जब नागराज ने खुद आकर सुलझाया विवाद!
नीलकंठ महादेव मंदिर की जमीन पर मिला कब्जा
गोरखपुर, 09 अगस्त (ब्यूरो)। खजनी क्षेत्र के सरया तिवारी में प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर के जमीन को लेकर काफी लंबे समय से विवाद चल रहा था। गोरखपुर से 21 किलोमीटर दूरी पर खजनी तहसील के ग्राम सभा सरया तिवारी में स्थिति नीलकंठ महादेव का प्राचीन शिवमंदिर है। नीलकंठ महादेव शिवलिंग के बारे में यह मान्यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है।
खजनी क्षेत्र के सरया तिवारी में प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर के जमीन को गांव के कुछ लोग कब्जा नहीं दे रहे थे। जिसका एरिया लगभग 90 डिसमिल है। इतना पुराना प्राचीन मंदिर अब तक देवभूमि के नाम अंकित नहीं है। जिसको लेकर कुछ लोग विवाद कर रहे थे। उनके द्वारा संपूर्ण समाधान दिवस पर लिखित रूप से शिकायत की गई कि हमारी जमीन पर गांव के कुछ लोग जबरन कब्जा कर रहे हैं। जिसकी निस्तारण के लिए राजस्व टीम कांगो देवनारायण मिश्रा लेखपाल राजू रंजन शर्मा पैमाइश किया गया। इसमें कुछ लोगों ने विरोध किया। जिस पर बहुत पुराना नागराज प्रकट हुए और सभी को दर्शन दिए।
मौके पर मौजूद ग्राम प्रधान प्रतिनिधि धरणीधर राम त्रिपाठी, बृजेश त्रिपाठी, गजेंद्र त्रिपाठी, शिवाकांत त्रिपाठी, लालमोहन गौड़, संतोष शर्मा, विजय यादव,सुदामा यादव, अमरेश राम त्रिपाठी इत्यादि लोगों ने बताया मौके का पैमाइश करके राजस्व टीम द्वारा चुना गिरा कर निशानदेही किया गया था, जैसे जेसीबी मशीन लगी वैसे ही कुछ लोगों ने निर्माण का विरोध किया। उसके बाद बहुत पुराने नाग देवता प्रकट हुए। राजस्व टीम के द्वारा चूना गिराकर जिस जगह निशानदेही की गई थी, उतने ही दूर नाग देवता चलते गए और वापस आकर कही अदृश्य हो गए। इसको देख सारे विरोधियों का विरोध समाप्त हो गया और सारे लोग निर्माण पर सहमत हो गए और इस पर निर्माण के लिए खुदाई की गई जोकी क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है।
गोरखपुर से 21 किलोमीटर दूरी पर खजनी तहसील के ग्राम सभा सरया तिवारी में स्थिति नीलकंठ महादेव का प्राचीन शिवमंदिर है। नीलकंठ महादेव शिवलिंग के बारे में यह मान्यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यहां पर इनका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है। इसी लिए यहाँ मन्दिर में छत का निर्माण नहीं हुआ है क्योंकि यह झारखंडी शिव है। नीलकंठ महादेव शिवलिंग के बारे में यहां के लोगों का कहना है कि यहा मुगलों के कार्यकाल में मुगल शासक मोहम्मद गजनवी ने दो बार शिवलिंग को कीमती पत्थर समझ आक्रमण किया। जब वो ले जाने में सफल नहीं हुआ तब शिवलिंग पर उर्दू में कुछ लिखवा दिया। बाद में मौलवी को दिखा कर पूछा गया तो बताया कि इस्लाम का एक पवित्र वाक्य है जोकि अल्लाह का दर्जा देने की बात कही गई है।
यहां के लोग यह भी बताते हैं कि सन 1957 में मंदिर के बाउंड्री वाल के लिए खुदाई कराई गई। उस खुदाई में मानव कंकाल मिले थे। उसके बाद तत्काल खुदाई बंद करा दिया गया। आनंद तिवारी (सेवक) ने बताया यह यह मंदिर मुगलों के कार्यकाल का है और भक्तों के आस्था का केंद्र है। पंडित कमलाकांत त्रिपाठी ने बताया कि यह महादेव शिवलिंग को ले जाने के लिए महमूद गजनवी ने दो बार आक्रमण किया। जहां पर काफी लड़ाई हुई। जिसके अवशेष यहां मिलते हैं। महादेव झारखंडी शिवलिंग का बड़ा महत्व है। इनके उपर छत का निर्माण नहीं हो सकता है।