नोएडा में फर्जी पुलिस दफ्तर का भंडाफोड़, 6 गिरफ्तार

नोएडा में फर्जी पुलिस दफ्तर का भंडाफोड़, 6 गिरफ्तार

नोएडा, 11 अगस्त (एजेंसियां)। नोएडा के सेक्टर-70 में फर्जी पुलिस का कार्यालय पकड़ा गया। इसमें हूबहू पुलिस दफ्तरों की तरह बोर्ड लगा था। उस पर इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इंवेस्टीगेशन ब्यूरो लिखा था। पुलिस ने मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पकड़े गए लोग बताते हैं कि उनका ऑफिस यूके में भी है। वे लोकसेवक की तरह व्यवहार करते थे। वेबसाइट के जरिए लोगों से डोनेशन के रूप में पैसा ले रहे थे। पुलिस के मुताबिकयह कार्यालय आम जनता को गुमराह कर ठगी के लिए खोला गया था। ठगी का जाल बिछा पाते इससे पहले पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया। आरोपी खुद को इंटरपोल और आईबी से जुड़ा भी बताते थे। सेंट्रल जोन पुलिस ने इनके नेटवर्क और वित्तीय लेनदेन की जांच शुरू कर दी है।

डीसीपी सेंट्रल शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि सभी आरोपी पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। वीरभूम के विभाषअराग्य अधिकारीसमापदमलपिंटूपाल,  24 परगना के बाबुल चंद्र मंडल और कोलकाता के अशीष कुमार ने चार जून को यहां जगह किराए पर लेकर रेंट एग्रीमेंट कराया था। ये 8-10 दिन से बोर्ड लगाकर कार्यालय चला रहे थे। पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि आरोपी पुलिस का काम कराने और खुद को पुलिस के समकक्ष संस्था में लोकसेवक होने की भ्रामक जानकारी रहे थे। इनमें से एक एलएलबीएक स्नातकचार 12वीं पास हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालयमिनिस्ट्री ऑफ आयुष एंड मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट के दस्तावेज मिले।

फेज-3 पुलिस की कार्रवाई में आरोपियों से जनजातीय कार्य मंत्रालयमिनिस्ट्री ऑफ आयुष एंड मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट समेत कई मंत्रालय के फर्जी दस्तावेजप्रेसअंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग समेत कई संस्थाओं के नौ आईडी कार्डनौ मोबाइल17 स्टांप मोहरछह चेकबुकपैन कार्डवोटर कार्ड6 डेबिट कार्डतीन प्रकार के विजिटिंग कार्डचार इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इंवेस्टीगेशन ब्यूरो लिखे बोर्ड42,300 रुपए और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं।

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पुलिस के मुताबिकआरोपी पहले पश्चिम बंगाल में भी ऐसा ऑफिस चला चुके हैं। इनका क्राइम रिकॉर्ड भी पुलिस खंगाल रही है। संदिग्ध कार्यशैली को लेकर कमिश्नरेट पुलिस के साथ एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। आरोपियों के चार बैंक खातों का विवरण निकाला जा रहा है। पुलिस का दावा है कि आरोपी अपनी संस्था को अंतरराष्ट्रीय श्रेणी का बताने के लिए इंटरपोलइंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन और इयूरेसिया पोल से संबंध बताते थे। अपनी वेबसाइट के जरिए लोगों से डोनेशन के रूप में पैसा भी लेते थे। इस वेबसाइट पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाण पत्र भी दिखाई देते हैं।  

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