रक्षा उत्पादन में भारत ऑल टाइम हाई
भारत का रक्षा उत्पादन 1,50,590 करोड़ पर पहुंचा
अमेरिका से रक्षा आयात में कमी, रूस से रक्षा आयात में वृद्धि
अमेरिकी राष्ट्रपति को लगी है मिर्ची, पर छोड़ नहीं रहे बाल-हठ
नई दिल्ली, 09 अगस्त (एजेंसियां)। भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2024-25 में 1,50,590 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद यह आधिकारिक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन में पिछले वित्त वर्ष के 1.27 लाख करोड़ रुपए के मुकाबले लगभग 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि रक्षा उत्पादन में 2019-20 की तुलना में 90 फीसदी की वृद्धि आश्चर्यजनक और उत्साहजनक है। 2019-20 में यह आंकड़ा 79,071 करोड़ रुपए था। भारत में जिन महत्वपूर्ण लड़ाकू विमानों, हथियारों और रक्षा उपकरणों का आयात हो रहा है, उनमें रूस का स्थान सबसे ऊपर है। अमेरिका के टैरिफ-दबाव के कारण भारत ने अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमान खरीदने का निर्णय टाल दिया और रूस से एसयू-57 लड़ाकू विमान खरीदने का निर्णय लिया। रूस ने इस विमान की तकनीकी जानकारियां भी भारत से साझा करने की सहमति दे दी है, जिससे भारत में ही भविष्य में विमान का निर्माण, उसकी मरम्मत और रखरखाव हो सकेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बौखलाहट यह बड़ी वजह है। एसयू-5 रूसी लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी ऐसे समय दी गई, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी वर्ष भारत का दौरा करने वाले हैं।
वैसे, भारत खुद भी स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के रूप में पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बना रहा है, लेकिन इसके बनने और भारतीय वायुसेना में शामिल होने में कम से कम 8 से 10 साल लगेंगे। रूस ने पांचवीं जेनरेशन के एसयू-57 लड़ाकू विमान का ऑफर भारत को पहले से दे रखा है। रूस भारत को एसयू-57 लड़ाकू विमान की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के साथ साथ सोर्स-कोड भी सौंपने के लिए तैयार है। रूस ने भारत को यह ऑफर भी दिया है कि एसयू-57 खरीदने पर वो भारत के एएमसीए कार्यक्रम में तकनीकी मदद भी करेगा। एसयू-57 स्टील्थ फाइटर जेट को दुनिया के सबसे एडवांस फाइटर जेट्स में गिना जाता है। एसयू-57 दो-इंजन वाला मल्टी-रोल स्टील्थ जेट है, जो सुपरसोनिक स्पीड, एडवांस्ड एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताओं से लैस है।
रक्षा उत्पादन में हासिल हुई उपलब्धि पर राजनाथ सिंह ने कहा कि इस उपलब्धि में रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक इकाइयां, निजी उद्योग समेत और सभी हितधारक शामिल हैं। रक्षा मंत्री ने सामूहिक प्रयासों की सराहना की और इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रगति भारत के मजबूत होते रक्षा औद्योगिक आधार का स्पष्ट संकेत है। हाल ही में आई स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भी भारत अब रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भर बनने के साथ ही उन्हें निर्यात करने वाला एक उभरता वैश्विक खिलाड़ी बन चुका है। 2014 से 2024 तक भारत के रक्षा आयात में 34 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है, जबकि रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत से अधिक की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। भारत हथियारों के मामले में बहुत तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
रक्षा आयात में कमी के बावजूद भारतीय सेना को सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानक पर बनाए रखने के लिए अत्याधुनिक हथियार और आग्नेयास्त्र बाहर से मंगाए जा रहे हैं। इसका बड़ा हिस्सा रूस से आयात हो रहा है। अमेरिका की टैरिफ-धृष्टता के कारण अमेरिका से रक्षा आयात घटा और रूस से काफी बढ़ गया है। हाल ही रक्षा मंत्रालय ने 67000 करोड़ के विभिन्न रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी, इनमें से अधिकतर आयात रूस से होंगे। भारत सरकार ने जिन सैन्य खरीदों को मंजूरी दी है, उनमें लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाले ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और निगरानी रडार शामिल हैं। नौसेना, वायुसेना और थलसेना के लिए आधुनिक हथियारों, रडारों और ड्रोन की खरीद को मंजूरी इसमें शामिल है। इस खरीद से तीनों सेनाओं की युद्ध, निगरानी और रक्षा क्षमता को काफी मजबूती मिलेगी। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट, ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लॉन्चर की खरीद और बाराक-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम के अपग्रेडेशन को मंजूरी दी है। कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सरफेस क्राफ्ट की खरीद से नौसेना को पनडुब्बी रोधी अभियानों में खतरों की पहचान करने, वर्गीकरण करने और उन्हें निष्क्रिया करने की क्षमता मिलेगी। उसी तरह भारतीय वायु सेना के लिए माउंटेन रडार की खरीद और सक्षम/स्पाइडर हथियार प्रणाली के अपग्रेडेशन को भी मंजूरी दी गई है। माउंटेन रडार की तैनाती से पहाड़ी इलाकों में सीमाओं के आसपास हवाई निगरानी की क्षमता बढ़ेगी। वहीं, सक्षम/स्पाइडर सिस्टम को इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जोड़ने से वायु रक्षा की क्षमता में और इजाफा होगा।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि तीनों सेनाओं (थल, वायु और नौसेना) के लिए मीडियम अल्टिट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (मेल) रीमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (ड्रोन) की खरीद को भी मंजूरी दी गई है। इन मेल ड्रोनों में कई तरह के हथियार और उपकरण ले जाने की क्षमता होगी और ये लंबे समय तक, लंबी दूरी तक उड़ान भर सकेंगे। इससे सेनाओं की चौबीसों घंटे निगरानी और युद्ध क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, डीएसी ने सी-17 और सी-130जे विमानों के रखरखाव और एस-400 लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम के लिए एक व्यापक सालाना रखरखाव अनुबंध को भी शुरुआती मंजूरी दी है। भारतीय सेना के बख्तरबंद वाहनों में इस्तेमाल के लिए ऐसी थर्मल इमेज प्रणाली खरीदी जाएगी जिससे उन्हें रात में चलाना आसान हो जाएगा। यह तकनीक सेना के बख्तरबंद वाहनों को रात में चलाने की क्षमता बढ़ाएगी और मशीनीकृत टुकड़ियों को तेजी से आगे बढ़ने और संचालन में लाभ प्रदान करेगी।
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