कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन के शहीदों को याद किया
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की है और देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया|
भारत छोड़ो आंदोलन की ८३वीं वर्षगांठ पर, कांग्रेस ने आरएसएस पर इस आंदोलन का विरोध करने का आरोप लगाया है, जबकि उस समय कांग्रेस के नेता जेलों में सड़ रहे थे| कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन १९४२ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनमोल मंत्र, "करो या मरो" के साथ ब्रिटिश शासन के खिलाफ शुरू हुआ था, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को नई गति दी| अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में अनगिनत भारतीय सड़कों पर उतर आए| यह इस अपरिहार्य इतिहास की कहानी है| अगस्त क्रांति दिवस पर, हम देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं|
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ८ अगस्त, १९४२ की देर रात अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने ऐतिहासिक भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया| इसके बाद महात्मा गांधी ने अपना ऐतिहासिक ‘करो या मरो‘ भाषण देते हुए भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की घोषणा की| ९ अगस्त, १९४२ की सुबह, कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को जेल में डाल दिया गया| गांधीजी को ६ मई, १९४४ तक पुणे की आगा खां जेल में रखा गया| रमेश ने बताया कि नेहरू, पटेल, आजाद, पंत और अन्य नेताओं को अहमदनगर किला जेल ले जाया गया, जहाँ वे २८ मार्च, १९४५ तक रहे| उन्होंने कहा कि यह नेहरू की नौवीं कैद थी और उन्होंने १९२१ से १९४५ के बीच कुल नौ साल जेल में बिताए| अहमदनगर जेल में ही उन्होंने भारत की खोज लिखी| जब पूरा कांग्रेस नेतृत्व जेल में सड़ रहा था और पूरे देश को भड़का रहा था, तब आरएसएस के लोग भारत छोड़ो आंदोलन का सक्रिय विरोध कर रहे थे| रमेश ने आरोप लगाया कि सात साल बाद, यह भारत के संविधान का विरोध करने का एक अवसर बन गया|