यूएन में भारत ने पाकिस्तान को फिर धोया

अपनी दोगलई से बाज नहीं आ रहा पाकिस्तान

 यूएन में भारत ने पाकिस्तान को फिर धोया

आतंकवाद पर पाकिस्तान का चरित्र निंदनीय

न्यूयॉर्क, 23 जुलाई (एजेंसियां)। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पर्वथानेनी हरीश ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक जवाब दिया और कहादेश की संप्रभुता पर सवाल उठाने के किसी भी प्रयास को भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा। कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) का जिक्र करने के पाकिस्तान के दुस्साहस का कड़ा विरोध करते हुए पी हरीश ने कहाआतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय शांति के मुद्दों पर पाकिस्तान का दोहरा चरित्र निंदनीय है।

हरीश के जवाब से पहले पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कश्मीर को लेकर टिप्पणी की थी। बता दें कि उन्होंने पाकिस्तान को जवाब उस मंच पर दियाजहां बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के विषय पर चर्चा की जा रही थी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस उच्च स्तरीय खुली बहस में पी हरीश ने लगभग पांच मिनट के अपने वक्तव्य में भारतीय कूटनीति को स्पष्ट करते हुए पाकिस्तान को आइना दिखाया।

राजदूत हरीश ने कहायह एक महत्वपूर्ण चर्चा है। जब संयुक्त राष्ट्र के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैंतो यह इस पर विचार करने का एक अच्छा समय है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर में बताए गए बहुपक्षवाद और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के विचार को अब तक कितना हासिल किया जा सका है। साथ हीयह भी समझने का समय है कि इस रास्ते में क्या-क्या रुकावटें आईं। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद के पहले चालीस वर्षों में उपनिवेशवाद का अंत हुआ और शीत युद्ध का दौर चला। उस समय संघर्षों को काफी हद तक रोका और संभाला जा सका। इन कोशिशों में संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका रही। वास्तव मेंसाल 1988 में संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना को नोबेल शांति पुरस्कार भी दिया गया था। शीत युद्ध के अंत के बाद दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कई तरह के नए संघर्ष शुरू हो गए। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र की शांति बनाए रखने वाली गतिविधियों का तरीका भी बदलने लगा।

उन्होंने कहापिछले कुछ दशकों में संघर्षों का स्वरूप भी बदल गया है। अब सरकार से नॉन-स्टेट एक्टर्स (गैर सरकारी अराजक तत्व) की बढ़ती संख्या सामने आई हैजिन्हें कई बार कुछ देश समर्थन देकर अपने हितों के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही आधुनिक डिजिटल और संचार तकनीकों की मदद से सीमा के आर-पार पैसाहथियारआतंकवादियों का प्रशिक्षण और चरमपंथी विचारधारा और तेजी से फैल रहे हैं। उन्होंने कहासंयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का भविष्य क्या होगा इस पर गंभीर चर्चा हो रही है। साथ हीशांति स्थापित करने की प्रक्रिया अब और भी ज्यादा महत्व पाने लगी है। क्षेत्रीय संगठनों की भूमिका भी इस दिशा में बढ़ी है। उदाहरण के लिएअफ्रीकी संघ ने अपने सदस्य देशों के बीच के विवादों को सुलझाने में सही ढंग से भागीदारी निभाई है।

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उन्होंने कहाशांति से विवादों को सुलझाने के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय छह की शुरुआत इस बात को मान्यता देने से होती है कि किसी भी विवाद को सबसे पहले उसी में शामिल पक्षों को आपसी बातचीत और अपने चुने हुए शांतिपूर्ण तरीकों से सुलझाना चाहिए। किसी भी संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान तभी संभव हैजब उसमें शामिल देशों की सहमति और उनका सक्रिय योगदान हो। अगर कोई देश अच्छे पड़ोसी संबंधों और अंतरराष्ट्रीय नियमों की भावना का उल्लंघन करता हैतो उसे इसकी गंभीर कीमत चुकानी चाहिए।

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पी हरीश ने कहाहाल ही में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक खौफनाक आतंकवादी हमला हुआजिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। इसके बाद 25 अप्रैल को सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी कियाजिसमें सभी सदस्य देशों ने इस घृणित आतंकवादी हमले के दोषियोंसाजिशकर्ताओंमददगारों और समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत पर जोर दिया। इस पृष्ठभूमि में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू कियाजिसका मकसद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में मौजूद आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाना था। यह अभियान सीमितसंतुलित और किसी तरह से उकसावे वाला नहीं था। जब अपने मुख्य लक्ष्य पूरे कर लिए गएतो पाकिस्तान के अनुरोध पर सैन्य कार्रवाई तुरंत रोक दी गई। उन्होंने कहाकिसी भी विवाद को सुलझाने के लिए एक ही तरीका सब पर लागू नहीं हो सकता। समय के साथ हालात बदलते हैं और ऐसे प्रयासों में उस बदलाव को भी ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने कहाभारत एक जिम्मेदार देश है और संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थापक सदस्य भी है। हमेशा की तरह भारत सभी साझेदारों के साथ मिलकरखासकर संयुक्त राष्ट्र के मंच परएक शांतिपूर्णसमृद्धन्यायपूर्ण और बराबरी की दुनिया के निर्माण के लिए रचनात्मक रूप से काम करता आ रहा है। शांति और सुरक्षा से लेकर उपनिवेशवाद के अंत और निष्पक्ष व्यापार से लेकर विकासशील देशों के अधिकारों तक भारत की भूमिका हमेशा सकारात्मक रही है। भारत संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में अब तक का सबसे बड़ा योगदान देने वाला देश है। इसके साथ ही भारत ने शांति सेना में महिलाओं की भागीदारी को भी बढ़ावा दिया हैजो आज संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में सेवा करते हुए आदर्श बन चुकी हैं।

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पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए पी हरीश ने कहापरिषद का कोई सदस्य अगर दूसरों को उपदेश देलेकिन खुद ऐसे काम करे जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अस्वीकार्य हों तो उसे उचित नहीं कहा जा सकता। अंत में मैं यह कहना चाहता हूं कि भारत हमेशा की तरह बहुपक्षवाद और शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों के समाधान के जरिए अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह पहली बार नहीं हैजब पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की है। लेकिन इन प्रयासों को ज्यादा समर्थन नहीं मिला है। ज्यादातर वैश्विक शक्तियां इसे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानती हैं। भारत की शांतलेकिन मजबूत प्रतिक्रिया ने एक जिम्मेदार लोकतंत्र और वैश्विक शांति के प्रति प्रतिबद्ध देश के रूप में उसकी छवि को और मजबूत किया हैजबकि पाकिस्तान की स्थिति एक बार फिर केवल ध्यान भटकाने वाली रणनीति अपनाने वाले देश के रूप में सामने आई है।

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