इस षडयंत्र का स्वतः संज्ञान ले सुप्रीम कोर्ट
सुनियोजित तरीके से लोकतांत्रिक संस्थाओं पर उंगली उठा रहे राहुल गांधी
भारत को अस्थिर करने के लिए सर्वोच्च संस्थाओं पर निशाना
दूसरा बांग्लादेश बनाने में लगे हैं भीतरी और बाहरी षडयंत्रकारी
शुभ-लाभ विमर्श
कांग्रेस पार्टी के सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सत्ता में आने पर चुनाव आयोग को देख लेने की खुलेआम धमकियां दे रहे हैं। कभी वे बिहार में चल रहे मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्यक्रम को लेकर अनापशनाप आरोप लगा रहे हैं तो कभी वे कर्नाटक और महाराष्ट्र के चुनाव में वोट चोरी करने के लिए चुनाव आयोग को दोषी ठहरा रहे हैं। चुनाव आयोग बार-बार कह रहा है कि शपथ पत्र (हलफनामा) के साथ राहुल गांधी प्रमाण के साथ चुनाव आयोग आएं तो उनकी बात की सार्थकता साबित हो। चुनाव आयोग ने यहां तक कहा कि राहुल गांधी शपथ पत्र दें या देश से माफी मांगें। लेकिन राहुल गांधी न शपथ पत्र दे रहे हैं और न माफी मांग रहे हैं। राहुल गांधी की इन असंवैधानिक हरकतों से देश में अराजकता का सृजन हो रहा है, जिसका स्वतः संज्ञान सुप्रीम कोर्ट को लेना चाहिए। राहुल गांधी बड़े ही सुनियोजित तरीके से देश के सारे संवैधानिक प्रतिष्ठानों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि देश में अस्थिरता पैदा हो। भारत को दूसरा बांग्लादेश बनाने की साजिशें लगातार चल रही हैं, राहुल गांधी इस अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हैं, यह बात उजागर हो चुकी है।
झूठ बोलने पर राहुल गांधी को फटकार लग चुकी है। वह सार्वजनिक माफी मांग चुके हैं। अनर्गल प्रलाप के लिए अदालत उन्हें दोषी मानकर सजा सुना चुकी है। पर इन सब का राहुल गांधी पर कोई असर नहीं। 7 अगस्त 2025 को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए चुनाव आयोग पर जो हमला किया है, यह उसी सिलसिलेवार मनोवैज्ञानिक असंतुलन से भरे व्यवहार का अध्याय था। कभी चुनाव आयोग, कभी भारतीय सेना, कभी ईवीएम, कभी कोर्ट, कभी संसद, कभी भारतीय विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका... अब शायद ही कोई ऐसा प्रतिष्ठान बचा हो, जिसको लेकर कांग्रेस नेता ने दुष्प्रचार न किया हो।
2014 में भाजपा के उदय के बाद से राहुल गांधी ने जिन संस्थाओं को निशाना बनाया उसमें संसद भी है। राहुल गांधी उन सभी संस्थाओं को निशाना बनाते चले आ रहे हैं जिनके कारण भारत का लोकतंत्र मजबूत है। जिस संसद को लोकतंत्र का मंदिर माना जाता है उसे भी राहुल गांधी ने बदनाम किया। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी राहुल गांधी के आरोपों से अछूता नहीं रहा है। राफेल डील पर कोर्ट के एक फैसले को उन्होंने अपने मन से ही सरकार का भ्रष्टाचार मानते हुए चौकीदार चोर है का नारा दे दिया। इसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी।
हिंदू आतंकवाद का कुचक्र रचने वाली कांग्रेस पार्टी के बुजुर्ग राजकुमार राहुल गांधी ने आरएसएस और सावरकर को लेकर भी बेतुके बयान दिए। राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना आतंकी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की, आरएसएस को कौरव बताया है और तमाम तरह के फर्जी आरोप लगाए। स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर का अपमान करने में राहुल गांधी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। साफ है कि राहुल गांधी को सावरकर के हिंदुत्व से घृणा की हद तक चिढ़ है। सावरकर के खिलाफ बयान देने को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी को फटकार लगा चुका है। आरएसएस को गांधी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाने को लेकर भी राहुल गांधी को कोर्ट से फटकार पड़ चुकी है।
राहुल गांधी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि सभी चोरों का उपनाम (सरनेम) मोदी क्यों है? राहुल के इस बयान के बाद स्थानीय अदालत ने उन्हें 2 वर्षों की सजा दी और उनकी इसे लेकर सांसदी तक चली गई थी। इन संस्थाओं के अलावा राहुल गांधी सेना पर भी अनर्गल टिप्पणियां करने से नहीं चूके। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी पर सेना का अपमान करने को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि अगर राहुल गांधी सच्चे भारतीय होते तो इस तरह की टिप्पणी नहीं करते। इसके बावजूद राहुल गांधी सुधरने का नाम नहीं ले रहे।
