खेती पलायन का नहीं, खुशहाली का जरिया बने

 कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस में बोले सीएम योगी

खेती पलायन का नहीं, खुशहाली का जरिया बने

यूपी के पास दुनिया का पेट भरने का सामर्थ्य

लखनऊ23 जुलाई (एजेंसियां)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज भी यूपी में सर्वाधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र कृषि है। लगभग तीन करोड़ किसान कृषि पर निर्भर करते हैं। इसके बाद सर्वाधिक रोजगार एमएसएमई दे रहा है। इसके माध्यम से 1.65 करोड़ लोग रोजगार प्राप्त करते हैं। सीएम ने कहा कि कृषि पलायन का नहींबल्कि खुशहाली का माध्यम बने। यह तभी संभव हैजब इस क्षेत्र में किए जाने वाले अनुसंधान का लाभ किसानों को दे पाएंगे। सीएम ने कहा कि यूपी विकसित होता है तो भारत को विकसित होने से कोई ताकत रोक नहीं सकती। हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में ईमानदारी से प्रयास करता है तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

मुख्यमंत्री ने उप्र कृषि अनुसंधान परिषद के 36वें स्थापना दिवस में शिरकत की। सीएम ने प्रदर्शनी का अवलोकन और पुस्तिकाओं-न्यूज लेटर का विमोचन किया। उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने विचार भी रखे। सीएम ने कृषि वैज्ञानिकोंयुवा प्रतिभाओंएफपीओ आदि का सम्मान भी किया। सीएम ने कहा कि हमें भारत की जलवायुमिट्टी के अनुरूप शोध व विकास को बढ़ाने के लिए खुद को तैयार करना होगा। यूपी के अंदर यह सभी संभावनाएं छिपी हुई हैं। पीएम मोदी ने देशवासियों के सामने 2047 तक भारत को विकसित करने का लक्ष्य रखा है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में राज्यों को भी अपनी भूमिका का निर्वहन करना है। हमें विकसित उत्तर प्रदेश बनाना है और इसके लिए सभी क्षेत्रों में अपनी संभावनाओं को तलाशना है। केंद्र सरकार ने तय किया है कि भारत पांच ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनेगा। हमने भी तय किया है कि 2029 में यूपी को वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी बनाएंगे।

प्रदेश के बमुश्किल 25 से 30 फीसदी किसान ही ऐसे हैंजो खेती में वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान के कार्यों को प्रभावी ढंग से लागू कर पा रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि कृषि व कृषि अनुसंधान की दृष्टि से यूपी प्रकृति व परमात्मा की कृपा वाला प्रदेश है। हमारे पास विस्तृत और उर्वरा कृषि भूमिपर्याप्त जल संसाधन है। दुनिया में यूपी एकमात्र ऐसा राज्य होगाजिसका 86 फीसदी से अधिक भूभाग सिंचित है। यहां केंद्र व राज्य सरकार के कृषि विश्वविद्यालयों का बेहतरीन संजाल है। यूपी सरकार पहले से चार कृषि विवि संचालित कर रही है। पांचवां विवि भी स्थापित हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा भी प्रदेश में पहले से ही कृषि विवि संचालित हो रहे हैं और कृषि अनुसंधान के लिए 15 से अधिक संस्थान कार्यरत हैं। 89 कृषि विज्ञान केंद्र भी अपनी विशेषज्ञता का लाभ किसानों को प्रदान करते हैं। इसके बावजूद किसानों की स्थिति चौंकाने वाले तथ्य प्रस्तुत करती है। प्रदेश के बमुश्किल 25 से 30 फीसदी किसान ही ऐसे हैंजो वैज्ञानिक शोध व अनुसंधान के कार्यों को प्रभावी ढंग से खेती में लागू कर पा रहे हैं।

सीएम योगी ने कहा कि देश की आबादी का 16 फीसदी हिस्सा यूपी में निवास करता है। देश के कृषि योग्य कुल भूमि का केवल 11 फीसदी यूपी में है। इस भूमि पर देश का 20 फीसदी से अधिक खाद्यान्न उत्पादन हो रहा है। हालांकि यूपी की भूमि के समतलीकरणउर्वरताजल संसाधन को देखते हुए इससे तीन गुना अधिक उत्पादन लिया जा सकता हैलेकिन इसके लिए कृषि शोधविकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना होगा। सीएम ने कहा कि वही देश विकसित हुए हैंजिन्होंने अधिकाधिक शोध और विकास पर ध्यान दिया। उनका क्षेत्र अलग हो सकता है। जिसने जिस क्षेत्र में कार्य कियावह वहां आगे बढ़ा। 

