाताओं का वेरिफिकेशन चुनाव आयोग कर चुका है। तीसरे राउंड में फिर चुनाव आयोग के बीएलओ घर-घर भेजे जा रहे हैं।
बिहार में अब तक करीब 7.90 करोड़ लोगों में से 6.60 करोड़ मतदाताओं का गणना फॉर्म जमा कराया जा चुका है यानि करीब 88 फीसदी मतदाताओं का वेरिफिकेशन हो चुका है। अब तक 5.74 करोड़ फॉर्म चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। बीएलओ अभी भी घर-घर जाकर फॉर्म जमा कर रहे हैं और 963 एईआरओ लगातार इस पूरी प्रक्रिया पर नजर बनाए हुए हैं। चुनाव आयोग ने कहा, करीब एक लाख बीएलओ जल्द ही घर-घर जाकर तीसरे राउंड का दौरा शुरू करेंगे। सभी राजनीतिक दलों के 1.5 लाख बूथ-स्तर के एजेंट हर दिन 50 मतदाता पहचान पत्र सत्यापित और जमा कर सकते हैं। बिहार के 261 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं ताकि कोई भी मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल होने से वंचित न रह जाए।
अब तक की कवायद में ही करीब करीब 40 (35.50 लाख से ज्यादा) लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा चुके हैं जिनमें मृतकों के नाम, डुप्लीकेट मतदाता या घुसपैठियों के नाम शामिल हैं। इनमें 1.59 फीसदी मृत मतदाता, 2.2 फीसदी स्थायी रूप से राज्य से बाहर गए मतदाता, 0.73 फीसदी ऐसे मतदाता हैं जिन्होंने एक से अधिक जगहों पर अपना नाम वोटर लिस्ट में रखा हुआ है। ये पूरा आंकड़ा 4.52 फीसदी है जिसे संख्या के हिसाब से बात की जाए तो ये 35.69 लाख से ज्यादा हैं। चुनाव आयोग को नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के कुछ विदेशी नागरिक भी मिले, जो मतदाता के रूप में पंजीकृत थे। उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे। जो मतदाता अस्थायी रूप से राज्य से बाहर हैं, उनसे या तो सीधे संपर्क किया जा रहा है या उन्हें अखबारों में विज्ञापन देकर जानकारी दी है ताकि वे अपने गणना फॉर्म भर सकें।
चुनाव आयोग ने कहा, अस्थायी रूप से राज्य से बाहर रहने वाले मतदाता अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ईसीआई ऐप या आयोग की वेबसाइट पर ऑनलाइन गणना फॉर्म भर सकते हैं। अगर उनके परिवार का कोई सदस्य राज्य में मौजूद है तो व्हाट्सएप या किसी अन्य माध्यम से एप्लिकेशन फॉर्म लेकर ऑनलाइन बीएलओ को भेज सकते हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि अगर कोई गलती सुधारना चाहता है या कोई अपडेट करना चाहता है तो ऑनलाइन कर सकता है।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन का विपक्ष लगातार विरोध कर रहा है। इसको लेकर चुनाव आयोग भी विपक्ष के निशाने पर है। महुआ मोइत्रा, योगेंद्र यादव, मनोज झा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) सहित कई विपक्षी नेताओं और संगठनों ने इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि चुनाव आयोग ने नागरिकों पर ही पहचान साबित करने का भार डाल दिया है। राज्य में प्रवासियों की संख्या और गरीबी को देखते हुए ये गलत है। चुनाव आयोग ने जिन दस्तावेजों की मांग की है इससे लाखों मतदाता वोटिंग प्रक्रिया से वंचित रह जाएंगे। उन्होंने मतदाता प्रमाण पत्र के रूप में आधार कार्ड को शामिल नहीं करने पर भी सवाल उठाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग आधार कार्ड, ईपीआईसी कार्ड और राशन कार्ड को भी पहचान पत्र के लिए शामिल करे। मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
बिहार के सीमांचल 4 जिलों कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में आधार कार्ड की संख्या आबादी से अधिक मिली है। इन सीमांचल इलाकों में 100 लोगों पर 120-126 आधार कार्ड मिले हैं। इससे आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गए हैं। ऐसे में आधार कार्ड को पहचान पत्र में शामिल नहीं करने के फैसले पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि 2025 में जनवरी से मई तक हर महीने औसतन 26 हजार से लेकर 28 हजार आवेदन निवास प्रमाण पत्र के लिए किशनगंज में आ रहे थे। उन्होंने बताया कि जैसे ही चुनाव आयोग की यह प्रक्रिया चालू हुई यह संख्या तेजी से बढ़ गई। जुलाई के 6 दिनों में ही निवास प्रमाण पत्र बनवाने के लिए 1.28 लाख से अधिक आवेदन किशनगंज में आ गए। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि किशनगंज में घुसपैठिए बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
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