देश में लंबे समय तक केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सत्ता रही है। उसके बाद किसी भी दल ने चुनाव आयोग पर कभी आरोप नहीं लगाए। जबकि कई ऐसे चुनाव आयुक्त हुए जिनके गांधी परिवार से सीधे संबंध रहे हैं। टीएन शेषन को कई चुनाव सुधारों का श्रेय दिया जाता है। चुनाव आयुक्त बनने से पहले शेषन राजीव गांधी की सरकार में पहले उनके करीबी सुरक्षा सचिव और बाद में कैबिनेट सचिव भी बनाए गए। जब वे रिटायर हो गए तो कांग्रेस ने उन्हें भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ गुजरात की गांधीनगर सीट से 1999 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था। शेषन ऐसे इकलौते नहीं हैं, एमएस गिल का नाम भी गौर करने लायक है। गिल भी मुख्य चुनाव आयुक्त रहे और इस पद रिटायर होने के बाद कांग्रेस ने गिल को राज्यसभा में भेजा और बाद में केंद्रीय मंत्री बनाया। गिल का यह राजनीतिक सफर कांग्रेस की कृपा से ही संभव हुआ लेकिन तब भी तब के विपक्ष ने कभी आरोप नहीं लगाए कि गिल ने चुनाव आयोग में रहते हुए कांग्रेस के लिए काम किया था।
नवीन चावला की नियुक्ति भी विवादों से घिरी रही। 1975-77 के आपातकाल के दौरान नवीन चावला दिल्ली के उपराज्यपाल किशन चंद के सचिव थे। जस्टिस शाह कमीशन ने उनके विषय में कहा था कि चावला ने आपातकाल के दौरान अपार शक्तियों का प्रयोग किया क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री आवास तक उनकी आसान पहुंच थी। शाह कमीशन ने यहां तक कहा कि उन्हें कोई पद न दिए जाए लेकिन इसके बावजूद वे कांग्रेस के राज में मुख्य चुनाव आयुक्त तक बने।
नरेंद्र मोदी से पहले भी कई लोग देश के प्रधानमंत्री बने हैं। मोदी के बाद भी देश कई प्रधानमंत्री देखेगा। देश ने विपक्ष के भी कई नेता देखे हैं और भविष्य में भी देखेगा। पर मोदी घृणा में राहुल गांधी जिस तरह भारत-घृणा से भर रहे हैं और देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं वैसा कोई भीषण षडयंत्रकारी व्यक्ति या भीषण मनोविकार से ग्रस्त व्यक्ति ही कर सकता है। इस षडयंत्र या मनोविकार का उपचार क्या है? सत्ताधारी दल होने के कारण यह केवल भाजपा की जिम्मेदारी नहीं है कि वह ऐसे हर हमलों को जवाब दे। यह उन संस्थाओं की भी जिम्मेदारी है जिनसे लोकतंत्र मजबूत होता है। यह हर एक उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है जिसकी सहभागिता से लोकतंत्र का निर्माण होता है और जिसके लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था कार्य करती है।
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि वह राहुल गांधी के ऐसे बेतुके दिखने वाले सुनियोजित हमलों पर स्वत: संज्ञान ले। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह कांग्रेस नेता को अदालत में घसीटे। केवल सोशल मीडिया या पत्रों के जरिए उनसे सबूत मांगने की औपचारिकता तक ही चुनाव आयोग को सीमित नहीं रहना चाहिए। ऐसा हर उस संस्था को करना चाहिए जिस पर बेबुनियाद आरोप लगाकर राहुल गांधी भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं। अराजकता पैदा करना चाहते हैं। उनके लिए दंड का ऐसा विधान सुनिश्चित करना चाहिए जिससे कल को कोई फिर हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास न कर सके। या फिर इन्हें बताना चाहिए कि वे द्वापर के श्रीकृष्ण की तरह राजनीति के इस शिशुपाल के 100 अपराध पूर्ण होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। साथ ही, यह बताना चाहिए कि इस शिशुपाल के अपराधों की गिनती कहां तक पहुंची है। इससे आम जनता को यह जानने में सहूलियत रहेगी कि राजनीति के इस शिशुपाल को दंड देने का समय कब आएगा। वह इस बात की निगरानी करेगी कि गिनती पूरी होने के बाद यह शिशुपाल दंड के विधान से बच न सके।
राहुल गांधी जब चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाते हैं तो उन्हें यह याद नहीं आता कि कभी केरल में फेक वोटर कार्ड के साथ पकड़े गए थे यूथ कांग्रेस के नेता। विडंबना यह है कि 2023 में केरल में यूथ कांग्रेस के नेता विक्रम, फैनी और बिनिल बीनू फर्जी वोटर आईडी मामले में गिरफ्तार हुए थे। इनके पास से तमिल ऐक्टर अजित का फेक आईडी सहित 24 जाली कार्ड बरामद हुए थे। इन तीनों ने यूथ कांग्रेस के संगठन के चुनावों में मोबाइल ऐप की मदद से फर्जी वोटर आईडी कार्ड बनाए थे। यह ऐप यूथ कांग्रेस के नेता जैसन द्वारा बनाई गई थी और उसने भी पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने तब 24 फर्जी आईडी कार्ड बरामद किए थे जिनमें तमिल ऐक्टर अजित का फर्जी वोटर आईडी कार्ड भी शामिल थी। इस मामले की जानकारी केसी वेणुगोपाल जैसे बड़े कांग्रेस नेताओं को भी थी।
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