रूस से तेल और हथियार खरीदना जारी रहेगा
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से की लंबी वार्ता
भारत ने अपनी स्वतंत्र नीति पर लगाई ठोस मुहर
भारत पर बेअसर साबित हो रही ट्रंप की धमकियां
नई दिल्ली, 09 अगस्त (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की और अपने उस निर्णय पर दृढ़ता जताई कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीदना जारी रखेगा। राष्ट्रपति पुतिन से पीएम मोदी की यह बातचीत भारत की स्वतंत्र और दबाव-मुक्त नीति पर मुहर की तरह है। दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने यूक्रेन संकट के शांतिपूर्ण समाधान के रास्तों पर भी विस्तार से बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिन ही ब्राजील के राष्ट्रपति ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से लंबी वार्ता की थी। कूटनीतिक जगत में इन वार्ताओं को काफी महत्व दिया जा रहा है।
रूस से तेल न खरीदने के अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इन्कार करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर आजमाए जा रहे टैरिफ-आतंक ने ट्रंप के समक्ष और विपरीत स्थितियां पैदा कर दी हैं। भारत ने अमेरिकी दबाव को ठेंगे पर रख कर रूस से अपना सामरिक और व्यापारिक रिश्ता और प्रगाढ़ करना सुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार 8 अगस्त को फोन पर बातचीत की। डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ-हठ अब कई अन्य देशों को और पास लाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर भारत को धमकाने की कोशिश की कि वो रूस से तेल न खरीदे लेकिन भारत ने दिखा दिया है कि वह किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है।
दोनों नेताओं की बातचीत पर विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर कहा कि अन्य जरूरी मसलों पर वार्ता के साथ-साथ राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी के बीच यूक्रेन के ताजा हालात पर बातचीत हुई और रूस-यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर गंभीरता जताई गई। दोनों नेताओं ने अपने द्विपक्षीय एजेंडे में हुई प्रगति को लेकर भी बातचीत की और भारत-रूस के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को इस साल के अंत में होने वाले 23वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में आने के लिए आमंत्रित किया है।
भारत और रूस की बढ़ती नजदीकियों और भारत अपने हितों को किस हद तक आगे रखता है इसका अनुमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रूस यात्रा से भी लगा था। ट्रंप की धमकियों के बीच डोभाल ने मास्को जाकर पुतिन से मुलाकात की थी। पुतिन और डोभाल की मुलाकात के दौरान जो गर्मजोशी दिखाई दी उस पर भी दुनिया की नजरें बनी हुई थीं। साथ ही, डोभाल ने अपने रूस के समकक्ष सर्गेई शोइगु से भी मुलाकात की। इस साल के अंत में पुतिन भारत यात्रा पर आने वाले हैं और इसकी जमीन तैयार करने के लिए अजीत डोभाल मास्को पहुंचे थे।
पुतिन से पहले पीएम मोदी ने ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस इनासियो लूला दा सिल्वा से फोन पर बात की थी। इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने साझेदारी के विकास और निकट संपर्क में रहने पर सहमति जताई थी। ब्राजील भी ट्रंप के टैरिफ की मार से जूझ रहा है और उस पर भी भारत की तरह 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है। इससे पहले लुला डा सिल्वा ने स्पष्ट कर दिया था कि वे ट्रंप से टैरिफ के मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि ट्रंप किसी तरह के समझौते के लिए तैयार नहीं हैं, बल्कि वो अपमानित कर रहे हैं। पीएम मोदी ने लूला से बातचीत के बाद जो ट्वीट किया था उसमें ग्लोबल साउथ की बात प्रमुखता से की गई थी।
रूस के साथ बढ़ती बातचीत के बीच पीएम मोदी इस महीने के अंत में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। 31 अगस्त और 1 सितंबर होने वाली उनकी यह यात्रा 2020 की गलवान घाटी में भारत-चीन सैन्य झड़प के बाद पहली चीन यात्रा होगी। इस सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, व्यापार और आपसी संबंधों को लेकर चर्चा होगी।
ट्रंप की चेतावनियों के बरक्स दुनिया के दूसरे देश करीब आ रहे हैं। भारत और रूस के बीच रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में संबंधों पर ही अमेरिका को ऐतराज है लेकिन भारत अपने इरादों से साफ कर चुका है कि वह रूस से व्यापार बंद नहीं करेगा। पीएम मोदी की बातचीत और डोभाल का दौरा बताता है कि भारत, अमेरिका के किसी दबाव में आने वाला नहीं है। यानी अगर आने वाले समय में अमेरिका का साथ छोड़ने की ज़रूरत हुई तो भारत उसके लिए भी पूरी तरह तैयार नजर आ रहा है। भारत के अलावा कई अन्य देश भी ट्रंप की इन धमकियों से नाराज हैं और नए विकल्पों की तलाश में है। एकजुट होते देशों को देखकर अमेरिकी विदेश नीति पर ट्रंप का टैरिफ-वार उल्टा पड़ने की संभावनाएं ज्यादा नजर आ रही हैं।
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