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सीएम ने कहा कि यूपी के पास देश ही नहींदुनिया का पेट भरने का भी सामर्थ्य है। कृषिहॉर्टिकल्चरसब्जी के लिए हम बहुत कुछ कर सकते हैं। यहां के क्लाइमेटिक जोन के अनुरूप अनुसंधान और प्रकृति-पर्यावरण के अनुरूप शोध को बढ़ाने के लिए और गति दिए जाने की आवश्यकता है। सीएम ने कहा कि आपके द्वारा किए गए शोध व विकास के कार्यक्रमों की गति देश व प्रदेश की प्रगति में निर्णायक भूमिका का निर्वहन कर सकती है।

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सीएम ने कहा कि 2047 में जब भारत 30 ट्रिलियन डॉलर की इकॉमनी होगा तो यूपी कहां होगाउसकी प्रति व्यक्ति आय क्या होगी। कृषिइंफ्रास्ट्रक्चरशिक्षा, उद्योगस्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारी क्या स्थिति होनी है। इस पर यूपी ने व्यापक कार्ययोजना बनाई है। हम विजन 2047 की कार्ययोजना के साथ तो आगे बढ़ रहे हैंलेकिन हमारे पास शॉर्ट टर्म भी होना चाहिए कि हमें दो वर्ष में क्या अचीव करना है। हमें 2027, 29 और 35 की भी बात करनी चाहिए। पब्लिक को अपील करने के लिए शॉर्ट टर्ममीडियम और लॉन्ग टर्म प्लानिंग को लेकर चलना होगा। कृषि विविकृषि विज्ञान केंद्रों व अनुसंधान के लिए कार्यरत संस्थान इस दिशा में प्रयास प्रारंभ करें। सीएम ने कहा कि हमने इजराइल की मदद से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए थे। उन्होंने हमें तकनीक सहयोग किया था। यहां के वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण लेकर उसे आगे बढ़ाने में योगदान किया था। उसका एक्सटेंशन क्या है। हमें उस दिशा में भी प्रयास करने चाहिए। यदि इजराइल यह कार्य कर सकता है तो हमारे कृषि विवि क्यों नहीं कर सकते। कब तक किसानों को खेतीबाड़ी से पलायन करने के लिए मजबूर होते देखते रहेंगे। सीएम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इस समय भारी बारिश होनी चाहिएलेकिन प्रदेश के लगभग 15-16 जनपदों में औसत से कम बारिश हुई है। अगल-बगल के राज्यों में जहां बारिश पहले कम होती थीवहां भारी बारिश हो रही है। इन स्थितियों का सामना कैसे कर सकते हैं।

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सीएम ने कहा कि कोई फसल एक महीने विलंब होगी और बीज वही पुराना है तो उसके प्रोड्क्शन पर भी 30 फीसदी तक असर होगा। सीएम ने पूछा कि क्या लेट वेरायटी के लिए किसानों को तैयार किया। बीज की उपलब्धता व डिमास्ट्रेशन के लिए किसान को प्रशिक्षित किया। यदि कृषि विज्ञान केंद्रकृषि विविअनुसंधान केंद्रों के माध्यम से समय पर सही जानकारी व डिमास्ट्रेशन से बताएंगे नहीं कि इस बीज से इसका इतना प्रोडक्शन लिया जा सकता है तो उसे विश्वास नहीं होगा। आज भी यदि वह पुरानी रणनीति के तहत पुरानी तकनीक पर आधारित खेती करने पर मजबूर है तो इसलिएक्योंकि हम उसे केंद्रों तक लाने में विफल रहे हैं। सीएम ने कहा कि कृषिहार्टिकल्चरसब्जीपशुपालन-डेयरी में हम थोड़ा भी प्रयास करेंगे तो लोगों को इस दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं। पीएम मोदी कहते हैं कि लागत कम और उत्पादन को बढ़ाएंगे तो किसानों के चेहरे पर खुशहाली ला सकते हैंलेकिन यह शोध और विकास के माध्यम से ही संभव हो सकता है। इसमें बहुत कुछ किया जा सकता है। सीएम ने आशा जताई कि उपकार विशिष्ट शोध व विकास कार्यक्रमों के माध्यम से यूपी के किसानों का उपकार करेगा। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाहीराज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह,  कृषि राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख,  गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ताप्रमुख सचिव रविंद्रउप्र कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिंहअध्यक्ष कैप्टन विकास गुप्ता आदि मौजूद रहे।

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