क्या फर्जी वोटरों को सूची में रहने देना चाहिए?

 राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने विपक्षी नेताओं से पूछा सवाल

क्या फर्जी वोटरों को सूची में रहने देना चाहिए?

क्या मतदाता सूची में सुधार नहीं किया जाए?

नई दिल्ली, 24 जुलाई (एजेंसियां)। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले पर विपक्षी पार्टियों के विरोध के बीच चुनाव आयोग ने विपक्ष से पूछा है कि क्या मतदाता सूची में सुधार नहीं किया जाना चाहिए? क्या लोकतंत्र का आधार मजबूत करने के लिए निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाना चाहिए? उल्लेखनीय है कि मतदाता सूची के संशोधन से कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत तमाम तुष्टिकरणवादी विपक्षी नेता बौखलाए हुए हैं, जिन्हें बांग्लादेशियों और रोहिंग्या घुसपैठियों के मतदाता सूची में शामिल रहने से कोई एतराज नहीं है।

चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले पर विपक्ष से सवाल किया है कि क्या चुनाव आयोग को फर्जी मतदाताओं को भी मतदाता सूची में शामिल कर लेना चाहिए? चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले पर हो रही आलोचना को लेकर कहा कि भारत का संविधानभारतीय लोकतंत्र की मां है। तो क्या विरोध से डरकर चुनाव आयोग को कुछ लोगों के दबाव में भ्रमित हो जाना चाहिए और उन लोगों का रास्ता साफ कर देना चाहिएजो मृत मतदाताओं के नाम पर फर्जी मतदान करते हैंजो मतदाता स्थायी तौर पर पलायन कर गए हैंजो मतदाता फर्जी या विदेशी हैंक्या उन्हें संविधान के खिलाफ जाकरपहले बिहार में और फिर पूरे देश में मतदान करने दें?

चुनाव आयोग ने पूछा कि क्या हमें निष्पक्ष प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची को तैयार नहीं करना चाहिएमतदाता सूची ही निष्पक्ष चुनाव और मजबूत लोकतंत्र का आधार होती है। इन सभी सवालों पर हम सभी भारतीयों को गंभीरता से और राजनीतिक वैचारिकता से परे जाकर विचार करना चाहिए। इन सभी मुद्दों पर अब गंभीरता से विचार करने का सही समय आ गया है। भारत निर्वाचन आयोग ने बताया है कि बिहार में मतदाता सूची संबंधी आदेश के पैरा 7(5) के तहत पृष्ठ 3 पर कहा गया है कि कोई भी मतदाता या कोई मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को 1 अगस्त से लेकर 1 सितंबर तक एक महीने का समय मिलेगा ताकि वे किसी भी पात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची में शामिल करवा सकेंअगर उसका नाम बीएलओ/बीएलए द्वारा छोड़ दिया गया हो। साथ ही किसी भी मतदाता का नाम कटवा सकते हैं अगर बीएलओ/बीएलए द्वारा गलत तरीके से नाम शामिल किया गया हो।

बिहार में चुनाव आयोद द्वारा मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है। जिसका विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पुनरीक्षण में बिहार में कम से कम 56 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। इसमें 20 लाख मतदाताओं का निधन हो चुका है। 28 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान की गई जो अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर गए हैं। वहींएक लाख मतदाता ऐसे हैं जिनका कुछ पता नहीं है। 7 लाख मतदाता एक से अधिक स्थान पर पंजीकृत पाए गए हैं।

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चुनाव आयोग के इस विशेष अभियान से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि करीब 15 लाख मतदाता अभी भी ऐसे हैं जिन्होंने अपने गणना प्रपत्र वापस नहीं किए हैं। इन्हें लेकर चुनाव आयोग राजनीतिक दलों के साथ गणना प्रपत्र एकत्र करने की कवायद कर रहा है। अब तक 7.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता फॉर्म (कुल मतदाताओं का 90.89 फीसदी) मिल चुके हैं और इनकी डिजिटलीकरण भी कर दिया गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर से कर्नाटक के एक निर्वाचन क्षेत्र में धोखाधड़ी का आरोप लगाने के सिलसिले में चुनाव आयोग ने कहा कि इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए और तब तक बेमानी बयानबाजी से राहुल गांधी को बचना चाहिए।

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