650 करोड़ के मेडिकल घोटाले में ईडी का छापा
भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने किया था घोटाला
रायपुर, 02 अगस्त (एजेंसियां)। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासनकाल में हुए मेडिकल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्रवाई शुरू कर दी है। राज्य सरकार की संस्था छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससीएल) ने जनवरी 2022 से अक्टूबर 2023 तक 650 करोड़ों रुपए से अधिक का घपला किया था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में मेडिकल सप्लाई घोटाले के मामले में 18 ठिकानों पर छापेमारी की। यह घोटाला 650 करोड़ से अधिक का है। ईडी ने छापे की कार्रवाई रायपुर, दुर्ग, भिलाई और आसपास के इलाकों में की है।
मामला डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विसेस (डीएचएस) और छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉरपोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससीएल ) के वरिष्ठ अधिकारियों से जुड़ा है। इनके साथ-साथ मोक्षित कारपोरेशन नाम की निजी कंपनी भी इसमें शामिल थी। यह घोटाला उस समय हुआ था, जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे। छापेमारी उन लोगों के घरों और कार्यालयों में की गई जो इस घोटाले से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े थे, जैसे सरकारी अधिकारी, मेडिकल सप्लायर, एजेंट और कुछ बिचौलिए। ईडी की टीम ने सीजीएमएससीएल के पूर्व डिप्टी मैनेजर कमलकांत पाटनवार के घर पर भी छापा मारा। वह फिलहाल जेल में है।
घोटाले में बिना आवश्यक्ता और जांच के मेडिकल उपकरण और रसायन खरीदे गए थे। यह पूरा मामला तब सामने आया जब आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने मोक्षित कारपोरेशन से जुड़े दस्तावेज ईडी को सौंपे। इन दस्तावेजों में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले, इसके बाद ईडी ने यह कार्रवाई शुरू की। उदाहरण के लिए, 8.50 रुपए की ईडीटीए ट्यूब को 2,352 रुपए में और 5 लाख की सीबीसी मशीन को 17 लाख में खरीदा गया। ईडी ने जेल में बंद सीजीएमएससीएल के पूर्व अधिकारी कमलकांत पाटनवार के घर भी छापा मारा। जांच का मकसद भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत जुटाना है।
एसीबी और ईओडब्लू की जांच में पता चला कि सीजीएमएससीएल ने मोक्षित कारपोरेशन और उसकी एक शेल कंपनी के साथ मिलकर यह घोटाला किया। जांच एजेंसियों ने अप्रैल में 18,000 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की, जिसके आधार पर ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जांच शुरू की है। चार्जशीट में जिन 6 लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा, सीजीएमएससीएल के अधिकारी बसंत कुमार कौशिक, छिरोड़ रौतिया, कमलकांत पाटनवार, डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बांधे शामिल हैं। इनमें से कौशिक उस समय सीजीएमएससीएल में जनरल मैनेजर (इक्विपमेंट) और डिप्टी मैनेजर (पर्चेज) थे, वहीं बाकी लोग भी टेक्निकल या प्रशासनिक पदों पर थे।
22 जनवरी को एसीबी/ईओडब्लू ने इनके खिलाफ केस दर्ज किया और साथ ही चार कंपनियों को भी आरोपित बनाया था। इनमें हरियाणा का रिकॉर्ड एंड मेडिकेयर सिस्टम, मोक्षित कारपोरेशन, सीबी कारपोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज शामिल है। इस घोटाले में सामान की कीमत को जानबूझकर कई गुना बढ़ा दिया गया। उदाहरण के तौर पर, एक ईडीटीए ट्यूब, जो बाजार में 8.50 रुपए की मिलती है, सीजीएमएससीएल ने मोक्षित कारपोरेशन से 2,352 रुपए प्रति ट्यूब के भाव पर खरीदी। वहीं, एक सीबीसी मशीन, जिसकी मार्केट कीमत 5 लाख रुपए है, उसे 17 लाख रुपए में खरीदा गया। इतना ही नहीं, मेडिकल उपकरण खरीदने की जो प्रक्रिया आमतौर पर कई महीनों में पूरी होती है, उसे महज 26 दिन में खत्म कर दिया गया।
यह मामला राज्य विधानसभा में भी उठा, जिसके बाद ईडी और ईओडब्लू की छापेमारी तेज हुई। जांच का मकसद है सरकारी अफसरों और निजी कंपनियों के बीच मिलीभगत के सबूत जुटाना, फर्जी दस्तावेजों की पहचान करना और यह जानना कि इस भ्रष्टाचार की जड़ें कहां तक फैली हैं।
#मेडिकलघोटाला, #ईडीछापा, #भूपेशबघेल, #कांग्रेससरकार, #छत्तीसगढ़, #घोटालाखुलासा, #EDRaid, #MedicalScam, #CongressCorruption