70 फीसदी ने लोगों ने लिया फर्जी प्रमाणपत्रों का सहारा
प्राचार्यों की नियुक्ति में फर्जी प्रमाणपत्रों का रहा बोलबाला
प्रदेशभर में दोबारा कराया जाएगा प्रमाणपत्रों का सत्यापन
वाराणसी, 18 अगस्त (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में फर्जी शोध अनुभव के आधार पर प्राचार्यों को नियुक्ति मिली। फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्ति पाने वालों की संख्या 70 फीसदी है। शासन से शिकायत के बाद मामले में जांच शुरू हो गई है और प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन कराकर शासन ने आख्या मांगी है। प्रदेश भर में नियुक्त 290 प्राचार्य के प्रमाणपत्रों का सत्यापन दोबारा कराया जाएगा।
फर्जी और कूटरचित अभिलेखों के आधार पर प्राचार्य पद पर चयनित होने की शिकायत के बाद शासन ने यह निर्णय लिया है। उच्च शिक्षा के शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को पत्र जारी करके प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने के आदेश दिए हैं। संयुक्त निदेशक डॉ. शशि कपूर की ओर से क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी को जारी पत्र में कहा गया है कि विज्ञापन संख्या 49 के तहत फर्जी कूटरचित अभिलेखों के आधार पर प्राचार्य पद पर चयनित होने की शिकायत मिली थी। इसके आधार पर चयनित प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराकर सत्यापन आख्या दो दिन में उपलब्ध कराएं।
इसके बाद क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी ने जिलों के महाविद्यालयों में पत्र भेजकर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शासन के आदेश से पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों में हड़कंप की स्थिति है। शिकायकर्ता सलिल कुमार तिवारी ने प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को लिखे पत्र में कहा है कि विज्ञापन संख्या 49 वर्ष 2019 के अंतर्गत अशासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों की भर्ती प्रक्रिया में लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद 21 जून 2021 में दस्तावेजों के सत्यापन किए गए।
इस भर्ती प्रक्रिया में चयनित प्रवक्ताओं ने कई स्तर पर कूट रचना करके अभिलेखों को तैयार किया। इन अभिलेखों में चयन की अनिवार्य शर्त थी कि अभ्यर्थी को शोध का अनुभव होना। इसी शर्त को पूरा करने के लिए अभ्यर्थियों ने फर्जी शोध अनुभव तैयार करवाए और चयन प्राप्त किया। जब 2023 और 2024 में इनकी जांच की गई तो पाया गया कि लगभग 70 फीसदी अभ्यर्थियों ने फर्जी व कूट रचित शोध अनुभव लगाए थे।
प्रदेश भर के महाविद्यालयों में नियुक्ति के लिए 2019 में भर्ती के लिए विज्ञापन मांगे गए थे। 2021 में लिखित परीक्षा, साक्षात्कार और प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद नियुक्ति हुई थी। इसमें भारतीय इतिहास में पहली बार प्राचार्य की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा ली गई थी। इसमें 290 प्राचार्यों का चयन किया गया था और 65 को प्रतीक्षा सूची में रखा गया था। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. ज्ञान प्रकाश वर्मा ने कहा, विज्ञापन संख्या 49 के आधार पर नियुक्त प्राचार्यों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन का आदेश मिला है। इसके आधार पर पूर्वांचल के 10 जिलों में सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिलेवार सत्यापन प्रक्रिया कराई जाएगी। प्रबंधकों से सत्यापन की रिपोर्ट मांगी जाएगी।
#फर्जीप्रमाणपत्र, #प्राचार्यनियुक्ति, #शिक्षाविभाग, #शिक्षाघोटाला, #EducationScam, #IndiaNews, #शिक्षासुधार, #नियुक्तिविवाद