चुनाव आयोग जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है: एच.के. पाटिल

चुनाव आयोग जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है: एच.के. पाटिल

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि चुनावों में इस्तेमाल की गई वोटिंग मशीनों और मतदाता सूची में खामियों का जिक्र तीन साल पहले हुआ था| तब से आयोग जाँच करने के बजाय अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है| इससे पहले २०२२ में, एच.के. पाटिल ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वरैया हेगड़े कागेरी को लिखे पत्र और उसके बाद के घटनाक्रम का विवरण देते हुए दस्तावेज जारी किए थे|


मुंबई स्थित आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन संतोष रॉय ने १९९८ से २०१७ तक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की खरीद के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई वोटिंग मशीनों का विवरण उजागर किया| इसके आधार पर, १५ वर्षों में ९ लाख से ज्यादा वोटिंग मशीनों की आपूर्ति में विसंगतियाँ पाई गईं| उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि उन्होंने इस मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा की अनुमति देने के लिए तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष कागेरी को एक पत्र लिखा था|

उस पत्र का हवाला देते हुए, अध्यक्ष ने केंद्रीय चुनाव आयोग को चर्चा की अनुमति देने के बारे में अपनी राय व्यक्त करने के लिए पत्र लिखा था| एच.के. पाटिल ने बताया कि आयोग ने जवाब में चर्चा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था| जब कागेरी ने २०२२ में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था, तब उन्होंने हलफनामा दाखिल करने के लिए नहीं कहा था| अब, उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राहुल गांधी ने दस्तावेज जारी कर दिए हैं, तो चुनाव आयोग उनसे हलफनामा क्यों मांग रहा है|

मंत्री ने आगे कहा कि चुनाव आयोग को बिना कोई बहाना बनाए मतदाता सूची में अनियमितताओं की तुरंत जाँच करनी चाहिए| उन्होंने माँग की कि राहुल गांधी जारी किए गए दस्तावेजों और वैज्ञानिक विश्लेषण के आधार पर स्वेच्छा से शिकायत दर्ज करें| एक संवैधानिक संस्था, आयोग की जिम्मेदारी है कि वह पारदर्शी रहे और तुरंत जवाब दे| इसके बजाय राहुल गांधी से हलफनामा दाखिल करने के लिए कहना लालफीताशाही की जड़ता का प्रतीक है| उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा और चुनावों की पवित्रता के लिए लड़ने की राहुल गांधी की मूलभूत जिम्मेदारी को इस तरह के व्यवहार से दबाया नहीं जा सकता| राहुल गांधी द्वारा जारी किए गए दस्तावेज सार्वजनिक डोमेन में हैं|

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वीडियो फुटेज को सार्वजनिक करना आयोग की जिम्मेदारी है| उन्होंने मांग की है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता से हलफनामा मांगने के बजाय, स्वतः संज्ञान लेकर जाँच की जाए|

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