उपराष्ट्रपति चुनाव में जम्मू कश्मीर की कोई भूमिका नहीं
जम्मू, 24 जुलाई (ब्यूरो)। भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के चुनाव में जम्मू कश्मीर की कोई भूमिका नहीं होगी, क्योंकि उसकी राज्यसभा की सभी चार सीटें रिक्त हैं, और यह स्थिति पिछले चार वर्षों से अपरिवर्तित है। राज्यसभा की पांच रिक्त सीटों में से चार जम्मू-कश्मीर और एक पंजाब की है, जो संजीव अरोड़ा के विधानसभा में जाने के बाद खाली हुई है।
छह साल से भी ज्यादा समय बाद 2023 में पहली बार विधानसभा चुनाव होने के बावजूद, जम्मू कश्मीर की चार राज्यसभा सीटें खाली हैं। 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा इन सदस्यों के चुनाव के लिए जिम्मेदार है, फिर भी चुनाव आयोग ने रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। मई में गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल के लिए उपचुनावों की घोषणा की गई थी, लेकिन जम्मू कश्मीर की राज्यसभा सीटों या बडगाम और नगरोटा विधानसभा क्षेत्रों के लिए कोई तारीखें तय नहीं की गई हैं।
15 फरवरी 2021 को गुलाम नबी आजाद और नजीर अहमद लवे ने अपना राज्यसभा कार्यकाल पूरा किया। इससे पहले 10 फरवरी को फैयाज अहमद मीर और शमशीर सिंह मन्हास का कार्यकाल समाप्त हुआ था। नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इस क्षेत्र को देश के सर्वोच्च विधायी निकायों में उसका उचित स्थान नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा, हम लगातार इन सीटों को भरने की मांग करते रहे हैं। यह चुप्पी अनुचित है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है। उन्होंने कहा, राजनीतिक दल उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी पार्टी लोकतंत्र के पक्ष में है और रिक्त सीटों को भरने का समर्थन करती है।
वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर से पांच लोकसभा सांसद हैं, जिनमें से तीन कश्मीर से और दो जम्मू से हैं, लेकिन 245 सदस्यीय राज्यसभा में इसकी आवाज गायब है, जहां 2021 में पिछले चार सांसदों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से इसका प्रतिनिधित्व नहीं है।
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